भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वालों को दी श्रद्धांजलि, कांग्रेस की सोच को बताया अलोकतांत्रिक

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वालों को दी श्रद्धांजलि, कांग्रेस की सोच को बताया अलोकतांत्रिक

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज देश में लगाए गए आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वाले सभी महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दिन को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताते हुए कांग्रेस पार्टी पर कड़े शब्दों में हमला किया।

जेपी नड्डा ने कहा कि वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल थोपना न केवल संविधान और न्यायपालिका का अपमान था, बल्कि यह जनता की आवाज को कुचलने का एक क्रूर प्रयास भी था। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आज भी कांग्रेस पार्टी की सोच तानाशाही और लोकतंत्र विरोधी मानसिकता से ग्रसित है, जैसा कि उसके ऐतिहासिक फैसलों और आज की कार्यप्रणाली से स्पष्ट होता है।

लोकतंत्र की हत्या का स्मरण: आपातकाल का भयावह सच

जेपी नड्डा ने आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि उस समय हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बिना किसी मुकदमे के जेल में डाला गया, मीडिया पर सेंसरशिप लगाई गई, न्यायपालिका पर दबाव डाला गया और नागरिकों के मूलभूत अधिकारों को पूरी तरह निलंबित कर दिया गया।

उन्होंने कहा:

“1975 में जो कुछ हुआ वह एक सत्ता में बने रहने की लालसा से प्रेरित आत्मघाती कदम था, जिसमें देश के संविधान, संस्थाओं और जनता के भरोसे को छलनी कर दिया गया।”

जेपी नड्डा ने बताया कि उस समय जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, और कई अन्य कार्यकर्ताओं ने लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष किया और लंबा कारावास झेला।

कांग्रेस की आज की नीतियाँ भी लोकतंत्र के विरुद्ध

जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि आज की कांग्रेस पार्टी भी उसी मानसिकता से प्रेरित है, जो 1975 में आपातकाल लगाने का कारण बनी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज भी संस्थाओं को नीचा दिखाने, न्यायपालिका को धमकाने, और आलोचना को दबाने का कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा:

“आज जब कांग्रेस नेताओं को अदालतें बुलाती हैं, तो वे उसे भी राजनीतिक बदले की भावना कहते हैं। मीडिया पर नियंत्रण की कोशिशें और झूठे नैरेटिव गढ़ना आज भी उनके एजेंडे में है।”

लोकतंत्र की रक्षा में भाजपा का संकल्प

जेपी नड्डा ने जोर देते हुए कहा कि भाजपा का जन्म ही लोकतंत्र की रक्षा और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोककल्याण के सिद्धांतों को पुनर्स्थापित करने के लिए हुआ था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने असली लोकतंत्र का अनुभव किया है, जहाँ जनभागीदारी, पारदर्शिता, और उत्तरदायित्व सरकार के मूल स्तंभ हैं।

उन्होंने कहा कि:

“आज 140 करोड़ भारतीय नागरिक लोकतंत्र की ताकत हैं और भाजपा हर स्तर पर उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है।”

युवाओं को आपातकाल का इतिहास याद रखने की अपील

जेपी नड्डा ने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल का इतिहास कोई भूला हुआ पन्ना नहीं, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली के लिए एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को यह समझना चाहिए कि कैसे सत्ता की भूख और तानाशाही प्रवृत्ति देश को विनाश की ओर ले जा सकती है।

“आपातकाल एक ऐसी त्रासदी थी, जिसे भूलना हमारी लोकतांत्रिक चेतना के लिए खतरनाक होगा। युवाओं को यह समझना होगा कि स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और संस्थागत गरिमा की रक्षा करना उनका भी दायित्व है।”

भाजपा के नेतृत्व में लोकतंत्र का सशक्तिकरण

जेपी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने लोकतंत्र को नए आयामों पर पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया, पार्टिसिपेटिव गवर्नेंस, ग्राम पंचायत से संसद तक संवाद, और पॉलिसी थिंक टैंक आधारित निर्णय जैसे प्रयास लोकतंत्र की समकालीन व्याख्या को मजबूत करते हैं।

उन्होंने कहा:

“आज भारत केवल चुनावों तक सीमित लोकतंत्र नहीं है, बल्कि यह एक क्रियाशील लोकतंत्र है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी और आवाज की अहमियत है।”

निष्कर्ष: लोकतंत्र को स्मरण, सम्मान और संरक्षण की आवश्यकता

आपातकाल की 50वीं वर्षगाँठ पर जेपी नड्डा का यह बयान न केवल एक राजनीतिक वक्तव्य है, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को पुनः स्मरण कराने का प्रयास है। भाजपा अध्यक्ष का यह स्पष्ट संदेश है कि कोई भी दल, चाहे वह कितना भी पुराना क्यों न हो, यदि उसकी सोच लोकतंत्र विरोधी है, तो उसे उजागर करना और उसका विरोध करना आवश्यक है।

जेपी नड्डा ने भारत की जनता से आह्वान किया कि वे लोकतंत्र की रक्षा और उसके मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए जागरूक रहें, संगठित रहें और सजग रहें। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करती रहेगी जो लोकतंत्र, संविधान और जनता की आवाज को दबाने का प्रयास करे।

यह लेख यह दिखाता है कि किस प्रकार आपातकाल का अंधकारमय अध्याय आज भी भारतीय राजनीति में प्रासंगिक है, और कैसे भाजपा नेतृत्व इसे लोकतांत्रिक चेतना का स्तंभ मानकर स्मरण करता है।

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