स्पेन ने अमेरिका के साथ अलग व्यापार वार्ता से किया इनकार

स्पेन ने अमेरिका के साथ अलग व्यापार वार्ता से किया इनकार

वैश्विक भू-राजनीति में यूरोपीय एकता बनाम अमेरिकी दबाव की नई कहानी

21वीं सदी के भूराजनीतिक परिदृश्य में व्यापार और सुरक्षा दोनों ही वैश्विक शक्तियों के बीच संबंधों के अहम स्तंभ हैं। स्पेन और अमेरिका के बीच हालिया तनाव इन्हीं दो क्षेत्रों—व्यापार वार्ता और सैन्य सहयोग (NATO)—से जुड़ा है। स्पेन की सरकार ने हाल ही में अमेरिका के साथ पृथक व्यापार वार्ता करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है, यह कहते हुए कि व्यापारिक मामलों में यूरोपीय संघ की समन्वित नीति सर्वोपरि है।

स्पेन के आर्थिक मंत्री कार्लोस क्यूएर्पो (Carlos Cuerpo) ने यह बयान देते हुए स्पष्ट कर दिया कि मैड्रिड अमेरिका के साथ कोई द्विपक्षीय व्यापार समझौता नहीं करेगा, जो कि यूरोपीय आयोग की भूमिका को दरकिनार करता हो। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पेन की नाटो (NATO) प्रतिबद्धताओं को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है, विशेषकर सैन्य खर्च के मसले पर।


1. अमेरिका और यूरोप के बीच व्यापार नीति का ताना-बाना

‌यूरोपीय संघ की सामूहिक व्यापार नीति

यूरोपीय संघ (EU) की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसके सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताओं में एक समेकित इकाई के रूप में कार्य करते हैं।

  • सभी सदस्य राष्ट्र अपने व्यापार समझौतों को यूरोपीय आयोग (European Commission) के माध्यम से करते हैं।

  • इसका उद्देश्य यूरोप की एकता को बनाए रखना और समान नियमों के तहत सभी सदस्यों को व्यापार लाभ प्रदान करना है।

‌अमेरिका की रणनीति: द्विपक्षीय वार्ताएँ

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की एक खास रणनीति यह रही है कि वह EU से अलग-अलग सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ताएँ करता है, जिससे उन्हें बेहतर सौदे मिल सकें और यूरोपीय एकता कमजोर हो।


2. स्पेन का कड़ा रुख: ‘हम यूरोपीय हैं, अलग नहीं’

स्पेन के आर्थिक मंत्री कार्लोस क्यूएर्पो ने अपने वक्तव्य में कहा:

“हम अमेरिका के साथ अलग व्यापारिक वार्ता नहीं करेंगे। हम यूरोपीय संघ के सदस्य हैं और हमारे व्यापारिक रिश्ते यूरोपीय आयोग के माध्यम से तय होते हैं। स्पेन का कोई भी कदम यूरोपीय एकता को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।”

यह बयान केवल तकनीकी या कूटनीतिक बयान नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक संदेश था—कि स्पेन यूरोपीय सहयोग और सामूहिकता में विश्वास करता है, चाहे अमेरिका कितना भी दबाव डाले।


3. ट्रम्प की चेतावनी: NATO व्यय को लेकर नया विवाद

इस व्यापारिक असहमति के पीछे एक छुपा हुआ सैन्य और भू-राजनीतिक तनाव भी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में यह आरोप लगाया कि:

  • स्पेन NATO के सामूहिक सैन्य व्यय लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहा है।

  • अमेरिका उन देशों पर पुनर्विचार करेगा जो सुरक्षा के क्षेत्र में ‘फ्री राइडर’ बने हुए हैं।

  • स्पेन जैसे देश अगर 2% GDP का रक्षा खर्च नहीं करते, तो अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धताओं पर विचार करना पड़ेगा।

यह ट्रम्प के पुराने विचारों की पुनरावृत्ति है, जहाँ वह अमेरिका की ओर से किए गए सैन्य व्यय को अन्य देशों पर भार मानते हैं


4. NATO विवाद की पृष्ठभूमि: ट्रम्प और यूरोप की दरार

‌2% रक्षा खर्च की मांग

NATO के सभी सदस्य देशों ने 2014 में सहमति जताई थी कि वे अपनी GDP का 2% रक्षा खर्च पर खर्च करेंगे
हालांकि 2025 तक कई यूरोपीय देश, विशेषकर स्पेन, इटली, पुर्तगाल और बेल्जियम, इस लक्ष्य से पीछे हैं।

‌ट्रम्प का रुख

  • ट्रम्प ने यूरोपीय देशों को “अमेरिका की सुरक्षा मुफ्त में लेने वाले” कहकर आलोचना की है।

