ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची सोमवार को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे, जहाँ वे यूक्रेन संकट, ईरान-अमेरिका तनाव और पश्चिम एशिया में बढ़ती अस्थिरता के बीच रूसी शीर्ष नेतृत्व के साथ अहम उच्च-स्तरीय वार्ता करेंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब ईरान और अमेरिका के बीच हालिया सैन्य संघर्ष ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है और मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है।
अराघची के इस दौरे को कूटनीतिक हल की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ होने वाली इस वार्ता में क्षेत्रीय सुरक्षा, परमाणु समझौते (JCPOA) की बहाली, और हाल के अमेरिकी हवाई हमलों के बाद उत्पन्न हालातों पर गंभीर चर्चा होने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस, जो ईरान का दीर्घकालिक सहयोगी रहा है और सीरिया जैसे क्षेत्रों में उसके साथ रणनीतिक साझेदारी रखता है, इस संकट में एक संभावित मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। मास्को की तरफ से अब तक अमेरिकी हमलों की आलोचना की गई है और सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया गया है।
ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को “मित्र देशों के साथ घनिष्ठ विचार-विमर्श” की श्रेणी में रखा है। अराघची के प्रवक्ता ने कहा कि रूस के साथ बातचीत का उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थायित्व लाने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करना है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ भी मौजूदा हालात को लेकर चिंतित हैं और किसी भी प्रकार की नई जंग की आशंका से बचने का प्रयास कर रहे हैं। मास्को में यह वार्ता इस दिशा में पहला ठोस कदम मानी जा रही है।
निष्कर्षतः, अराघची का यह दौरा न केवल ईरान-रूस संबंधों को और सुदृढ़ करने का प्रयास है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान की स्थिति को पुनर्स्थापित करने और संकट को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों का संकेत भी है। आने वाले दिनों में इन वार्ताओं के परिणामों पर दुनियाभर की निगाहें टिकी रहेंगी।