Fishes in Ramsevak Nishad’s pond : रामसेवक निषाद के तालाब में मछलियों की रहस्यमयी मौत से टूटा आजीविका का सहारा, प्रशासनिक जांच जारी
1 min read

Fishes in Ramsevak Nishad’s pond : रामसेवक निषाद के तालाब में मछलियों की रहस्यमयी मौत से टूटा आजीविका का सहारा, प्रशासनिक जांच जारी

दिनांक : 27.07.2025 | Koto News | KotoTrust | Maharajganj | Uttar Pradesh |

संवाददाता महाराजगंज : ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज जो कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के पनियारा थाना क्षेत्र में आता है, वहां के एक मेहनती मछली पालक रामसेवक निषाद के लिए 24 जुलाई 2025 की सुबह जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर आई। सुबह लगभग 6:30 बजे जब वे प्रतिदिन की तरह अपने तालाब पर पहुँचे, तो सामने का दृश्य देखकर वे स्तब्ध रह गए। तालाब की सतह पर सैकड़ों मरी हुई मछलियां तैर रही थीं। यह केवल उनकी आजीविका पर संकट नहीं था, बल्कि गांव के पर्यावरण और सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह था।

मछली पालन एक ग्रामीण सपने की नींव

रामसेवक निषाद ने वर्ष 2013 में पारंपरिक खेती के साथ मछली पालन को अपनाया। अपनी आधा एकड़ की भूमि में उन्होंने निजी तालाब खुदवाया और उसमें रोहू, कतला, मृगला जैसी प्रजातियाँ पालीं। यह मेहनत और ईमानदारी से खड़ा किया गया व्यवसाय उनकी प्रमुख आय का स्रोत था। वे अपने उत्पाद मंडियों में बेचते थे और महीने में ₹20,000 से ₹30,000 तक की आमदनी होती थी। इस साल तालाब में लगभग 5 क्विंटल मछलियाँ तैयार थीं, जिनका बाजार मूल्य ₹3 से ₹4 लाख रुपये आंका जा रहा था। अब यह सब एक झटके में समाप्त हो चुका है।

पुलिस जांच और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

घटना की जानकारी मिलने पर रामसेवक निषाद ने 24 जुलाई को ही पनियारा थाना जाकर मौखिक रूप से रिपोर्ट की। पुलिस की टीम मौके पर पहुँची और प्रारंभिक निरीक्षण किया।

ग्रामीणों का आक्रोश और चिंता

गांव के लोगों ने इस घटना को “सोची-समझी साजिश” बताया है। उनका कहना है कि रामसेवक निषाद की प्रगति कुछ लोगों को पसंद नहीं थी और शायद इसी कारण तालाब में रसायन डाला गया। ग्रामीणों में भय का माहौल है कि अगला नंबर किसका होगा? पंचायत स्तर पर भी बैठकें हुईं और निर्णय लिया गया कि प्रशासन को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए।

गांवों में जीवन आमतौर पर शांत और आत्मनिर्भर होता है — खेत, तालाब, पशुपालन, और मेहनतकश लोग। लेकिन जब इसी जीवन को कोई अज्ञात शत्रु भीतर से तोड़ने लगे, तो केवल एक व्यक्ति नहीं, पूरा समाज चुपचाप कराहने लगता है। कुछ ऐसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के पनियारा थाना अंतर्गत ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज में, जहां एक साधारण किसान की रातों की नींद और वर्षों की मेहनत एक ही सुबह में लुट गई।

घटना की पृष्ठभूमि

24 जुलाई 2025 की सुबह, रामसेवक निषाद रोज़ की तरह लगभग सुबह 6:30 बजे अपने मछली पालन वाले तालाब पर पहुंचे। हर दिन की तरह उस दिन भी वे अपने पालन किए गए रोहू, कतला और मृगला प्रजातियों को चारा देने वाले थे। परंतु उस दिन तालाब का दृश्य वैसा नहीं था जैसा प्रतिदिन होता था।

तालाब की सतह पर दर्जनों नहीं, सैकड़ों मरी हुई मछलियाँ तैर रही थीं। पानी की सतह पर झाग और तेज़ दुर्गंध थी। रामसेवक वहीं बैठकर देर तक निहारते रहे – निस्तब्ध, असहाय और टूटा हुआ।

