भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति मृदा हेल्थ कार्ड से लेकर एआई तक किसानों को मिली नई शक्ति — श्री पीयूष गोयल
दिनांक : 10.07.2025 | Koto News | KotoTrust |Soil Heath Card|
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को राजधानी में आयोजित 16वें एग्रीकल्चर लीडरशिप सम्मेलन में भारत के कृषि क्षेत्र की ऐतिहासिक उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के किसानों को एक सशक्त और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक 25 करोड़ से अधिक मृदा हेल्थ कार्ड वितरित किए हैं जिससे संतुलित उर्वरक उपयोग में सहायता मिली है, और किसान क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से कृषि ऋण की व्यापक पहुंच सुनिश्चित की गई है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि पीएम-किसान योजना के माध्यम से करोड़ों किसान परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई है, जिससे कृषि कार्यों में स्थिरता आई है। उन्होंने कहा कि देश की 1400 से अधिक कृषि मंडियों को ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है, जिससे किसानों को वास्तविक समय पर फसल की कीमत की जानकारी मिलती है और वे बेहतर दाम पर अपनी उपज बेच सकते हैं।
श्री गोयल ने कहा कि भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर खाद्य सुरक्षा प्रदान की है। कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी उर्वरकों की आपूर्ति समय पर सुनिश्चित की गई, जिससे किसानों की बुवाई एवं फसलचक्र बाधित नहीं हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि देश में कृषि निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है, और कृषि, पशुपालन एवं मत्स्यपालन का संयुक्त निर्यात 4 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय किसान न केवल देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वैश्विक खाद्य श्रृंखला में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बासमती चावल, मसाले, फल-सब्जियों, पुष्प कृषि, मत्स्य पालन और पोल्ट्री क्षेत्र में भारत की वैश्विक उपस्थिति को रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया, यूएई, ईएफटीए और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे भारतीय कृषि उत्पादों को नए वैश्विक बाजारों में पहुंच मिल रही है। इन समझौतों के कारण किसानों को निर्यात योग्य फसलों की खेती में बढ़ावा मिला है।
श्री गोयल ने भविष्य के लिए सरकार की रणनीति साझा करते हुए कहा कि बीज की गुणवत्ता, प्राकृतिक और जैविक खेती, ड्रिप सिंचाई प्रणाली और सटीक कृषि तकनीकों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे किसानों की लागत घटेगी और उत्पादकता बढ़ेगी।
उन्होंने विशेष रूप से डिजिटल कृषि को लेकर सरकार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), भू-स्थानिक तकनीक, मौसम पूर्वानुमान प्रणाली, ऊर्ध्वाधर खेती (Vertical Farming) और AI-सक्षम उपकरणों के माध्यम से कृषि को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
श्री गोयल ने एफपीओ (FPOs) और सहकारी समितियों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि ये संस्थाएं डिजिटल कृषि नवाचारों को खेतों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन संगठनों को वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध करवा रही है।
डिजाइन, ब्रांडिंग और पैकेजिंग जैसे पहलुओं पर बोलते हुए श्री गोयल ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन से किसान बेहतर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। इससे न केवल घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए वित्तीय आवंटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। भंडारण और वेयरहाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने की दिशा में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि किसानों को अपनी फसल को उचित मूल्य मिलने तक संरक्षित करने की सुविधा मिल सके।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे अनेक नवाचारों और किसान-कल्याण योजनाओं के कारण आज भारतीय किसान न केवल स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भर बना है, बल्कि वैश्विक कृषि बाजार में भी अपनी पहचान बना रहा है। “लोकल से ग्लोबल” का यह दृष्टिकोण कृषि क्षेत्र के हर पहलू—उत्पादन, मूल्य संवर्धन, विपणन, निर्यात और तकनीक—को एकीकृत करते हुए किसानों को भविष्य की कृषि की ओर अग्रसर कर रहा है।
सरकार द्वारा अब तक 25 करोड़ से अधिक मृदा हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। ये कार्ड किसानों को उनकी भूमि की पोषक तत्व आवश्यकताओं की वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करते हैं। इससे किसानों को यह जानने में सहायता मिली कि किस फसल के लिए कौन सा उर्वरक और किस अनुपात में उपयोग किया जाए। परिणामस्वरूप, अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आई, मृदा की उत्पादकता बढ़ी, और किसानों की उर्वरक पर होने वाली लागत में कमी आई। इस पहल ने कृषि को सतत और पर्यावरण-अनुकूल दिशा में अग्रसर किया है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) पहल के अंतर्गत देशभर की 1400 से अधिक मंडियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। इस डिजिटल कनेक्टिविटी से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अब स्थानीय आढ़तियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वे देश के किसी भी स्थान से बेहतर बोली लगाकर अपनी उपज को अधिक मूल्य पर बेच सकते हैं। इससे कृषि विपणन प्रणाली में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और किसानों की मोल-भाव की शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पीएम-किसान योजना के तहत देश के सभी पात्र लघु और सीमांत किसानों को सालाना ₹6,000 की सीधी सहायता तीन किश्तों में उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। इस योजना ने किसानों को बीज खरीद, उर्वरक, उपकरण या अन्य कृषि संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति में वित्तीय राहत दी है। अब तक करोड़ों किसान परिवार इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह बढ़ा है और किसानों की आत्मनिर्भरता को मजबूती मिली है।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA), और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) किए हैं। इन समझौतों ने भारतीय कृषि उत्पादों के लिए नए अंतरराष्ट्रीय बाजार खोल दिए हैं। बासमती चावल, मसाले, जैविक उत्पाद, फल-सब्जियां और मछली जैसे उत्पादों की मांग इन देशों में लगातार बढ़ रही है। इससे न केवल निर्यात में वृद्धि हुई है, बल्कि किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर कीमत और स्थायी बाजार भी प्राप्त हुआ है।
भारत सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के अंतर्गत कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन, स्मार्ट सेंसर और मौसम पूर्वानुमान तकनीकों को कृषि क्षेत्र में लागू कर रही है। इससे किसानों को सटीक जानकारी और सुझाव प्राप्त हो रहे हैं जैसे — कब बुवाई करें, किसकीटनाशक का प्रयोग करें, कब सिंचाई करें, आदि।
AI-सक्षम उपकरणों और मोबाइल ऐप के माध्यम से कृषि निर्णय अब वैज्ञानिक आधार पर लिए जा रहे हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि और जोखिम में कमी हुई है।
कृषि क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठन (FPOs) और सहकारी समितियों की भूमिका निरंतर सशक्त हो रही है। इन संगठनों के माध्यम से किसानों को थोक में बीज, उर्वरक और उपकरणों की खरीद सस्ती दरों पर उपलब्ध होती है। साथ ही वे मिलकर फसल की प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और बिक्री भी करते हैं। सरकार इन संगठनों को वित्तीय अनुदान, प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान कर रही है।
FPOs और सहकारी समितियां किसानों को आत्मनिर्भर और उद्यमी बना रही हैं।
Source : PIB