भारत की डिजिटल क्रांति में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। गुजरात ने राज्य के नेतृत्व वाले मॉडल के तहत संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP) को सफलतापूर्वक आरंभ करके न केवल एक नई मिसाल कायम की है, बल्कि पूरे देश में ग्रामीण डिजिटल अवसंरचना की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है। भारत सरकार के डिजिटल भारत निधि (DBN) के माध्यम से संचालित इस कार्यक्रम के अंतर्गत गुजरात सरकार, भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और गुजरात फाइबर ग्रिड नेटवर्क लिमिटेड (GFGNL) के बीच एक चार-पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह कदम गुजरात की 14,654 ग्राम पंचायतों को 98% से अधिक अपटाइम के साथ हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
समझौते का स्वरूप और हस्ताक्षर समारोह
गांधीनगर में आयोजित हुए इस ऐतिहासिक समारोह में भारत सरकार के सचिव (दूरसंचार) डॉ. नीरज मित्तल, गुजरात सरकार के मुख्य सचिव श्री पंकज जोशी, डिजिटल भारत निधि के प्रशासक श्री नीरज वर्मा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) गुजरात की प्रधान सचिव सुश्री मोना खंढर उपस्थित रहे। इनकी उपस्थिति में हुए इस समझौते ने डिजिटल समावेशन की दिशा में राज्य और केंद्र के संयुक्त प्रयास को मजबूत किया।
गुजरात इस मॉडल को लागू करने वाला पहला राज्य बना है, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में तेज और सुलभ डिजिटल संपर्क की दिशा में नई पहल की है। भारत सरकार ने इस परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) और संचालन एवं रखरखाव (ओपेक्स) के मद में कुल ₹5631 करोड़ की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है।
संशोधित भारतनेट की विशेषताएं
संशोधित भारतनेट कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी 14,654 ग्राम पंचायतों और गैर-ग्राम पंचायत गांवों को डिजिटल नेटवर्क से जोड़ना है। इस नेटवर्क की बुनियादी संरचना इतनी सुदृढ़ और आधुनिक होगी कि ग्रामीण भारत को शहरी डिजिटल मानकों के समकक्ष लाया जा सकेगा।
प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
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रिंग टोपोलॉजी आधारित नेटवर्क – यह संरचना नेटवर्क को अधिक स्थिरता और गति प्रदान करती है।
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MPLS प्रौद्योगिकी का उपयोग – आधुनिक ऑप्टिकल फाइबर आधारित संचार सुनिश्चित करेगा।
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10 जीबीपीएस ब्लॉक स्तर पर और 1 जीबीपीएस ग्राम पंचायत स्तर पर कनेक्टिविटी – यह संपूर्ण राज्य में तेज ब्रॉडबैंड के सपने को साकार करेगा।
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98% से अधिक अपटाइम – नेटवर्क की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सेवा स्तर समझौते (SLA) लागू किए जाएंगे।
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FTTH कनेक्शन – पांच वर्षों में 1.5 करोड़ परिवारों और संस्थानों को उच्च गति इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना।
गुजरात की अग्रणी भूमिका
गुजरात देश के उन आठ राज्यों में शामिल है जिन्हें राज्य के नेतृत्व वाले मॉडल के अंतर्गत संशोधित भारतनेट कार्यक्रम को लागू करने की स्वीकृति प्राप्त हुई है, और यह इसे औपचारिक रूप से आरंभ करने वाला पहला राज्य बन गया है। इससे न केवल गुजरात की तकनीकी दक्षता और प्रशासनिक पारदर्शिता का प्रमाण मिलता है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल भी प्रस्तुत करता है।
गुजरात सरकार ने पहले ही गुजरात फाइबर ग्रिड नेटवर्क लिमिटेड (GFGNL) की स्थापना करके ग्रामीण डिजिटल संपर्क का विस्तार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। राज्य में पहले से ही ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल स्वास्थ्य और वित्तीय समावेशन जैसी सेवाएं सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचाई जा रही हैं, जिनका लाभ अब इस उन्नत नेटवर्क से और अधिक प्रभावी रूप में प्राप्त होगा।
समाज पर प्रभाव: ग्रामीण भारत के लिए नया युग
संशोधित भारतनेट कार्यक्रम केवल एक दूरसंचार परियोजना नहीं है, यह ग्रामीण भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को बदलने का एक यथार्थवादी प्रयास है। इस योजना से जो लाभ अपेक्षित हैं, वे निम्नलिखित क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे:
