ईरान संकट पर चीन, रूस और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया; तत्काल संघर्षविराम और वार्ता की अपील

ईरान में बढ़ते तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरता को देखते हुए चीन, रूस और पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक संयुक्त मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में उन्होंने ईरान में “तत्काल और बिना शर्त संघर्षविराम”, नागरिकों की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान, और सभी पक्षों के बीच संवाद और बातचीत की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है।

 

तीनों देशों द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव में विशेष रूप से ईरान की मौजूदा स्थिति को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया गया है, और इस संकट से निपटने के लिए सुरक्षा परिषद की सक्रिय भूमिका की मांग की गई है।

 

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु:

ईरान में सभी पक्षों द्वारा तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम लागू किया जाए।

 

सभी पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों और मानव अधिकारों का पूर्ण रूप से पालन करें।

 

नागरिकों की सुरक्षा, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाए।

 

संकट के समाधान हेतु संवाद और शांतिपूर्ण वार्ता की प्रक्रिया को अपनाया जाए।

 

सुरक्षा परिषद इस मसले पर निर्णायक और सक्रिय भूमिका निभाए।

 

वैश्विक प्रतिक्रिया

इस प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति समर्थक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। चीन और रूस, जो सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, पहले भी क्षेत्रीय संघर्षों में वार्ता और कूटनीति को प्राथमिकता देने की वकालत करते रहे हैं। पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर विशेष चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि ईरान में अस्थिरता पूरे क्षेत्र को संकट में डाल सकती है।

 

पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, “हम सुरक्षा परिषद से आग्रह करते हैं कि वह इस मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करे और वैश्विक शांति बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाए।”

 

अमेरिका और यूरोपीय देशों की स्थिति

हालांकि इस प्रस्ताव पर अभी तक अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनयिक सूत्रों के अनुसार, कुछ पश्चिमी देश मसौदे की भाषा और ईरान की जिम्मेदारियों पर इसके नरम रुख को लेकर असहज हो सकते हैं।

 

विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसके क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर कड़ा रुख अपनाने की वकालत करता है, वहीं यह प्रस्ताव अधिक संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की बात करता है।

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