ओडिशा राज्य एक बार फिर से भारत की औद्योगिक क्रांति का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। राउरकेला इस्पात संयंत्र (Rourkela Steel Plant – RSP) के संभावित विस्तार को लेकर हाल ही में राउरकेला में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक ने इस दिशा में एक ठोस कदम रखा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और अन्य प्रमुख हितधारकों की उपस्थिति में हुई इस बैठक में इस्पात क्षेत्र को नए आयाम देने, स्थानीय समुदाय को लाभान्वित करने, और क्षेत्रीय समावेशी विकास सुनिश्चित करने पर गहन चर्चा की गई।
इस ऐतिहासिक बैठक में भारत सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्री—भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी, जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम और शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान—की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि यह महज एक औद्योगिक प्रस्ताव नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक बदलाव की आधारशिला है।
1. राउरकेला इस्पात संयंत्र: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
1950 के दशक में जब भारत ने औद्योगिकीकरण की राह पकड़ी, तब राउरकेला इस्पात संयंत्र पहला एकीकृत सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयंत्र था, जिसकी स्थापना जर्मन सहयोग से की गई थी। यह संयंत्र सेल (SAIL) का एक प्रमुख अंग है और वर्षों से ओडिशा ही नहीं, पूरे पूर्वी भारत के औद्योगिक विकास का प्रमुख आधार रहा है।
वर्तमान में RSP की उत्पादन क्षमता 4.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष है, जिसमें मुख्यतः हॉट मेटल, स्टील स्लैब्स, कॉइल्स और प्लेट्स तैयार किए जाते हैं। संयंत्र देश की रक्षा, रेलवे, निर्माण और अधोसंरचना क्षेत्रों की मांगों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता है।
2. विस्तार योजना की विशेषताएँ: 9.3 मिलियन टन की नई मंज़िल
बैठक का प्रमुख उद्देश्य राउरकेला इस्पात संयंत्र की उत्पादन क्षमता को दोगुना से भी अधिक, यानि 9.3 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाना है। यह विस्तार योजना केवल तकनीकी बदलावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का वृहद खाका है।
इस प्रस्ताव के अंतर्गत निम्नलिखित कार्यों को अंजाम दिया जाएगा:
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नई ब्लास्ट फर्नेस और स्टील मेल्टिंग शॉप्स की स्थापना।
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इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडर्नाइजेशन, जिसमें ऊर्जा कुशल तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
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नई रोलिंग मिल्स और उत्पादन यूनिट्स का निर्माण।
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वेस्ट मटेरियल मैनेजमेंट, रिसाइकलिंग और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर बल।
यह विस्तार न केवल सेल के उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करेगा, बल्कि भारत सरकार के 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन लक्ष्य (2030 तक) में महत्वपूर्ण योगदान भी देगा।
3. परिवहन व्यवस्था का कायाकल्प: रेल लाइन का दोहरीकरण
एक उच्च उत्पादन संयंत्र के लिए वस्तुओं का निर्बाध परिवहन अत्यंत आवश्यक होता है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बैठक में राउरकेला से निकलने वाली रेल लाइनों के दोहरीकरण पर विशेष चर्चा की गई। वर्तमान में रेल नेटवर्क एकल लाइनों पर आधारित है, जिससे माल परिवहन में विलंब होता है।
रेल दोहरीकरण के प्रमुख लाभ:
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इस्पात और कच्चे माल का त्वरित ट्रांसपोर्ट।
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लॉजिस्टिक लागत में कमी।
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नए लॉजिस्टिक हब और कोल्ड स्टोरेज क्लस्टर की स्थापना।
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क्षेत्रीय व्यापार में तीव्रता।
रेल मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय इस योजना को समयबद्ध तरीके से पूर्ण करने की दिशा में समन्वय कर रहे हैं।
4. विस्थापितों और स्थानीय समुदाय की आवाज: श्री जुएल ओराम की चिंता
बैठक में जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने स्थानीय लोगों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने विशेषकर उन युवाओं की बात की जो पूर्व की औद्योगिक परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए हैं। उनकी मांगें स्पष्ट थीं:
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विस्थापित युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता।
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स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों, और तकनीकी संस्थानों में बेहतर सुविधाएँ।
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CSR परियोजनाओं में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना।
श्री ओराम का यह हस्तक्षेप विकास को अधिक मानवीय और समावेशी बनाने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास कहा जा सकता है।
5. विमानन कनेक्टिविटी की मांग: राउरकेला एयरपोर्ट का विस्तार
राउरकेला, ओडिशा का प्रमुख औद्योगिक नगर होने के बावजूद विमानन सुविधाओं की दृष्टि से सीमित है। श्री जुएल ओराम ने इस बैठक में राउरकेला हवाई अड्डे के विस्तार की पुरजोर मांग रखी। उन्होंने विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए सेल से अतिरिक्त भूमि आवंटन का आग्रह किया।
हवाई अड्डा विस्तार के लाभ:
