भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (IICA) और राष्ट्रीय रक्षा उत्पादन अकादमी (NADP) नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) के अधिकारियों के लिए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पर केंद्रित तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस पहल का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों में सीएसआर के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और प्रतिभागियों को नवीनतम रणनीतियों, नीतियों एवं कार्यान्वयन योग्य दृष्टिकोणों से अवगत कराना है।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (IICA) और राष्ट्रीय रक्षा उत्पादन अकादमी (NADP) के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर रहा। यह समझौता दोनों संस्थानों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें वे रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) के भीतर सीएसआर प्रणाली को सुदृढ़ करने और नेतृत्व क्षमताओं को विकसित करने हेतु मिलकर कार्य करेंगे।
समझौता ज्ञापन पर हुआ औपचारिक हस्ताक्षर
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र से पूर्व IICA के स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गरिमा दाधीच एवं NADP के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. जेपी दाश ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता IICA के महानिदेशक और सीईओ श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रेरणा के तहत संपन्न हुआ, जिनके मार्गदर्शन में IICA ने राष्ट्रीय संस्थानों के साथ अनेक प्रभावशाली सहयोग स्थापित किए हैं।
सीएसआर को बताया गया राष्ट्रीय विकास के साथ जोड़ने का माध्यम
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में डॉ. गरिमा दाधीच ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि सीएसआर केवल एक वैधानिक प्रावधान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक व्यापारिक अनिवार्यता है, जो किसी भी संस्था को सतत विकास और सामाजिक उत्तरदायित्व की दिशा में अग्रसर करती है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे सीएसआर परियोजनाओं को राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए नवाचारपरक दृष्टिकोण अपनाएं।
डॉ. जेपी दाश ने इस कार्यक्रम को सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियों के ज्ञान आधार, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारी की समझ को विस्तार देने का एक सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि सीएसआर के क्षेत्र में प्रशिक्षण न केवल नीतिगत परिपक्वता लाता है, बल्कि सामाजिक रूप से उत्तरदायी नेतृत्व के विकास में भी सहायक होता है।
कार्यक्रम में शामिल हैं नीति निर्माण से लेकर प्रभाव मूल्यांकन तक के विषय
तीन दिवसीय यह प्रशिक्षण कार्यक्रम IICA द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया है, जिसमें सीएसआर से जुड़े विभिन्न आयामों को गहराई से समझने का अवसर प्रतिभागियों को दिया जा रहा है। कार्यक्रम की मुख्य विषयवस्तु में शामिल हैं:
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सीएसआर नीति निर्माण एवं रणनीति विकास
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परियोजनाओं का प्रभाव आकलन (Impact Assessment)
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स्थिरता रिपोर्टिंग (Sustainability Reporting)
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राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से तालमेल, जैसे – पर्यावरणीय स्थिरता, आजीविका सृजन और सामाजिक समावेशन
इन सत्रों में IICA के विशेषज्ञों के साथ-साथ बाहरी संस्थानों के अनुभवी वक्ता व्याख्यान, केस स्टडी, समूह चर्चा एवं इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से सहभागिता को सशक्त बनाएंगे। इस दौरान प्रतिभागियों को व्यावहारिक उदाहरणों और जमीनी हकीकत से अवगत कराकर उन्हें संस्थागत स्तर पर प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम बनाया जाएगा।
IICA का मिशन – उत्तरदायी कॉरपोरेट आचरण को प्रोत्साहन
भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (IICA), जो कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है, का उद्देश्य उत्तरदायी कॉरपोरेट आचरण, सतत विकास और सशक्त शासन प्रणाली को बढ़ावा देना है। यह संस्था वर्षों से सार्वजनिक, निजी और गैर-सरकारी क्षेत्रों के अधिकारियों को प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श के माध्यम से सक्षम बनाती रही है।
यह नवीनतम पहल भी IICA की उसी रणनीति का विस्तार है, जिसके अंतर्गत वह देशभर के संस्थानों के साथ साझेदारी करते हुए क्षमता निर्माण और नीति-आधारित जागरूकता के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
सीएसआर के व्यापक प्रभाव की दिशा में एक कदम
इस कार्यक्रम के माध्यम से यह आशा की जा रही है कि म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड के अधिकारी सीएसआर परियोजनाओं को केवल “खर्च का दायित्व” न मानते हुए उसे सामाजिक परिवर्तन का उपकरण मानकर योजनाएं तैयार करेंगे और उन्हें प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करेंगे। इस प्रकार यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकारी एवं रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में एक नई सोच और प्रतिबद्धता के बीजारोपण का माध्यम बन सकता है।
कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे और उनसे आगामी महीनों में अपने अनुभव साझा करने तथा परियोजना आधारित निष्कर्ष प्रस्तुत करने की अपेक्षा भी की गई है।
यह सहयोग न केवल दो संस्थानों – IICA और NADP – के बीच ज्ञान साझेदारी को दर्शाता है, बल्कि यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के भीतर व्यवस्थित परिवर्तन की ओर भी संकेत करता है, जो भारत को उत्तरदायी, समावेशी और सतत विकास की दिशा में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।