सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत इंटर मीडिया पब्लिसिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी (IMPCC) की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और दूरगामी बैठक आज पुणे स्थित केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC) के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित हुई। यह बैठक न केवल केंद्र और राज्य सरकार की सूचना एजेंसियों के समन्वय का प्रतीक बनी, बल्कि इसमें प्रस्तुत कार्ययोजनाओं और विचारों ने भविष्य के भारत में जनसंचार की दिशा और दशा तय करने की ठोस आधारशिला रखी।
IMPCC की इस बैठक की अध्यक्षता सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (पश्चिम क्षेत्र) की महानिदेशक श्रीमती स्मिता वत्स शर्मा ने की। इस महत्वपूर्ण आयोजन में महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के सूचना विभागों सहित प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB), दूरदर्शन, आकाशवाणी, फिल्म्स डिवीजन, और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक का प्रारंभ: नये युग के जनसंचार की भूमिका पर बल
बैठक का शुभारंभ करते हुए श्रीमती स्मिता वत्स शर्मा ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा:
“आज का युग सूचना का युग है। यदि हम सरकारी योजनाओं और पहलों की जानकारी लोगों तक ईमानदारी और प्रभावी तरीके से पहुँचा सकें, तो देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति को नयी गति मिल सकती है।”
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि IMPCC जैसे मंच संचार संबंधी प्रयासों में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने में सहायता करते हैं और डिजिटल युग की चुनौतियों के बीच विश्वसनीयता, त्वरित प्रतिक्रिया और स्थानीय जुड़ाव सुनिश्चित करते हैं।
विचार-विमर्श और समर्पित भागीदारी: एजेंसियों की प्रस्तुतियाँ
बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न मीडिया एवं सूचना इकाइयों ने अपनी वर्तमान कार्यशैलियों, सफल अभियानों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया:
1. दूरदर्शन एवं आकाशवाणी की प्रस्तुति:
दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारियों ने बताया कि वे श्रोताओं और दर्शकों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर कार्यक्रमों का निर्माण कर रहे हैं। विविधताओं से भरे भारत में यह रणनीति स्थानीय जरूरतों को पूरा करने में बेहद प्रभावी सिद्ध हो रही है।
2. PIB की रिपोर्टिंग रणनीति:
PIB ने प्रेस विज्ञप्तियों, मीडिया आउटरीच, और प्रेस कॉन्फ्रेंस की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ डिजिटल माध्यमों पर समर्पित सामग्री निर्माण के आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि मीडिया मैपिंग, फीडबैक एनालिसिस और डिजिटल ट्रेंड ट्रैकिंग के माध्यम से संचार को प्रभावशाली बनाया जा रहा है।
3. राज्य सूचना विभागों के नवाचार:
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महाराष्ट्र: ‘आवाज मित्र’ नामक AI आधारित वॉयस बॉट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं की जानकारी पहुँचाने का पायलट प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया गया।
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गुजरात: डिजिटल वेन कैम्पेन और स्मार्ट गांव में स्क्रीनिंग यूनिट्स की जानकारी दी गई।
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गोवा: स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें जनसंवाद में जोड़ा गया, जिससे योजनाओं में नागरिक विश्वास में बढ़ोतरी हुई।
चर्चित एजेंडे: IMPCC के केंद्रीय विमर्श बिंदु
बैठक में कई दूरदर्शी और व्यवहारिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई:
✅ साझा डिजिटल मीडिया कैलेंडर
केंद्र और राज्य सरकारों की सभी संचार इकाइयाँ एक साझा कैलेंडर तैयार करेंगी, जिससे अभियान का समन्वय और समय निर्धारण बेहतर होगा।