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निवेशकों और पर्यटकों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी।
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एमएसएमई और स्टार्टअप्स को पंख।
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हेल्थकेयर, एजुकेशन और सर्विस इंडस्ट्री को बल।
संभवतः UDAN योजना के अंतर्गत इसका विस्तार जल्द संभव हो सकता है।
6. समस्याओं के समाधान हेतु उच्चस्तरीय समिति का गठन
बैठक का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह रहा कि इस्पात मंत्रालय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी, जिसमें ओडिशा सरकार, सेल, और अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति का उद्देश्य होगा:
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स्थानीय समस्याओं की पहचान।
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विस्थापन, रोजगार, पर्यावरण, भूमि विवाद आदि मुद्दों का समाधान।
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समयबद्ध कार्यान्वयन की निगरानी।
इस समिति की अनुशंसाएँ सीधे मंत्रालय को रिपोर्ट की जाएँगी और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाएँगी।
7. रोजगार सृजन: भविष्य का आधार
सेल की यह विस्तार परियोजना प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हज़ारों लोगों को रोज़गार देने वाली है। संभावित क्षेत्रों में रोजगार:
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निर्माण कार्य में 15,000+ मजदूरों की आवश्यकता।
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तकनीकी स्टाफ जैसे इंजीनियर, फोरमैन, ऑपरेटर।
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लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट, सुरक्षा सेवाएं।
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स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षण केंद्र।
सेल और राज्य सरकार संयुक्त रूप से स्किल इंडिया मिशन के तहत स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करने की दिशा में कार्य करेंगे।
8. जनजातीय समावेश और सामाजिक सशक्तिकरण
ओडिशा का सुंदरगढ़ जिला जनजातीय बहुल क्षेत्र है। इसलिए, जनजातीय युवाओं को विशेष वरीयता देते हुए:
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जनजातीय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
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स्वरोजगार योजनाएँ जैसे कि स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग, ट्रांसपोर्ट यूनिट्स में भागीदारी।
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महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) को भोजन, किट आपूर्ति, हॉस्पिटैलिटी आदि कार्यों में जोड़ा जाएगा।
इससे सामाजिक सशक्तिकरण की नई मिसाल कायम होगी।
9. ओडिशा सरकार की भूमिका: सक्रिय और सहायक भागीदारी
बैठक में ओडिशा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता दोहराई। विशेषकर निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग सुनिश्चित किया गया:
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भूमि अधिग्रहण और आवंटन।
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पर्यावरणीय एवं औद्योगिक स्वीकृति।
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सड़क, जल, बिजली जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का विकास।
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औद्योगिक नीति के तहत विशेष प्रोत्साहन पैकेज।
राज्य और केंद्र की इस सहभागिता से ओडिशा में “सहयोगात्मक संघवाद” की श्रेष्ठ मिसाल सामने आई है।
10. CSR और पर्यावरणीय संतुलन: सेल की रणनीति
सेल ने यह स्पष्ट किया कि यह परियोजना केवल व्यावसायिक नहीं है, बल्कि इसके केंद्र में स्थायित्व और सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। इसके अंतर्गत:
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आसपास के स्कूलों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ना।
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स्वास्थ्य शिविर, एम्बुलेंस और टेलीमेडिसिन सेवाएं।
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ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं।
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वृक्षारोपण और हरित क्षेत्र विस्तार।
सेल ने ESG (Environmental, Social and Governance) लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए हर गतिविधि को नियोजित किया है।
11. संभावित चुनौतियाँ और समाधान
इस विस्तारीकरण योजना को क्रियान्वित करने में कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हो सकती हैं:
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भूमि अधिग्रहण में सामाजिक टकराव।
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पर्यावरणीय विरोध और नियामकीय देरी।
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स्थानीय लोगों की अपेक्षाएँ।
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पूंजीगत निवेश और वित्तीय स्वीकृति।
इन सबको ध्यान में रखते हुए एक समन्वित नीति अपनाई जा रही है, जिसमें सामाजिक संवाद, त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई, और जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी प्रमुख होगी।
निष्कर्ष: विकास की ओर निर्णायक यात्रा
राउरकेला इस्पात संयंत्र का प्रस्तावित विस्तार न केवल एक उद्योग की क्षमता वृद्धि है, बल्कि यह एक नवयुगीन सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचागत पुनरुत्थान का प्रतीक है। इस योजना में केंद्र और राज्य सरकारों की साझेदारी, नीति-निर्माताओं की दूरदृष्टि, और कॉर्पोरेट की सामाजिक प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।