चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित करते हुए, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल ने राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया है। प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में एम्स भोपाल ने शैक्षणिक उत्कृष्टता की श्रेणी में पूरे भारत में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इस रैंकिंग में एम्स दिल्ली और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ही इससे ऊपर हैं, जो स्वयं में इस उपलब्धि की विशिष्टता को रेखांकित करता है।
यह रैंकिंग भारत सरकार और स्वतंत्र मूल्यांकन एजेंसियों द्वारा चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान, आधारभूत संरचना, छात्र संतुष्टि और फैकल्टी गुणवत्ता जैसे विविध आयामों के आधार पर तय की जाती है। इस उपलब्धि के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि एम्स भोपाल न केवल मध्य भारत में, बल्कि पूरे देश में एक उत्कृष्ट अकादमिक और अनुसंधान केंद्र के रूप में उभर रहा है।
‘इमर्जिंग मेडिकल कॉलेजेज़’ में भी तीसरा स्थान
शैक्षणिक उत्कृष्टता की श्रेणी के साथ-साथ, एम्स भोपाल ने ‘इमर्जिंग मेडिकल कॉलेजेज़’ की श्रेणी में भी तीसरा स्थान प्राप्त किया है। यह श्रेणी उन संस्थानों के लिए है जो अपेक्षाकृत नए हैं लेकिन कम समय में ही अपनी गुणवत्ता और नवाचार के माध्यम से तेज़ी से प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे हैं। एम्स भोपाल की यह उपलब्धि न केवल इसकी प्रशासनिक दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि संस्थान ने शिक्षा, चिकित्सा सेवा और अनुसंधान में उच्चतम मानकों को अपनाया है।
‘इन्फ्रास्ट्रक्चर और लिविंग एक्सपीरियंस’ में देश में दूसरा स्थान
एम्स भोपाल ने बुनियादी ढांचे और छात्र जीवन की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर और लिविंग एक्सपीरियंस’ की श्रेणी में उसे राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। केवल एम्स दिल्ली ही इस श्रेणी में उससे आगे रहा है। इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि एम्स भोपाल एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान है जो अपने छात्रों को न केवल ज्ञान के क्षेत्र में बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास के लिए भी आदर्श वातावरण प्रदान करता है।
छात्रावास सुविधाएं, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, स्वास्थ्य सेवाएं और कैंपस इंफ्रास्ट्रक्चर – सभी पहलुओं में संस्थान ने उत्कृष्टता प्राप्त की है। आधुनिक सुविधाओं से लैस यह कैंपस विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर की शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करता है।
इंडिया टुडे सर्वे 2025 में कुल 14वां स्थान
एम्स भोपाल की यह उपलब्धियां केवल सरकारी आंकड़ों तक ही सीमित नहीं हैं। प्रतिष्ठित इंडिया टुडे बेस्ट मेडिकल कॉलेज सर्वे 2025 में एम्स भोपाल ने 14वां स्थान हासिल किया है। यह सर्वे भारत के 750 से अधिक चिकित्सा संस्थानों का व्यापक मूल्यांकन करता है, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन, अनुसंधान क्षमता, संकाय की गुणवत्ता, बुनियादी ढांचा और छात्र संतुष्टि जैसे मानकों को शामिल किया जाता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 2023 में एम्स भोपाल को इस सूची में 20वां स्थान प्राप्त हुआ था, जबकि 2024 में यह 16वें स्थान पर पहुंचा और अब 2025 में यह 14वें स्थान पर है। यह लगातार प्रगति संस्थान की परिश्रमी कार्य संस्कृति, नेतृत्व की दृढ़ता और संपूर्ण टीम के प्रयासों का प्रमाण है।
कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह की प्रतिक्रिया
इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा,
“राष्ट्रीय रैंकिंग में यह लगातार प्रगति हमारी इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, मरीज-केंद्रित क्लीनिकल केयर, और देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान प्रदान कर रहे हैं। मैं हमारे समर्पित संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिनके अथक प्रयासों से संस्थान निरंतर प्रगति कर रहा है।”
प्रो. सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि संस्थान नवाचार, अंतरविषयक अनुसंधान और वैश्विक सहयोग के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। उनका मानना है कि विद्यार्थियों का समग्र विकास, अत्याधुनिक प्रशिक्षण और नैतिक मूल्यों पर आधारित चिकित्सा शिक्षा ही भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र बना सकती है।
राष्ट्रीय अग्रणी बनने की ओर अग्रसर
एम्स भोपाल की बढ़ती प्रतिष्ठा केवल रैंकिंग में ही नहीं, बल्कि इसके द्वारा किए गए नवाचार, अनुसंधान और सेवाओं में भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। संस्थान में कैंसर, हृदय रोग, जनस्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और जैव चिकित्सा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान कार्य हो रहे हैं। यहां पर विद्यार्थियों को न केवल चिकित्सा का ज्ञान दिया जाता है, बल्कि उन्हें सामाजिक जिम्मेदारियों के लिए भी तैयार किया जाता है।
एम्स भोपाल यह सुनिश्चित कर रहा है कि उसके छात्र न केवल बेहतरीन चिकित्सक बनें, बल्कि संवेदनशील, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी संपन्न हों। यही कारण है कि यह संस्थान चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के क्षेत्र में एक उभरता हुआ राष्ट्रीय अग्रणी संस्थान बन चुका है।
निष्कर्ष
एम्स भोपाल की यह उपलब्धियां केवल एक संस्थान की सफलता नहीं हैं, बल्कि यह भारत के चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र की प्रगति का प्रतीक हैं। यह भविष्य की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि समर्पण, नेतृत्व और दूरदृष्टि के माध्यम से कोई भी संस्थान देश के शीर्ष पर पहुंच सकता है। एम्स भोपाल का यह सफर जारी है — और इसकी निगाहें अब वैश्विक चिकित्सा मानकों को छूने की ओर हैं।