सम्पादक : निषाद कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |गोरखपुर जिले के गोरखनाथ थाना क्षेत्र के अंतर्गत रामपुर नया गाँव में कुंज बिहारी निषाद हत्या कांड को लेकर चल रहा धरना बुधवार को नौवें दिन भी जारी रहा। घटना के बाद से न्याय और सम्मानजनक मुआवजे की मांग को लेकर परिजन व मोहल्ले के लोग डटे हुए हैं। धरना के दूसरे दिन से भूख हड़ताल पर बैठे परिजनों से मिलने बुधवार को एसडीएम सदर एवं क्षेत्राधिकारी (सीओ) गोरखनाथ पहुंचे। उन्होंने धरनास्थल पर पहुँचकर अनशन समाप्त करने की अपील की, परंतु कोई ठोस आश्वासन न मिलने पर परिजनों ने प्रशासन की बात मानने से इनकार कर दिया।
धरनास्थल पर अब आंदोलन का स्वर और तीव्र होता जा रहा है। विभिन्न सामाजिक संगठनोंविभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को भाकपा (माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड श्री राम चौधरी ने पहुँचकर भूख हड़तालियों का हौसला बढ़ाया। वहीं समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष शब्बीर कुरैशी भी अपने दर्जनों साथियों के साथ धरना स्थल पर पहुँचे और निषाद परिवार को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। प्रशासनिक वार्ता विफल धरने के नौवें दिन सुबह करीब 11 बजे एसडीएम सदर एवं सीओ गोरखनाथ पुलिस बल के साथ धरनास्थल पर पहुँचे। उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे परिजनों — मनोज निषाद और बजरंगी लाल निषाद — से मुलाकात की और उन्हें अनशन समाप्त करने की अपील की। अधिकारियों ने कहा कि मामला गंभीर है, सरकार संवेदनशील है और जांच जारी है। उन्होंने हड़ताल समाप्त करने को कहा ताकि प्रशासनिक प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। लेकिन, परिजनों और ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि जब तक कुंज बिहारी निषाद के परिवार को आर्थिक सहायता नहीं दी जाती और मोहल्ले के निर्दोष लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए जाते, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। बिना किसी ठोस आश्वासन के केवल “अनुरोध” पर अनशन समाप्त करने की अपील को लोगों ने औपचारिकता बताया। परिणामस्वरूप वार्ता असफल रही और प्रशासनिक टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा।
राजनीतिक समर्थन से आंदोलन को नई ऊर्जा प्रशासनिक वार्ता विफल होने के बाद धरनास्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। दोपहर बाद भाकपा (माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड श्री राम चौधरी पहुँचे। उन्होंने धरना स्थल से कहा यह सर/कार भेदभाव की राजनीति कर रही है। मुख्यमंत्री के नाक के नीचे एक निषाद युवक की निर्मम हत्या कर दी जाती है और उल्टे उसी गाँव के निर्दोष ग्रामीणों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है। यह न्याय नहीं, अन्याय का सबसे बड़ा उदाहरण है। जनता के संघर्ष से ही ऐसी अन्यायी व्यवस्था को झुकाया जा सकता है। कामरेड चौधरी ने कहा कि भाकपा (माले) पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और जब तक न्याय नहीं मिलता, आंदोलन को हर स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष शब्बीर कुरैशी भी अपने दर्जनों साथियों के साथ धरनास्थल पहुँचे। उन्होंने कहा कि “समाजवादी पार्टी अन्याय और दमन की राजनीति के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है। कुंज बिहारी निषाद की हत्या पर सरकार की चुप्पी बहुत कुछ कहती है।” उन्होंने निषाद परिवार को हर स्तर पर कानूनी और राजनीतिक मदद का भरोसा दिया। धरना स्थल पर सूरज भैया (भारत सरकार द्वारा सम्मानित समाजसेवी), निशा जयप्रकाश (सहजनवा), मंजेश यादव, महेंद्र तिवारी (प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, सपा), इमरान दानिश अंसारी, ब्रिज भवन मौर्य, राम भवन शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
निषाद समाज में बढ़ता असंतोष और एकजुटता धरना अब केवल कुंज बिहारी निषाद के परिवार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र में निषाद समाज के सम्मान और न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मामला जातीय पक्षपात और पुलिसिया मनमानी का द्योतक है। राज्य स्थाई समिति सदस्य राजेश साहनी, नीतू, किरण, लालमति, अनीता निषाद, गोविंद चौहान, मनोज निषाद, पवन साहनी सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी उपस्थिति से धरना को बल दिया। महिलाओं ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। स्थानीय महिलाएँ नारे लगाते हुए प्रशासन से “हत्या के दोषियों की गिरफ्तारी” और “निर्दोष ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमों की वापसी” की मांग करती रहीं। इस दौरान कई स्थानीय संगठनों ने पीड़ित परिवार के लिए राशन, पानी और दवा की व्यवस्था की। गाँव के युवाओं ने दिन-रात धरना स्थल की व्यवस्था संभाल रखी है। शाम होते-होते माहौल भावनात्मक हो उठा जब कुंज बिहारी निषाद की पत्नी और माँ ने अपने बेटे की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर न्याय की गुहार लगाई। का संघर्ष बनाम प्रशासन की चुप्पी धरनास्थल की स्थिति अब प्रतीकात्मक विरोध से आगे बढ़ चुकी है। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन और सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को जिला मुख्यालय तक ले जाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ़ हत्या का नहीं, बल्कि राज्य की नीतिगत निष्क्रियता और पुलिस-जनता के संबंधों की परीक्षा बन चुका है।
