चौदण्डीगढी नगरपालिका–7 के वडाध्यक्ष केशव अधिकारी द्वारा मेयर की कार्यशैली और अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाना अब उन पर भारी पड़ता दिख रहा है। नगरपालिका की 12वीं कार्यपालिका बैठक में एक विवादास्पद निर्णय लेते हुए अधिकारी का मासिक सेवा भत्ता रोकने का निर्णय लिया गया है।
कार्यपालिका की बैठक में पारित निर्णय
बैशाख 21, 2082 को सम्पन्न हुई नगरपालिका कार्यपालिका बैठक में पारित निर्णय में कहा गया है कि:
“केशव अधिकारी द्वारा विगत वर्षों से वडाअध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी नहीं निभाना, बिना सूचना के अन्य सदस्य को कार्यवाहक बनाना, कार्यपालिका व नगरसभा बैठकों में अनुपस्थित रहना तथा नगर कार्यप्रणाली के कानूनों का पालन न करना पाया गया है। अतः निर्णयानुसार उन्हें उनके कर्तव्यों के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए, अगली व्यवस्था होने तक उन्हें मिलने वाली सेवा सुविधाएं रोकने और आगामी बजेट योजनाओं की तैयारी की जिम्मेदारी अन्य वडासदस्यों को सौंपी जाती है।”
इसके अनुसार वाड नं. ७ के लिए आगामी आर्थिक वर्ष की योजनाएं अब उदय राज भुजेल, तिलावती राई, और राजेश श्रेष्ठ की संयोजन में बनाई जाएंगी।
केशव अधिकारी का पक्ष: “भत्ता रोकना राजनीति से प्रेरित”
सोमवार की सुबह “नया पत्रिका” से बात करते हुए वडाअध्यक्ष केशव अधिकारी ने बताया कि उन्होंने चैत्र से ही कोई सेवा सुविधा प्राप्त नहीं की है और जब उन्होंने इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें बताया गया कि कार्यपालिका की बैठक द्वारा उनका भत्ता रोका गया है। उन्होंने कहा, “मैं अब न्याय के लिए अदालत जाने की तैयारी कर रहा हूँ।”
उन्होंने यह भी कहा कि सोमवार को आयोजित कार्यपालिका बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया, लेकिन उन्हें फेसबुक के माध्यम से जानकारी मिली, इसलिए वे बैठक में अपनी उपस्थिति देने जाएंगे। अधिकारी ने दो टूक कहा, “मैंने वाड का सारा काम स्वयं किया है। प्रशासन से लेकर सेवा वितरण तक में मेरी पूरी भागीदारी रही है।”
अवैध उत्खनन के विरुद्ध संघर्ष
वडाअध्यक्ष अधिकारी ने बताया कि उन्होंने चौदण्डीगढी–२ और ४ स्थित लमाखोला और मदिबास खोला में गिट्टी, बालुवा, ढुंगा के अवैध उत्खनन के विरुद्ध मुखर विरोध दर्ज कराया था। इसके विरोध में उन्होंने बैशाख १९, २०८२ को जिल्ला प्रशासन कार्यालय में ज्ञापन पत्र भी सौंपा था।
इसके साथ ही उन्होंने मेयर कलुमान लामा के विरुद्ध राजस्व हिनामिना और रिश्तेदारों के नाम पर उत्खनन कार्य करवाने के आरोप में ईटहरी स्थित अख्तियार दुरुपयोग अनुसन्धान आयोग (CIAA) में औपचारिक उजुरी भी दायर की थी।
अधिकारी ने कहा कि, “जांच की प्रक्रिया चल रही है। मैं कानूनी मार्ग से लड़ाई जारी रखूंगा।”
जनता और स्थानीय समर्थन
अधिकारी के अनुसार, जिस अवैध उत्खनन का उन्होंने विरोध किया, उससे स्थानीय समुदाय की जमीन, जल स्रोत, और सड़कें प्रभावित हुईं। जब उन्होंने विरोध किया, तब स्थानीय बासिन्दा भी उनके समर्थन में आए। उनका कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
सत्तारूढ़ दल UML के भीतर फूट?
गौर करने वाली बात यह है कि चौदण्डीगढी नगरपालिका के अधिकांश जनप्रतिनिधि तथा वडाअध्यक्ष अधिकारी सीपीएन-यूएमएल से निर्वाचित हैं। लेकिन इस घटनाक्रम से यह संकेत मिलता है कि यूएमएल के भीतर भी आंतरिक मतभेद गहराते जा रहे हैं।
वडाअध्यक्ष अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि वह पार्टी के नीतियों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं, लेकिन जब नगर प्रमुख ही निजी लाभ के लिए नियमों की अनदेखी करें, तो सवाल उठाना आवश्यक है।
निष्कर्ष
चौदण्डीगढी नगरपालिका में वडाअध्यक्ष के भत्ते को रोकने का निर्णय केवल प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि इसमें राजनीतिक मतभेद, पारदर्शिता की मांग, और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप गहराई से जुड़े हुए हैं। आने वाले दिनों में यह विवाद कानूनी, राजनीतिक और सामाजिक रूप से बड़ा मोड़ ले सकता है।
यदि वडाअध्यक्ष अधिकारी वास्तव में अदालत की शरण लेते हैं और अख्तियार आयोग की जांच आगे बढ़ती है, तो यह प्रकरण चौदण्डीगढी नगरपालिका की राजनीति में भूकंप ला सकता है।