नीति आयोग ने ‘फ्यूचर फ्रंट’ की तीसरी रिपोर्ट जारी की: डेटा गुणवत्ता को बताया डिजिटल भारत की रीढ़

नीति आयोग ने मंगलवार को अपनी तिमाही अंतर्दृष्टि श्रृंखला “फ्यूचर फ्रंट” के तीसरे संस्करण का विमोचन किया, जिसका शीर्षक है — “भारत की डेटा अनिवार्यता: गुणवत्ता पर बल”। यह रिपोर्ट भारत के डिजिटल शासन, सेवा वितरण और जनविश्वास को सुदृढ़ करने में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करती है।

रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर डेटा गुणवत्ता नीतिगत निर्णयों, सेवा वितरण और जनहित कार्यक्रमों की दक्षता में बड़ी बाधा बन रही है। नीति आयोग ने इस समस्या को दूर करने के लिए उपयोग में आसान, व्यावहारिक उपकरण प्रस्तुत किए हैं, जो सरकार के विभिन्न स्तरों पर डेटा गुणवत्ता को मापने, सुधारने और बनाए रखने में मदद करेंगे।


🔹 रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएं:

  1. डेटा गुणवत्ता स्कोरकार्ड – यह उपकरण विभिन्न विभागों को उनके डेटा की गुणवत्ता की विशेषताओं को मापने और ट्रैक करने में मदद करता है, जिससे समय पर सुधारात्मक कार्रवाई संभव हो सके।

  2. डेटा-गुणवत्ता परिपक्वता फ्रेमवर्क – यह एक स्व-मूल्यांकन टूल है, जो संगठनों को यह समझने में मदद करता है कि वे डेटा प्रबंधन में किस स्तर पर हैं, और सुधार के लिए रोडमैप तैयार कर सकते हैं।


🔹 कार्यक्रम में शीर्ष अधिकारियों की सहभागिता

रिपोर्ट के विमोचन के अवसर पर नीति आयोग के सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग, और नीति आयोग की प्रतिष्ठित फेलो सुश्री देबजानी घोष सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने विचार साझा किए।

सीईओ श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा:

“डिजिटल युग में डेटा किसी भी शासन प्रणाली की रीढ़ है। यदि यह अपूर्ण, गलत या असंगत है, तो इससे सेवा वितरण, योजना निर्माण और नीति-निर्धारण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए अब डेटा की मात्रा नहीं, गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

डॉ. सौरभ गर्ग ने बल दिया कि भारत जैसे विविध और विशाल जनसंख्या वाले देश में सटीक डेटा से ही लक्षित और प्रभावी योजनाएं बन सकती हैं। उन्होंने डेटा-गुणवत्ता टूल्स को सरकारी कामकाज का हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।


🔹 नीति आयोग का दृष्टिकोण: डेटा आधारित निर्णय, बेहतर शासन

नीति आयोग के अनुसार, यह रिपोर्ट सरकार के उन प्रयासों के अनुरूप है जो डेटा-संचालित निर्णय लेने (data-driven governance) को केंद्र में रखते हैं। रिपोर्ट विशेष रूप से:

  • मंत्रालयों और विभागों को डेटा संग्रह, विश्लेषण और रिपोर्टिंग में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ाने में सहायक है।

  • नीतिगत सुधारों, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और स्थानीय शासन जैसे क्षेत्रों में डेटा की गुणवत्ता के महत्व को रेखांकित करती है।

  • निजता और डेटा सुरक्षा जैसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए डेटा प्रबंधन की एक संतुलित दिशा सुझाती है।


🔹 व्यापक भागीदारी के साथ हुआ विमोचन

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों, डोमेन विशेषज्ञों, नीति आयोग के अधिकारियों, और डेटा विश्लेषकों ने भाग लिया। विमर्श का मुख्य विषय था कि कैसे भारत डिजिटल शासन के अगले चरण की ओर बढ़ते हुए डेटा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्राथमिकता दे सकता है।


🔹 निष्कर्ष: डिजिटल भारत के लिए डेटा गुणवत्ता अनिवार्य

फ्यूचर फ्रंट’ की यह तीसरी रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि डिजिटल इंडिया की सफलता केवल तकनीकी पहुंच से नहीं, बल्कि विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा पर निर्भर करती है। नीति आयोग की यह पहल सरकार, नीति निर्माताओं, और क्रियान्वयन एजेंसियों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ साबित होगी।

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