भूख हड़ताल पर बैठे मनोज निषाद ने कहा हम तब तक एक निवाला भी नहीं लेंगे जब तक सरकार हमारे साथ हुए अन्याय को स्वीकार नहीं करती और दोषियों पर कार्रवाई नहीं करती। यह सिर्फ़ कुंज बिहारी की नहीं, पूरे निषाद समाज की लाज का सवाल है। धरना स्थल पर माहौल शांतिपूर्ण है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक मौन को लेकर जनता में गहरा रोष है। स्थानीय बुद्धिजीवियों ने कहा कि यह आंदोलन ग्रामीण भारत की उस आवाज़ का प्रतीक है जो अपने अधिकारों के लिए खुद खड़ी हो रही है।
रात तक सैकड़ों की भीड़ डटी रही, और लोगों ने मोमबत्ती जलाकर “न्याय दो – निषाद को न्याय दो” के नारे लगाए।
के प्रतिनिधियों ने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी और आंदोलन को “न्याय की ऐतिहासिक लड़ाई” बताया।
महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही — उन्होंने धरनास्थल पर भजन-कीर्तन कर दिवंगत कुंज बिहारी निषाद की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की, साथ ही न्याय की मांग दोहराई।
पाँचवें दिन स्थानीय व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान कुछ घंटे बंद रखकर आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखाई।
धरना स्थल मीडिया का केंद्र बन गया। कई स्थानीय और क्षेत्रीय पत्रकारों ने वहाँ पहुँचकर रिपोर्टिंग की। समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर “रामपुर नया गाँव न्याय आंदोलन” ट्रेंड करने लगा।
गाँव के बच्चे और बुजुर्ग भी आंदोलन के प्रतीक बन गए — किसी ने तख्ती पर “हम भी न्याय चाहते हैं” लिखा, तो किसी ने अपनी जेब खर्च से मोमबत्ती खरीदी।
यह अवधि धरने के जन-आंदोलन में बदलने का निर्णायक चरण थी।
भूख हड़ताल की घोषणा – आंदोलन को नया मोड़ प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया न मिलने पर परिजनों ने सातवें दिन भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा कर दी। मनोज निषाद, बजरंगी लाल निषाद और दो अन्य परिजन तंबू के भीतर शांतिपूर्वक बैठे और अनिश्चितकालीन उपवास का संकल्प लिया।
धरना स्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ती गई। महिलाएँ और युवक नारे लगा रहे थे –न्याय दो या जान लो हत्या का जवाब कार्रवाई से दो भूख हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती। यह निर्णय आंदोलन को एक गंभीर और निर्णायक मोड़ पर ले गया। भूख हड़ताल की घोषणा के साथ ही मीडिया की नज़र और राजनीतिक दलों का ध्यान इस मुद्दे पर केंद्रित हो गया।गाँव के आसपास पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई, लेकिन माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण बना रहा।
प्रशासन की सक्रियता और वार्ता की कोशिश प्रशासन हरकत में आया। जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम सदर और सीओ गोरखनाथ को वार्ता के लिए भेजा गया।
दोपहर बाद दोनों अधिकारी धरनास्थल पहुँचे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात की, हालचाल जाना और उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की।
अधिकारियों ने कहा कि “सर/कार मामले को गंभीरता से ले रही है, रिपोर्ट तलब की गई है, और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।”
लेकिन जब परिजनों ने पूछा कि “क्या मुआवजा और मुकदमा वापसी पर कोई लिखित आश्वासन है?”, तो अधिकारी मौन रहे।
इससे नाराज़ होकर परिजनों ने वार्ता को “औपचारिकता” करार दिया।
गाँव के लोग यह मानने को तैयार नहीं थे कि सिर्फ़ वादों से न्याय मिलेगा।
वार्ता के बाद प्रशासनिक टीम लौट गई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
धरनास्थल पर बैठे लोगों ने कहा कि यदि प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाएगा, तो यह आंदोलन अब जिला मुख्यालय तक पहुँचेगा। भूख हड़ताल जारी थी और प्रशासन की चुप्पी पर ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था।
इसी दौरान भाकपा (माले) के केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड श्री राम चौधरी गाँव पहुँचे। उन्होंने धरनास्थल पर संबोधन करते हुए कहा —
मुख्यमंत्री के नाक के नीचे एक निषाद युवक की हत्या हो जाती है और सर/कार न्याय देने की जगह निर्दोषों पर मुकदमे थोप रही है। यह लोकतंत्र नहीं, अत्याचार का प्रतीक है। जनता के संघर्ष से ही यह लड़ाई जीती जाएगी।”
उनके वक्तव्य से धरनास्थल पर बैठे लोगों में नई ऊर्जा आ गई।
थोड़ी देर बाद समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष शब्बीर कुरैशी अपने साथियों सहित पहुँचे और भूख हड़तालियों को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि सपा हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ती रही है और निषाद समाज के सम्मान की रक्षा करेगी।
धरनास्थल पर लोगों की भारी भीड़ रही। भाकपा (माले) के राज्य स्थाई समिति सदस्य राजेश साहनी, नीतू, किरण, लालमति, अनीता निषाद, गोविंद चौहान, पवन साहनी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
नगर अध्यक्ष शब्बीर कुरैशी अपने साथियों सहित पहुँचे और भूख हड़तालियों को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि सपा हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ती रही है और निषाद समाज के सम्मान की रक्षा करेगी।
धरनास्थल पर लोगों की भारी भीड़ रही। भाकपा (माले) के राज्य स्थाई समिति सदस्य राजेश साहनी, नीतू, किरण, लालमति, अनीता निषाद, गोविंद चौहान, पवन साहनी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)