भारत की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) ने आज नई दिल्ली में चिली की सरकारी स्वामित्व वाली कॉपर खनन कंपनी कोडेल्को (Codelco) के विशेषज्ञों के प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत किया। यह प्रतिनिधिमंडल भारत में पहली बार किसी मिशन पर आया है और आगामी तीन सप्ताहों तक HCL की विभिन्न इकाइयों और कार्यालयों का दौरा करेगा।
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य ज्ञान और तकनीकी विशेषज्ञता का आदान-प्रदान, खनन और संचालन के सर्वोत्तम प्रथाओं का आकलन, तथा मूल्य संवर्धन के नए अवसरों की पहचान करना है। यह दौरा भारत और चिली के बीच खनन क्षेत्र में सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
ऐतिहासिक एमओयू के बाद नई शुरुआत
यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और चिली के राष्ट्रपति श्री गेब्रियल बोरिक फॉन्ट की उपस्थिति में 1 अप्रैल 2025 को हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) का प्रतिफल है। इस MoU पर एचसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री संजीव कुमार सिंह और कोडेल्को के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रूबेन अल्वाराडो विगर ने हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौते का उद्देश्य भारत और चिली के बीच खनिज संसाधनों की खोज, खनन तकनीकों, खनिजों के लाभकारीकरण, पर्यावरणीय प्रबंधन, कर्मचारी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है।
कोडेल्को प्रतिनिधिमंडल में शामिल विशेषज्ञ
कोडेल्को की टीम में खनन उद्योग के निम्नलिखित प्रमुख विशेषज्ञ शामिल हैं:
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एंजेलो जियोवानी ग्यूसेप एगुइलर कैटलानो – भूविज्ञान और अन्वेषण
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जोसे रामोन अबाटे पेरेज़ – नवाचार और प्रौद्योगिकी
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कार्लोस एबेलार्डो विल्चेस डोनोसो – टेलिंग प्रबंधन
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जॉर्ज लुइस एस्पिंडोला लांडा – जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग
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सर्जियो जोनाथन पिचोट हेरिकेज़ – जियोमेटालर्जी
इन विशेषज्ञों का दौरा एचसीएल की खदानों, प्रोसेसिंग यूनिट्स, पर्यावरण प्रबंधन स्थलों और अनुसंधान केंद्रों तक फैला होगा। वे भारतीय खनन प्रणाली, सुरक्षा मानकों, उत्पादन प्रक्रियाओं और नवाचार पहलुओं का तुलनात्मक विश्लेषण करेंगे।
द्विपक्षीय संबंधों को मिल रही मजबूती
भारत और चिली के बीच खनन सहयोग, विशेष रूप से कॉपर संसाधनों के क्षेत्र में, रणनीतिक महत्त्व रखता है। चिली दुनिया के सबसे बड़े तांबा उत्पादकों में से एक है, जबकि भारत तांबा खपत के लिहाज़ से तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। ऐसे में दोनों देशों के बीच ज्ञान और तकनीक का यह साझाकरण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ठोस योगदान करेगा।
इस उच्च स्तरीय दौरे से न केवल भारत को उन्नत खनन तकनीकों और प्रक्रियाओं की जानकारी मिलेगी, बल्कि यह वैश्विक खनिज सहयोग का एक सशक्त मॉडल भी प्रस्तुत करेगा। आने वाले दिनों में इस साझेदारी से नई परियोजनाओं, संयुक्त अनुसंधान, और मानव संसाधन विकास के कई द्वार खुल सकते हैं।