✅ सोशल मीडिया विश्लेषण प्रणाली
Social Media Listening Tools के ज़रिए जनधारणाओं का विश्लेषण, प्रचार की प्रतिक्रिया और मिथ्या सूचना की पहचान की जाएगी।
✅ संकट संचार रणनीति
आपदा, महामारी या आपातकालीन स्थितियों में एकीकृत संचार प्रणाली विकसित की जाएगी जिससे संदेशों में स्पष्टता, त्वरितता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।
✅ स्थानीय भाषा में संप्रेषण
हर राज्य के सांस्कृतिक संदर्भ और भाषाई विविधता के अनुसार प्रचार सामग्री विकसित की जाएगी ताकि संप्रेषण में स्थानीय संवेदनाओं का समावेश हो सके।
✅ विकास संचार का मूल्यांकन
सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रभाव को मापने हेतु डेटा आधारित मीट्रिक्स जैसे – दर्शक संख्या, प्रतिक्रिया दर, जागरूकता स्तर और सहभागिता का विश्लेषण होगा।
तकनीकी नवाचार: जनसंचार का भविष्य
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि आने वाले वर्षों में जनसंचार के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, और बिग डेटा जैसे तकनीकी उपकरण निर्णायक भूमिका निभाएंगे। श्रीमती शर्मा ने बताया कि इससे न केवल संदेशों की सटीकता और लक्षित पहुँच बढ़ेगी, बल्कि फीडबैक के विश्लेषण और नीति निर्माण में भी सहायता मिलेगी।
IMPCC की कार्ययोजना: अगले 12 महीने की रूपरेखा
IMPCC की इस बैठक में 2025-26 के लिए एक ठोस और समन्वित कार्ययोजना पेश की गई। इसमें निम्नलिखित प्रमुख अभियान शामिल हैं:
🟠 ‘विकसित भारत 2047’
देश के 100 प्रमुख जिलों में 1000 से अधिक प्रचार अभियान चलाए जाएंगे, जिनमें डिजिटल, ऑडियो-विजुअल और इंटरैक्टिव माध्यमों का उपयोग होगा।
🟠 ‘हर योजना तक पहुंच’
शहरी झुग्गियों और ग्रामीण अंचलों में केंद्र-राज्य समन्वयित जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे, जिनमें मोबाइल यूनिट्स, लोकनाट्य, कम्युनिटी रेडियो और ड्रोन-बेस्ड प्रचार का उपयोग होगा।
🟠 ‘स्वस्थ भारत, सशक्त भारत’
स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, पोषण अभियान आदि पर आधारित ऑडियो-विजुअल श्रृंखला का निर्माण किया जाएगा।
🟠 ‘युवाओं का भारत’
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया पर केंद्रित डिजिटल सामग्री और संवाद श्रृंखला चलाई जाएगी।
प्रदर्शन सूचकांक और रिपोर्टिंग प्रणाली
श्रीमती शर्मा ने सुझाव दिया कि IMPCC की बैठकों को अब त्रैमासिक आधार पर आयोजित किया जाए और प्रत्येक बैठक में एक प्रदर्शन सूचकांक (KPI) आधारित मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, जिसमें प्रचार की गुणवत्ता, पहुँच और प्रभाव को संख्यात्मक रूप में मापा जाए।
बैठक का समापन: लोकतंत्र के लिए संवाद की शक्ति
बैठक के समापन पर श्रीमती शर्मा ने कहा:
“IMPCC एक तकनीकी समन्वय मंच भर नहीं है, यह भारतीय लोकतंत्र को संप्रेषण की शक्ति से समृद्ध करने का एक सशक्त माध्यम है। संचार केवल सूचना देने का माध्यम नहीं, यह विश्वास, सहभागिता और उत्तरदायित्व का वाहक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि IMPCC की बैठकों का दायरा भविष्य में और बढ़ाया जाएगा, जिसमें नागरिक समाज, शिक्षण संस्थानों और युवा संगठनों को भी सहभागी बनाया जाएगा।
समापन टिप्पणी: ‘न्यू इंडिया’ के लिए संवाद की नयी भाषा
IMPCC की पुणे बैठक ने यह सिद्ध कर दिया कि जब केंद्र और राज्य की मीडिया एजेंसियाँ साझा दृष्टिकोण और समन्वय के साथ कार्य करती हैं, तो संचार की शक्ति से सुशासन की नींव मजबूत होती है। इस बैठक में प्रस्तुत विचार, तकनीकी समाधान और रणनीतिक दृष्टिकोण यह संकेत देते हैं कि भारत का जनसंचार तंत्र आने वाले वर्षों में और अधिक सशक्त, सहभागी और उत्तरदायी बनेगा।
यह बैठक अपने पीछे एक स्पष्ट संदेश छोड़ गई— सशक्त संवाद से ही सशक्त लोकतंत्र की नींव पड़ती है। IMPCC अब केवल एक मंच नहीं, बल्कि “न्यू इंडिया” की परिकल्पना को संचार की शक्ति से साकार करने की दिशा में एक ठोस और प्रभावशाली प्रयास बन चुका है।