पीड़ित – रामसेवक निषाद की कहानी

रामसेवक निषाद, वर्ष 2013 से मछली पालन कर रहे हैं। खेती से अधिक आय नहीं होती थी, इसलिए उन्होंने बैंक से ऋण लेकर अपनी एक बीघा भूमि में तालाब खुदवाया और मछली पालन की शुरुआत की। उन्होंने स्वयं प्रशिक्षण लिया, मछलियों की नस्ल का चयन किया और हर मौसम में पूरी मेहनत से तालाब की देखभाल की।

इस वर्ष, उनका तालाब लगभग 5 क्विंटल मछलियों से भर चुका था। बाज़ार मूल्य के अनुसार, ₹3 से ₹4 लाख रुपये की मछलियाँ तैयार थीं। यह आय उनकी बेटी की शादी और घर की मरम्मत के लिए नियोजित थी। लेकिन अब सब समाप्त हो चुका है।

पुलिस जांच और प्रशासनिक पहल

घटना की सूचना मिलने पर रामसेवक निषाद ने उसी दिन, 24 जुलाई को मौखिक रूप से थाना पनियारा को सूचित किया। स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंची, तालाब का निरीक्षण किया और पंचनामा तैयार किया

रसायन से मछलियों की हत्या की आशंका

ग्रामीणों और पुलिस दोनों को आशंका है कि किसी ने जानबूझकर तालाब में कीटनाशक या रासायनिक पदार्थ मिलाया है। मरी हुई मछलियों की आंखों और गलफड़ों की स्थिति, पानी की बदबू, झाग और सतह पर बने तेल जैसा परत इस आशंका को पुख्ता करते हैं।

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की आर्थिक क्षति नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण व्यवसाय के लिए खतरे की घंटी है।

गांव का माहौल और ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

गांव में भय का माहौल है। मछली पालन करने वाले कई अन्य किसान चिंतित हैं कि यदि दोषियों को पकड़कर दंडित नहीं किया गया, तो अगला निशाना कोई और हो सकता है।

रामसेवक निषाद का भावुक बयान

मैंने सालों की मेहनत से ये तालाब खड़ा किया था। अब सब खत्म हो गया। मेरे पास नया बीज लाने या तालाब की सफाई के लिए पैसे नहीं हैं। सरकार से अपील है कि मुझे न्याय मिले।

आर्थिक प्रभाव

रामसेवक जैसे छोटे किसान के लिए ₹4 लाख रुपये का नुकसान केवल धन का ह्रास नहीं, बल्कि भविष्य की योजनाओं का अंत है। अगली फसल के लिए बीज, खाद, तालाब की सफाई – कुछ भी संभव नहीं दिख रहा।

सामाजिक प्रभाव

गांव में भय और अविश्वास का वातावरण है। मछली पालकों में हतोत्साह बढ़ा है और सामाजिक रिश्तों में तनाव महसूस किया जा रहा है।

पर्यावरणीय प्रभाव

यदि जल में रसायन मिला है, तो वह केवल मछलियों को नहीं, आसपास के पशु-पक्षियों और भूमिगत जल स्रोतों को भी प्रभावित करेगा। लंबे समय तक इसका प्रभाव रह सकता है।

1. यह घटना कब और कहाँ हुई?
यह घटना 24 जुलाई 2025 की सुबह लगभग 6:30 बजे उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज, थाना पनियारा अंतर्गत ग्राम बिनटोलिया, मौलागंज में हुई।

2. किस व्यक्ति को इस घटना से नुकसान हुआ है?
पीड़ित व्यक्ति रामसेवक निषाद हैं, जो वर्ष 2013 से मछली पालन कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

3. घटना क्या थी?
रामसेवक निषाद जब सुबह तालाब पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि सैकड़ों मछलियाँ मृत पड़ी थीं। तालाब में झाग, दुर्गंध और सतह पर तेल जैसा पदार्थ था, जिससे रासायनिक जहर की आशंका जताई जा रही है।

4. घटना की सूचना कब और कैसे दी गई?
रामसेवक निषाद ने 24 जुलाई को मौखिक रूप से थाना पनियारा में सूचना दी। पुलिस ने प्रारंभिक जांच की और पानी के नमूने जांच के लिए भेजे।

5. कितना आर्थिक नुकसान हुआ है?
तालाब में लगभग 5 क्विंटल मछलियाँ थीं, जिनका बाज़ार मूल्य ₹80-₹100 प्रति किलो के हिसाब से ₹3-4 लाख रुपये आंका गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *