भारत बना प्रौद्योगिकी का वैश्विक अगुवा, पिछली एक दशक की उपलब्धियों पर डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन

भारत बना प्रौद्योगिकी का वैश्विक अगुवा, पिछली एक दशक की उपलब्धियों पर डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में बीते 11 वर्षों की उपलब्धियों पर आधारित एक महत्वपूर्ण संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि पिछले 11 वर्षों ने तकनीक को भारत की विकासगाथा का इंजन बना दिया है, और भारत को एक ‘तकनीकी अनुयायी’ से ‘तकनीकी नेतृत्वकर्ता’ में बदल दिया है।

डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अब न केवल तकनीकी नवाचारों को अपनाता है, बल्कि वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं (Best Global Practices) को विकसित कर उन्हें अन्य देशों के लिए आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन महज नीतियों का नहीं, बल्कि मानसिकता और दृष्टिकोण का भी परिणाम है, जिसमें ‘जुगाड़’ से ‘जवाबदेही’ की ओर बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

प्रमुख उपलब्धियाँ जो रेखांकित की गईं:

  • डिजिटल इंडिया मिशन के तहत डेटा क्रांति, डिजिटल भुगतान, और ग्राम स्तर तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी।

  • स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत टेक्नोलॉजी आधारित उद्यमों में अभूतपूर्व वृद्धि।

  • इसरो की उपलब्धियों के साथ भारत का तेजी से बढ़ता हुआ अंतरिक्ष कार्यक्रम – जिसमें चंद्रयान-3 और गगनयान जैसे मिशन शामिल हैं।

  • ड्रोन, एआई, साइबर सुरक्षा, क्वांटम टेक्नोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी पहल और वैश्विक स्तर की नीतियाँ।

  • सार्वजनिक सेवाओं में तकनीक का समावेश – जैसे कि CoWIN प्लेटफॉर्म, डिजीलॉकर और UMANG ऐप।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब वैश्विक टेक्नोलॉजी संवादों में ‘फॉलोअर’ नहीं बल्कि ‘पाथफाइंडर’ की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि “मेड इन इंडिया” तकनीकी समाधान अब अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में भी अपनाए जा रहे हैं।

भविष्य की झलक

मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि आगामी वर्षों में सरकार नवाचार आधारित विकास को और अधिक सुदृढ़ करेगी, जिसमें युवा वैज्ञानिकों, महिला अनुसंधानकर्ताओं और ग्रामीण नवाचारों को विशेष महत्व दिया जाएगा।

उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि देश की नई पीढ़ी अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नेतृत्व करने की आकांक्षा रखती है, और नीति निर्माताओं ने इस दृष्टिकोण को सक्रिय समर्थन दिया है।

निष्कर्ष

डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, बीते एक दशक ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जन-भागीदारी साथ आती है, तो भारत प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक प्रेरणास्पद नेतृत्वकर्ता बनकर उभरता है।

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