नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्रधानमंत्री तथा मन्त्रिपरिषद् कार्यालय में देश की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के शीर्ष नेताओं की एक उच्चस्तरीय बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता नेपाल के माननीय प्रधानमंत्री श्री के.पी. शर्मा ओली ने की। बैठक का प्रमुख उद्देश्य संक्रमणकालीन न्याय (Transitional Justice) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना तथा मौजूदा राजनीतिक चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना था।
बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख नेता:
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के.पी. शर्मा ओली, प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (यूएमएल) के वरिष्ठ नेता
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शेर बहादुर देउबा, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष
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पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’, माओवादी केंद्र के अध्यक्ष
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अन्य प्रमुख पदाधिकारी एवं कानूनी विशेषज्ञ भी बैठक में उपस्थित रहे।
संक्रमणकालीन न्याय को लेकर बनी सहमति की दिशा
बैठक में विशेष रूप से उन पीड़ितों की न्यायिक मांगों को संबोधित करने पर चर्चा हुई, जो नेपाल के दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष (1996–2006) से प्रभावित हुए थे।
संक्रमणकालीन न्याय की प्रक्रिया दो प्रमुख आयोगों –
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सत्य निरूपण आयोग
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बेपत्ता छानबीन आयोग
के माध्यम से संचालित हो रही है, लेकिन यह प्रक्रिया वर्षों से ठप पड़ी हुई थी।
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सरकार को अब इन आयोगों को प्रभावी बनाने, न्याय प्रक्रिया को तेज़ करने, और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस नीति-निर्णय लेने होंगे।
राजनीतिक स्थिरता और विधायी प्राथमिकताएँ भी एजेंडे में
बैठक में संक्रमणकालीन न्याय के अतिरिक्त संविधान कार्यान्वयन, संघीयता को मजबूती देना, आर्थिक पुनरुत्थान, तथा आगामी चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसे मुद्दों पर भी विचार हुआ।
तीनों दलों ने यह माना कि राजनीतिक सहमति के बिना नेपाल का लोकतांत्रिक तंत्र सुदृढ़ नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री ओली का वक्तव्य
बैठक के बाद प्रधानमंत्री ओली ने संक्षिप्त बयान में कहा:
“हमारी ज़िम्मेदारी है कि देश की पीड़ा झेल चुके नागरिकों को न्याय मिले। यह समय राजनीतिक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता दिखाने का है।”
सर्वदलीय समन्वय की दिशा में एक पहल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास में एक सकारात्मक संकेत है, जिसमें पूर्ववर्ती संघर्षों को लेकर सुलह और समाधान की पहल की जा रही है।
निष्कर्ष:
आज की उच्चस्तरीय बैठक संक्रमणकालीन न्याय को गति देने और राजनीतिक एकता को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। यदि सभी दल मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो नेपाल की लोकतांत्रिक यात्रा और न्यायिक प्रणाली एक नई दिशा पा सकती है।