प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के महान राष्ट्रभक्त और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश की एकता और अखंडता के लिए डॉ. मुखर्जी के योगदान को याद करते हुए उन्हें अखंड भारत के एक सच्चे प्रहरी के रूप में नमन किया।

प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने आधिकारिक अकाउंट से लिखा:

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन। उन्होंने देश की अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अतुलनीय साहस और पुरुषार्थ का परिचय दिया। राष्ट्र निर्माण में उनका अमूल्य योगदान हमेशा श्रद्धापूर्वक याद किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री का यह संदेश देशवासियों के बीच डॉ. मुखर्जी के विचारों और सिद्धांतों की प्रासंगिकता को पुनः रेखांकित करता है।

राष्ट्र के लिए अद्वितीय समर्पण

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय युगपुरुष थे। वे न केवल एक कुशल शिक्षाविद् और राजनेता थे, बल्कि एक राष्ट्रनिष्ठ चिंतक भी थे। उन्होंने एक देश, एक विधान के सिद्धांत पर जोर देते हुए धारा 370 के विरोध में जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया, जहाँ 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनका बलिदान हुआ।

उनकी इस शहादत ने देश की राजनीतिक चेतना को झकझोर दिया और आने वाले समय में राष्ट्रीय एकता के आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की।

विभिन्न नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री के साथ-साथ अनेक केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और सामाजिक संगठनों ने भी आज डॉ. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। देशभर में प्रार्थना सभाएं, स्मृति कार्यक्रम, विचार गोष्ठियाँ और पुष्पांजलि समारोह आयोजित किए गए।

डॉ. मुखर्जी की विरासत

  • भारतीय जनसंघ (अब भाजपा के रूप में विकसित) के संस्थापक

  • स्वतंत्र भारत के पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री

  • बंगाल विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति

  • शिक्षा, राष्ट्रवाद और अखंडता के प्रतीक

  • “एक निशान, एक प्रधान, एक विधान” के प्रबल समर्थक


डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो भारत को एक सशक्त, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। उनका बलिदान केवल इतिहास का एक पृष्ठ नहीं, बल्कि एक जीवंत विचारधारा है, जो भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने की प्रेरणा देती है।

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