देश की लोकतांत्रिक चेतना को सशक्त करने और संवैधानिक मूल्यों की पुनः पुष्टि के उद्देश्य से आज नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में ‘संविधान हत्या दिवस’ का आयोजन भव्य रूप से किया गया। यह आयोजन वर्ष 1975 में देश पर थोपे गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा दिल्ली सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया। इस दिन को लोकतंत्र की रक्षा, मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और संविधान की प्रतिष्ठा के संकल्प के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह थे, जिन्होंने मायभारत के स्वयंसेवकों द्वारा निकाली जा रही “#लॉन्गलिवडेमोक्रेसी यात्रा” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा पूरे देश में संवैधानिक मूल्यों, लोकतांत्रिक अधिकारों और आपातकाल से मिली सीखों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करेगी।
इस अवसर पर कई वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति मंच पर उपस्थित थे, जिनमें केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता प्रमुख थे। सभी ने अपने वक्तव्यों में आपातकाल के उस अंधकारमय काल की याद दिलाई, जब प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया, नागरिक अधिकार निलंबित हुए और लोकतांत्रिक संस्थाएं दमित कर दी गईं।
लोकतंत्र की सशक्त प्रस्तुति
इस आयोजन की सबसे प्रमुख आकर्षण रही भारतीय लोकतंत्र पर आधारित विशेष प्रदर्शनी, जो तीन खंडों में विभाजित थी:
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भारत – लोकतंत्र की जननी: जिसमें भारत की प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रस्तुतीकरण किया गया।
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लोकतंत्र के काले दिन: जिसमें 1975 के आपातकाल की घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से प्रदर्शित किया गया।
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भारत में लोकतंत्र को मजबूत करना: इसमें हालिया सुधार जैसे DBT, डिजिटल शिकायत मंच और नारी शक्ति वंदन अधिनियम को दर्शाया गया।
प्रदर्शनी ने आगंतुकों को लोकतंत्र की जड़ों से जोड़ने और आधुनिक सुधारों से अवगत कराने का कार्य किया।
नाट्य, फिल्म और जनता की सहभागिता
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) द्वारा प्रस्तुत एक सशक्त नाट्य रूपांतरण ने आपातकाल के समय आम नागरिकों और संस्थाओं पर पड़े प्रभाव को मंचित किया, जिससे दर्शकों में भावनात्मक जुड़ाव उत्पन्न हुआ। इसके अलावा एक विशेष लघु फिल्म की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें आपातकाल लागू होने की घटनाएं और परिणाम सिनेमाई रूप में प्रस्तुत किए गए।
एक खास आकर्षण रहा “सिग्नेचर ट्रिब्यूट वॉल”, जहां उपस्थित नागरिकों ने संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करते हुए संदेश लिखे।
देशभर में कार्यक्रमों की श्रृंखला
दिल्ली के अलावा, देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें आपातकाल के विरोध में संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया, सार्वजनिक चर्चाएं और फिल्म प्रदर्शनियां आयोजित की गईं। यह कार्यक्रम युवा पीढ़ी को लोकतंत्र की शक्ति और संवैधानिक मर्यादाओं के महत्व से परिचित कराने में सहायक सिद्ध हुए।
“लॉन्ग लिव डेमोक्रेसी” प्रदर्शनी श्रृंखला
संस्कृति मंत्रालय ने घोषणा की कि आने वाले हफ्तों में देश के 50 प्रमुख स्थानों पर “लॉन्ग लिव डेमोक्रेसी” नामक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी, जो आमजन के लिए खुली रहेंगी और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाएंगी।
पृष्ठभूमि और संदेश
25 जून 1975 को तत्कालीन सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। इस दिन को भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि यह दिन संविधान, नागरिक अधिकारों और संस्थागत स्वतंत्रता की हत्या का प्रतीक बन गया। वर्ष 2024 में भारत सरकार ने 25 जून को आधिकारिक तौर पर “संविधान हत्या दिवस” के रूप में घोषित किया था ताकि लोकतंत्र के प्रति नागरिकों की सजगता बनी रहे।
कार्यक्रम के समापन पर गृह मंत्री श्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा,
“आज का दिन न केवल स्मरण का है, बल्कि यह उस संकल्प को दोहराने का अवसर है कि हम भारत की लोकतांत्रिक विरासत और संविधान की गरिमा की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहेंगे।”
निष्कर्ष
‘संविधान हत्या दिवस’ का यह आयोजन, केवल अतीत की त्रासदी को याद करने का अवसर नहीं बल्कि भविष्य में उसकी पुनरावृत्ति न होने देने की चेतावनी भी है। यह कार्यक्रम भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक जन-जागरण अभियान बन गया है, जिसकी गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है।