पूर्वोत्तर भारत के विकास और एकीकृत सशक्तिकरण की दिशा में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की एक नवीन कड़ी के रूप में केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा खडसे ने त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा संचालित खेल प्रशिक्षण केंद्र (STC) का दौरा किया। यह दौरा ‘पूर्वोत्तर संपर्क सेतु’ पहल के अंतर्गत आयोजित किया गया, जो भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य विकास की योजनाओं की जमीनी हकीकत का निरीक्षण करना और स्थानीय स्तर पर संवाद के माध्यम से नीति निर्माण को बेहतर बनाना है।
इस यात्रा के माध्यम से मंत्री महोदया ने न केवल त्रिपुरा की खेल संस्कृति को करीब से देखा, बल्कि जमीनी स्तर से उच्च स्तर तक खिलाड़ियों के विकास के लिए लॉन्ग-टर्म एथलीट डेवलपमेंट (LTAD) दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी बल दिया।
STC अगरतला: पूर्वोत्तर का उभरता हुआ खेल केंद्र
SAI-STC अगरतला केंद्र विशेष रूप से जिमनास्टिक खेल के लिए प्रसिद्ध है और यहां चयनित युवा एथलीटों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। केंद्र का लक्ष्य है — बाल और किशोर अवस्था में ही प्रतिभा की पहचान कर उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच के लिए तैयार करना।
अपने दौरे के दौरान मंत्री महोदया ने इस केंद्र के प्रशिक्षण उपकरण, आवासीय व्यवस्था, आहार योजनाएं, और चिकित्सा एवं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का सूक्ष्म निरीक्षण किया। उन्होंने प्रशिक्षकों के समर्पण की सराहना की और कहा कि, “एक समर्पित प्रशिक्षक ही एक ओलंपिक विजेता की नींव होता है।”
LTAD मॉडल पर जोर: खिलाड़ियों के भविष्य को आकार देने की रणनीति
श्रीमती खडसे ने LTAD (Long-Term Athlete Development) मॉडल की चर्चा करते हुए बताया कि भारत को वैश्विक खेल परिदृश्य में अग्रणी बनाने के लिए, एक दीर्घकालिक रणनीति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि, “हमें केवल पदकों की दौड़ में नहीं, बल्कि सतत प्रतिभा निर्माण में विश्वास करना होगा। इसका प्रारंभ जमीनी स्तर से होता है और इसके लिए प्रशिक्षकों, पोषण, मनोविज्ञान, चिकित्सा, और खेल विज्ञान का सहयोग अनिवार्य है।”
मंत्री ने इस मॉडल के अंतर्गत खेलो इंडिया, TOPS (Target Olympic Podium Scheme) और SAI की अन्य योजनाओं की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार खिलाड़ियों को वैश्विक मंच पर सफलता दिलाने के लिए हर संभव संसाधन मुहैया करवा रही है।
एथलीटों के साथ सीधी बातचीत: जमीनी संवाद की मिसाल
अगरतला STC में मंत्री महोदया की यात्रा का सबसे प्रेरक क्षण रहा — उनकी सीधी बातचीत युवा एथलीटों के साथ। उन्होंने खिलाड़ियों से उनके प्रशिक्षण अनुभव, व्यक्तिगत आकांक्षाएं, और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में जानकारी ली।
एक नवोदित जिमनास्ट खिलाड़ी ने मंत्री से अपने सपने साझा करते हुए कहा, “मेरा लक्ष्य 2032 ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतना है।” इस पर मंत्री ने भावुक होते हुए कहा, “भारत का भविष्य इन हाथों में है। सरकार आपकी यात्रा में हर कदम पर आपके साथ है।”
उन्होंने खिलाड़ियों को आश्वस्त किया कि सरकार हर स्तर पर उनके विकास, कल्याण और सफलता के लिए प्रतिबद्ध है।
खेलों को लेकर त्रिपुरा का बदलता परिदृश्य
त्रिपुरा, जो पारंपरिक रूप से सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध रहा है, अब धीरे-धीरे एक खेल शक्ति के रूप में उभर रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से चलाए जा रहे प्रशिक्षण केंद्रों और प्रतियोगिताओं ने राज्य के युवाओं में आत्मविश्वास का संचार किया है।
