गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल के किसानों की खुशहाली का मार्ग

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल के किसानों की खुशहाली का मार्ग

गोरखपुर – उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल में विकास की गति को रफ्तार देने के उद्देश्य से शुरू की गई गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना अब केवल बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं रही, बल्कि किसानों की खुशहाली और ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक उत्थान का प्रतीक बन गई है। इस परियोजना ने पूर्वांचल के उन हिस्सों को आधुनिक भारत की मुख्यधारा से जोड़ दिया है, जो लंबे समय से विकास की बाट जोह रहे थे।

एक्सप्रेसवे का महत्व और प्रभाव

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना है, जो गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ता है। इसके निर्माण से गोरखपुर से लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी और दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक यातायात अधिक तेज और सुविधाजनक हो गया है। यह एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भी पूर्वांचल को एक आकर्षक गंतव्य बना रहा है।

किसानों को मिला न्याय और सम्मान

इस परियोजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसमें शामिल 22029 किसानों को उनकी जमीन का समुचित और पारदर्शी तरीके से 2030.29 करोड़ रुपये का मुआवजा प्रदान किया गया। सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी किसान अपने अधिकार से वंचित न हो। सभी को समय पर भुगतान हुआ और उन्हें जमीन की कीमत बाजार दर पर मिली।

किसानों का अनुभव

गांव कुसम्ही के किसान रामआसरे यादव बताते हैं, “हमारी जमीन पहले उपज के लिए सीमित थी, लेकिन जब सरकार ने हमारी जमीन एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की, तो हमें उसका उचित दाम मिला। आज उसी पैसे से हमने ट्रैक्टर, बोरिंग और बच्चों की पढ़ाई का इंतज़ाम किया है। अब गांव में भी सड़कें बन रही हैं और कारोबार बढ़ रहा है।”

1148.77 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण, 172 गांवों को मिला लाभ

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संत कबीरनगर और आजमगढ़ जिलों के 172 गांवों से कुल 1148.77 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। यह भूमि अधिग्रहण पूरी तरह न्यायसंगत, पारदर्शी और किसान हितैषी रहा। सरकार ने डिजिटलीकरण के माध्यम से मापजोख और दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित की।

पारदर्शिता बनी पहचान

इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं मिली। जमीन के मुआवजे के लिए किसानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना पड़ा, जिसमें उनकी बैंक जानकारी और भूमि के दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। भुगतान सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर किए गए।

सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल का परिणाम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस परियोजना की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि भूमि अधिग्रहण पूरी तरह से पारदर्शी हो और किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया कि जिन किसानों की आजीविका का साधन केवल खेती थी, उन्हें मुआवजा के साथ-साथ पुनर्वास और जीविकोपार्जन के वैकल्पिक साधन भी उपलब्ध कराए जाएं।

आर्थिक व सामाजिक विकास की दिशा में परिवर्तन

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे केवल एक सड़क मार्ग नहीं है, यह आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की रेखा बन चुकी है। इससे जुड़ी ग्रामीण आबादी को अब अधिक सुविधाएं, रोजगार के अवसर और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगी हैं। बाज़ारों तक पहुँच आसान हो गई है, जिससे कृषि उत्पादों की कीमत बेहतर मिल रही है और किसानों को आर्थिक लाभ हो रहा है।

युवाओं के लिए अवसर

एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान हजारों युवाओं को निर्माण कार्यों में रोजगार मिला। वहीं अब जब मार्ग बनकर तैयार है, तो इसके आस-पास लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउस, पेट्रोल पंप, ढाबे और रिटेल स्टोर खुलने लगे हैं। इससे क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।

पर्यावरण संरक्षण का भी रखा गया ध्यान

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मानकों का भी विशेष ध्यान रखा गया। हजारों पेड़ों की कटाई के बदले में अधिक संख्या में नए पौधे लगाए गए। सौर ऊर्जा से जलने वाले लाइट पोल, वर्षा जल संचयन प्रणाली और हरित पट्टियों का निर्माण भी किया गया है।

पूर्वांचल को जोड़ने वाला यह लिंक बना ‘लाइफलाइन’

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अब पूर्वांचल की ‘लाइफलाइन’ बन चुका है। यह न केवल एक शहर को दूसरे से जोड़ता है, बल्कि दिलों को, अवसरों को और सपनों को जोड़ने वाला मार्ग बन गया है। गोरखपुर, बस्ती, संत कबीरनगर, आजमगढ़ जैसे जिलों में निवेशक अब रुचि दिखा रहे हैं। इससे ग्रामीण से शहरी क्षेत्र की दूरी कम हो रही है।

किसानों की नई पहचान: आत्मनिर्भर भारत के भागीदार

गांव के वे किसान जो पहले महज सीमित खेती तक सीमित थे, आज व्यापारी, उद्यमी और निवेशक की भूमिका निभा रहे हैं। कई किसानों ने मुआवजा राशि का उपयोग कर डेयरी फार्म, बागवानी, मुर्गी पालन, ट्रैक्टर सर्विस, और स्थानीय दुकानों का संचालन शुरू किया है। इससे उनका जीवनस्तर भी ऊंचा हुआ है और गांवों में समृद्धि की एक नई हवा बह रही है।


निष्कर्ष: एक योजना, कई बदलाव

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह पूर्वांचल की प्रगति और किसानों की खुशहाली का प्रत्यक्ष उदाहरण बन चुका है। सरकार की पारदर्शी नीति, न्यायसंगत मुआवजा प्रणाली और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सक्रिय नेतृत्व क्षमता ने इस परियोजना को “विकास और विश्वास का प्रतीक” बना दिया है।

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