  • वह चाहते हैं कि अमेरिका अधिक सैन्य जिम्मेदारियाँ न उठाए, जब तक दूसरे सदस्य बराबर योगदान न दें।

‌स्पेन की स्थिति

स्पेन का वर्तमान रक्षा खर्च 1.4% GDP के आसपास है।
हालांकि देश ने 2030 तक इसे बढ़ाने की योजना बनाई है, परंतु आर्थिक मंदी, बेरोज़गारी और राजनीतिक अस्थिरता इसकी राह में बाधा हैं।


5. ट्रम्प बनाम यूरोपीय आयोग: व्यापार पर वैचारिक मतभेद

‌ट्रम्प की व्यापार नीति

  • “America First” नीतियों के तहत ट्रम्प व्यापार समझौतों को पुनः परिभाषित करना चाहते हैं।

  • EU से अतिरिक्त शुल्क, जैसे इस्पात और एलुमिनियम पर टैरिफ, लगाए गए थे।

  • ट्रम्प TTIP (Transatlantic Trade and Investment Partnership) को भी समाप्त करना चाहते थे।

‌यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया

  • EU ने अमेरिका के टैरिफ के जवाब में प्रतिशोधी शुल्क (retaliatory tariffs) लगाए।

  • यूरोपीय आयोग ने एकीकृत नीति के तहत सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे द्विपक्षीय समझौते न करें।


6. स्पेन की प्राथमिकताएँ: आंतरिक मजबूरियाँ और विदेश नीति

स्पेन वर्तमान में कई आंतरिक संकटों से जूझ रहा है:

  • बेरोजगारी दर अब भी यूरोप में सबसे ऊँची है (~11%)।

  • कैटालोनिया संकट के चलते राजनीतिक ध्रुवीकरण बना हुआ है।

  • कोविड-19 के बाद आर्थिक पुनरुद्धार अभी पूरी तरह से स्थिर नहीं हुआ है।

इन परिस्थितियों में स्पेन की सरकार ने स्पष्ट किया है कि:

“हम अमेरिका के साथ सहयोग को महत्व देते हैं, परंतु वह सहयोग हमारी घरेलू स्थिति और यूरोपीय प्रतिबद्धताओं के अनुसार होगा।”


7. व्यापार समझौते और द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव

‌संभावित प्रभाव:

  • अमेरिका और स्पेन के बीच नई व्यापार वार्ताएँ स्थगित हो सकती हैं।

  • अमेरिका स्पेन के निर्यात उत्पादों (जैसे वाइन, जैतून का तेल, ऑटो पार्ट्स) पर टैरिफ बढ़ा सकता है।

  • यूरोपीय संघ को संघर्ष का नया केंद्र माना जा सकता है, विशेषकर यदि अन्य देश अमेरिका के दबाव में आ जाएँ।

‌स्पेन की प्राथमिकता:

  • यूरोपीय बाज़ार को मजबूत बनाए रखना।

  • सामूहिक रूप से अमेरिका से संवाद करना।

  • घरेलू रोजगार और SME क्षेत्र को संरक्षण देना।


8. विशेषज्ञों की राय: क्या स्पेन अमेरिका को नाराज़ कर रहा है?

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के अनुसार:

  • स्पेन की नीति रणनीतिक रूप से सही है क्योंकि यदि एक देश अमेरिका से अलग समझौता करता है, तो यूरोपीय संघ की ताकत कमजोर होगी।

  • ट्रम्प प्रशासन का उद्देश्य यूरोपीय एकता को ‘Divide and Deal’ नीति से तोड़ना है।

  • लेकिन लघु अवधि में, यह स्पेन के निर्यात और सैन्य सहयोग पर असर डाल सकता है।


9. भारत के लिए निहितार्थ: एक संतुलनकारी शक्ति की भूमिका

भारत के लिए यह घटनाक्रम संकेत है कि:

  • EU के साथ व्यापार वार्ताएँ सामूहिक ही होती हैं, और देशों की अलग-अलग प्राथमिकताएँ होती हैं

  • सैन्य दबाव के माध्यम से व्यापारिक डील निकालने की रणनीति दीर्घकालिक रूप से अस्थिर हो सकती है।

  • भारत जैसे देश, जो EU और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाए हुए हैं, कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना चाहते हैं।


10. निष्कर्ष: यूरोप की एकता बनाम अमेरिकी दबाव की नई परीक्षा

स्पेन ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश दे दिया है—हम यूरोपीय हैं, और यूरोप की नीति के अंतर्गत ही कार्य करेंगे। यह रुख यूरोपीय संघ की एकता और प्रभुसत्ता की पुष्टि करता है।

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