SAI-STC केंद्र के प्रमुख ने जानकारी दी कि पिछले कुछ वर्षों में त्रिपुरा के 30 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुके हैं, जिनमें कई ने विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है।
पूर्वोत्तर संपर्क सेतु पहल: एक संवाद आधारित नीति की पहल
श्रीमती रक्षा खडसे की यह यात्रा भारत सरकार की ‘पूर्वोत्तर संपर्क सेतु’ योजना का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न केंद्रीय मंत्री पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करते हैं, वहां की योजनाओं की समीक्षा करते हैं और जमीनी संवाद के माध्यम से नीतियों को और प्रभावी बनाते हैं।
इस योजना के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करती है कि पूर्वोत्तर भारत को राष्ट्रीय मुख्यधारा में सक्रिय रूप से शामिल किया जाए, न कि केवल दर्शक बनाकर रखा जाए। इस अभियान का उद्देश्य है — समावेशी विकास, समान अवसर, और राष्ट्रीय एकता का सशक्तिकरण।
भारत@2047: दीर्घकालिक दृष्टिकोण और खेलों में भारत की भूमिका
भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया ‘भारत@2047’ विजन दस्तावेज़ एक नए भारत के निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसमें खेल क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी गई है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य है कि भारत वर्ष 2047 तक एक खेल महाशक्ति बनकर उभरे।
श्रीमती खडसे ने स्पष्ट कहा कि 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक और 2032 ब्रिस्बेन ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए भारत को अभी से तैयारियों में जुटना होगा। इसके लिए एथलीटों की तैयारी, फिजियो-स्पोर्ट्स साइंस सपोर्ट, मल्टी-डिसिप्लिन ट्रेनिंग सेंटर्स, और इंटरनेशनल एक्सपोजर पर जोर दिया जा रहा है।
अन्य योजनाओं पर भी हुई चर्चा
मंत्री महोदया ने त्रिपुरा प्रवास के दौरान शिक्षा, युवा नीति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, और स्वास्थ्य योजनाओं पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि खेल केवल फिजिकल फिटनेस नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चरित्र निर्माण का माध्यम है। इस सोच के साथ केंद्र सरकार त्रिपुरा सहित पूरे पूर्वोत्तर को रणनीतिक विकास केंद्र के रूप में देख रही है।
समापन: पूर्वोत्तर भारत की क्षमताओं का पुनःआविष्कार
अपनी यात्रा का समापन करते हुए श्रीमती रक्षा खडसे ने कहा,
“पूर्वोत्तर भारत न केवल भौगोलिक दृष्टि से, बल्कि मानव कौशल, प्रतिभा और ऊर्जा के मामले में भी भारत के उज्ज्वल भविष्य का आधार है। हम यहां के युवाओं में आत्मबल, जुझारूपन और अनुशासन देख रहे हैं — जो किसी भी देश को महान बनाने के लिए आवश्यक तत्व हैं।”
उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से त्रिपुरा के युवाओं और एथलीटों को पूर्ण समर्थन देने का वादा करते हुए यह संदेश दिया कि “हर युवा खिलाड़ी के सपने को भारत का सपना समझा जाएगा।”
निष्कर्ष
श्रीमती रक्षा खडसे का यह दौरा न केवल त्रिपुरा के खेल परिदृश्य के लिए एक प्रेरणा बना, बल्कि यह इस बात की स्पष्ट घोषणा भी थी कि भारत सरकार पूर्वोत्तर को केवल सीमा नहीं, संभावनाओं का केंद्र मानती है। LTAD मॉडल, खेलो इंडिया, और पूर्वोत्तर संपर्क सेतु जैसी योजनाएं मिलकर भारत को 2047 तक खेलों में विश्व नेतृत्व प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।