भारत और बांग्लादेश के संबंधों में एक बार फिर एक गंभीर मोड़ आया है। इस बार मुद्दा बांग्लादेश की राजधानी ढाका के खिलखेत क्षेत्र में स्थित एक दुर्गा मंदिर के ध्वस्तीकरण से जुड़ा है। भारत सरकार ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उसने जानबूझकर इस मंदिर को सुरक्षा न प्रदान कर चरमपंथियों को बढ़ावा दिया है।
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मुद्दे पर साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि यह केवल एक धार्मिक स्थल को ध्वस्त करने की बात नहीं है, बल्कि यह हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक गहन और निरंतर जारी उत्पीड़न का हिस्सा है।
1. घटना का क्रम: खिलखेत स्थित दुर्गा मंदिर का ध्वस्तीकरण
ढाका के खिलखेत क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन दुर्गा मंदिर को 27 जून 2025 को स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी में गिरा दिया गया। इस प्रक्रिया के दौरान न केवल मंदिर की संरचना को नुकसान पहुँचा, बल्कि देवी प्रतिमा को भी क्षति पहुँचाई गई, जिसे बाद में हटाया गया। इस मंदिर को लेकर पिछले कुछ समय से कुछ कट्टरपंथी समूहों द्वारा विरोध और विवाद जारी था।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशासन ने मंदिर परिसर को “अवैध अतिक्रमण” के रूप में प्रस्तुत किया और मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति दी। लेकिन मंदिर प्रबंधन समिति और स्थानीय हिंदू संगठनों का दावा है कि मंदिर दशकों से स्थापित था और भूमि वैध थी।
2. भारत की प्रतिक्रिया: कड़ी आलोचना और चेतावनी
भारत सरकार ने इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए बांग्लादेश सरकार पर हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा न कर पाने का आरोप लगाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा:
“यह अत्यंत चिंताजनक है कि ढाका में खिलखेत स्थित दुर्गा मंदिर को कट्टरपंथियों की मांग पर गिराया गया। अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा देने के बजाय इसे अवैध ज़मीन के उपयोग का मामला बताकर ध्वस्त कर दिया। इससे मूर्ति को क्षति पहुँची है। यह घटना केवल एक मंदिर की नहीं, बल्कि एक समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ी है।”
भारत ने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की रक्षा बांग्लादेश सरकार की संवैधानिक और नैतिक ज़िम्मेदारी है।
3. मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर सवाल
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, जिन्हें हाल ही में बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता के बीच अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था, इस घटना के केंद्र में हैं। यद्यपि यूनुस की छवि एक उदार और समावेशी नेता की रही है, इस घटना से उनकी सरकार की निष्क्रियता या संभावित सहमति पर सवाल उठने लगे हैं।
भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से यूनुस सरकार पर आरोप लगाया कि उसने धार्मिक चरमपंथियों के दबाव में आकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचलने दिया। साथ ही, बांग्लादेश में लगातार हो रही ऐसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में यूनुस सरकार की चुप्पी को चिंताजनक बताया गया।
4. मानवाधिकार संगठनों की भूमिका और रिपोर्ट्स
Human Rights Congress for Bangladesh Minorities (HRCBM) ने कुछ दिन पूर्व दिनाजपुर जिले में भी एक महाशक्ति मनसा और दुर्गा मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को उजागर किया था। संगठन ने इसे:
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हिंदू समुदाय को आतंकित करने का एक भयावह कृत्य कहा।
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बांग्लादेश में बढ़ते अल्पसंख्यक विरोधी हमलों की श्रृंखला में एक और कड़ी बताया।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इस विषय में हस्तक्षेप करें।
HRCBM के अध्यक्ष डॉ. राणा सरकार ने एक बयान में कहा:
“बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमले सुनियोजित और लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मंदिरों को गिराना केवल संरचनात्मक क्षति नहीं है, यह समुदाय के मनोबल और धार्मिक अस्तित्व पर सीधा आघात है।”
5. बांग्लादेश सरकार की सफाई और प्रतिक्रिया
बांग्लादेश के सूचना मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि:
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मंदिर स्थल की भूमि पर कोई वैध स्वामित्व दस्तावेज नहीं था।
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यह कार्रवाई नगर निगम प्रशासन द्वारा एक नियमानुसार अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के तहत की गई।
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सरकार धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास रखती है और किसी भी अल्पसंख्यक के साथ अन्याय नहीं करेगी।
हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मंदिर वहाँ कितने वर्षों से स्थित था, और स्थानीय समुदाय को किस प्रकार की कानूनी सहायता या सूचना दी गई।
6. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से ही हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों के साथ छिटपुट घटनाएं होती रही हैं। हालांकि शेख हसीना की सरकार ने कई बार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने का वादा किया था, फिर भी हर साल दर्जनों मंदिरों, मूर्तियों और धर्मस्थलों पर हमलों की घटनाएं सामने आती हैं।
कुछ प्रमुख घटनाएं:
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2021 दुर्गा पूजा दंगे: इस्कॉन मंदिर, कुमिल्ला समेत कई स्थानों पर हमले।
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2022 नव वर्ष की पूर्व संध्या: चटगांव और नड़ायल में मंदिरों पर पत्थरबाज़ी।
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2023 मार्च: सिलहट में मंदिर भूमि पर कब्जे की कोशिश।
इन घटनाओं ने न केवल देश के भीतर डर का माहौल बनाया है, बल्कि प्रवासी बांग्लादेशियों में भी चिंता की लहर दौड़ा दी है।
7. भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों पर संभावित प्रभाव
भारत और बांग्लादेश के संबंध वर्षों से सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर मज़बूत रहे हैं। परंतु, ऐसी घटनाएँ इन संबंधों में संवेदनशील दरार पैदा कर सकती हैं।
भारत ने हमेशा बांग्लादेश को “नजदीकी पड़ोसी” और “रणनीतिक सहयोगी” कहा है। चाहे तेस्ता जल-विवाद, सीमा सुरक्षा, या व्यापार समझौते, दोनों देशों ने मिलकर आगे बढ़ने की कोशिश की है।
लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न जैसे मुद्दे पर भारत की जनता, विशेष रूप से हिंदू संगठनों और विपक्षी दलों का दबाव भारत सरकार पर बढ़ सकता है।
8. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ और भारत की रणनीति
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC), यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की रक्षा पर भारत पहले भी आवाज़ उठा चुका है। अब MEA इस मुद्दे को वहां ले जाने की संभावना पर विचार कर सकता है।
भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि:
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बांग्लादेश अपने संविधान के अनुसार सभी नागरिकों को समान धार्मिक अधिकार दे।
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मंदिरों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की हो।
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असामाजिक तत्वों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई हो।
9. बांग्लादेशी नागरिक समाज और विपक्ष की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश के कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, लेखकों और छात्रों ने सोशल मीडिया पर इस घटना की आलोचना की है। ढाका विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने पोस्ट किए कि:
“मंदिर को गिराना हमारी बहुलता और धर्मनिरपेक्षता पर कलंक है।”
वहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि “यूनुस सरकार अस्थिर है और उग्रवादियों को खुश कर रही है”।
10. भविष्य की दिशा: क्या चाहिए समाधान के लिए?
भारत की अपेक्षाएँ:
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बांग्लादेश सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दे।
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ध्वस्त मंदिर की जांच हो और दोषियों को सज़ा मिले।
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क्षतिपूर्ति और पुनर्निर्माण की व्यवस्था हो।
बांग्लादेश के लिए सुझाव:
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अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग की स्थापना।
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धर्म-आधारित भड़काऊ भाषणों और प्रचार पर रोक।
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धार्मिक स्थलों की डिजिटल रिकॉर्डिंग और रजिस्ट्रेशन।
साझा पहल:
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भारत और बांग्लादेश के बीच धार्मिक व सांस्कृतिक संवाद मंच की स्थापना।
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भारत से मंदिर पुनर्निर्माण में तकनीकी और वित्तीय सहयोग।
निष्कर्ष: धार्मिक सहिष्णुता की कसौटी पर खरा उतरना ज़रूरी
ढाका में दुर्गा मंदिर का गिराया जाना सिर्फ एक संरचना की क्षति नहीं है, यह उस सामाजिक समरसता, सहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चोट है जिसकी अपेक्षा एक लोकतांत्रिक देश से की जाती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की यह परीक्षा की घड़ी है—वह या तो चरमपंथियों के आगे झुकती है या संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करती है।