प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज शिवगिरी मठ में आयोजित एक भव्य समारोह में भाग लिया, जो भारत के दो महान आध्यात्मिक और नैतिक गुरुओं — श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी — के बीच 1925 में हुए ऐतिहासिक संवाद की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
इस ऐतिहासिक संवाद का आयोजन 12 मार्च 1925 को हुआ था, जब महात्मा गांधी ने केरल की अपनी यात्रा के दौरान शिवगिरी मठ का दौरा किया था। उस समय यह संवाद न केवल समाज सुधार और आत्मिक जागरूकता का प्रतीक बना, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नैतिक मूल्यों के समावेश की दिशा में एक नई राह भी प्रशस्त की।
प्रधानमंत्री ने किया स्मृति को नमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “यह पर्व देश की एक अभूतपूर्व घटना को याद करने का साक्षी बन रहा है। यह वह क्षण था, जब दो महामानवों की आत्माएं एक साझा उद्देश्य – सामाजिक समरसता और नैतिक उत्थान – के लिए संवाद कर रही थीं।”
उन्होंने श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के योगदान को नमन करते हुए कहा कि इन दोनों महान विभूतियों ने भारत को केवल राजनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक रूप से भी जगाने का काम किया। श्री मोदी ने कहा कि भारत की सामाजिक चेतना को दिशा देने में इन दोनों महान गुरुओं की भूमिका अमूल्य रही है।
श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने श्री नारायण गुरु द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत — “एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर” — को आज के समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि श्री नारायण गुरु ने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ जो संघर्ष किया, वह भारतीय समाज के आधुनिकीकरण की नींव बन गया।
गांधी और गुरु का मिलन – एक नैतिक विमर्श
प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष बल दिया कि महात्मा गांधी और श्री नारायण गुरु के बीच हुआ संवाद केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि आत्मिक संवाद भी था। उन्होंने कहा कि आज जब देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है, तब हमें इस संवाद से प्रेरणा लेकर समाज में समरसता, अहिंसा, और आध्यात्मिक मूल्यों को पुनः जाग्रत करने की आवश्यकता है।
संस्कृति और आध्यात्मिकता के केंद्र में शिवगिरी
शिवगिरी मठ को श्री नारायण गुरु ने एक सामाजिक और आध्यात्मिक क्रांति का केंद्र बनाया था। आज यह स्थल भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न प्रतीक बन चुका है। प्रधानमंत्री ने इस पवित्र स्थल पर पहुंचकर श्रद्धा अर्पित की और गुरु के विचारों को देशवासियों तक पहुंचाने का आह्वान किया।
अनेक गणमान्य लोग रहे उपस्थित
इस शताब्दी समारोह में केंद्रीय और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, संत-महात्मा, सामाजिक कार्यकर्ता, विद्वान और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। समारोह में श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के विचारों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यान सत्र भी आयोजित किए गए।