1. शिक्षा क्षेत्र में क्रांति
संशोधित भारतनेट की सबसे बड़ी देन ग्रामीण भारत में गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा की पहुंच है। आज भी देश के कई गाँवों में शिक्षकों की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और शैक्षिक असमानता जैसी चुनौतियाँ विद्यमान हैं। भारतनेट इन बाधाओं को तकनीक की ताकत से दूर कर रहा है।
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ऑनलाइन शिक्षा का विस्तार: अब हर गाँव के विद्यालय तक तेज गति का इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित डिजिटल शिक्षा पोर्टलों तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित होगी।
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डिजिटल पुस्तकालय और वर्चुअल कक्षा: छात्र कहीं से भी पढ़ाई कर सकते हैं। डिजिटल पुस्तकालय, एनसीईआरटी और अन्य संसाधनों के वीडियो लेक्चर, अभ्यास सामग्री और लाइव क्लास उपलब्ध होंगी।
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राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सामग्री तक पहुंच: ग्रामीण छात्रों को वैश्विक स्तर की शैक्षिक सामग्री उपलब्ध होगी जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं और उन्नत विषयों की तैयारी में समान अवसर प्राप्त होंगे।
इस क्रांति से ग्रामीण बच्चों को शहरों के बराबर शैक्षिक संसाधन मिलेंगे — जो भारत को “ज्ञान आधारित समाज” में परिवर्तित करने की दिशा में निर्णायक कदम है।
2. स्वास्थ्य सेवा में सुधार
गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी एक पुरानी समस्या रही है। संशोधित भारतनेट टेलीमेडिसिन और ई-हेल्थ प्लेटफार्मों को गाँवों तक ले जाकर इस खाई को पाट रहा है।
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टेलीमेडिसिन सेवाएं: अब मरीज अपने घर से ही स्मार्टफोन या CSC केंद्र के माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टर से वीडियो कॉल पर परामर्श ले सकते हैं। इससे समय, पैसा और यात्रा की परेशानी से राहत मिलेगी।
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ई-हेल्थ रिकॉर्ड्स और डेटा एनालिटिक्स: प्रत्येक मरीज का डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड बन सकेगा, जिससे बीमारी के रुझानों की निगरानी और नीतियों का बेहतर नियोजन संभव होगा।
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दवा और परीक्षण सेवाएं: ऑनलाइन दवा डिलीवरी और डायग्नोस्टिक सेवाएं अब गाँवों तक विस्तार पा सकेंगी।
गांवों में स्वास्थ्य सेवा अब शहरों से अलग नहीं रहेगी, जिससे “स्वस्थ भारत” के सपने को बल मिलेगा।
3. आजीविका और उद्यमिता को मिलेगा प्रोत्साहन
भारतनेट केवल सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि आर्थिक उन्नति का माध्यम भी बन रहा है। ग्रामीण भारत में डिजिटल स्किलिंग, ऑनलाइन व्यवसाय और स्टार्टअप संस्कृति को अब नया आधार मिलेगा।
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डिजिटल स्किलिंग हब: भारतनेट के माध्यम से संचालित प्रशिक्षण केंद्रों में युवा कंप्यूटर शिक्षा, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग जैसी आधुनिक दक्षताएं सीख सकेंगे।
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ग्रामीण ई-कॉमर्स: किसान, बुनकर, दस्तकार और घरेलू उद्यमी अब अपने उत्पाद सीधे ऑनलाइन बेच सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका घटेगी और लाभ में वृद्धि होगी।
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महिला उद्यमिता को बढ़ावा: महिलाएं अब घर से ही सिलाई, आचार, खाद्य प्रसंस्करण, डिज़ाइन आदि व्यवसाय शुरू कर सकती हैं और डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी पहचान बना सकती हैं।
संशोधित भारतनेट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को “डिजिटल अर्थव्यवस्था” में रूपांतरित कर रहा है।
4. संचालन और शासन में पारदर्शिता
गवर्नेंस का डिजिटल स्वरूप प्रशासन को तेज, पारदर्शी और जन-केंद्रित बनाता है। भारतनेट से यह इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस अब गाँवों में भी लागू हो सकेगा।
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सीधे सेवा वितरण: आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र, पेंशन आवेदन, राशन कार्ड जैसी सरकारी सेवाएं ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेंगी, जिससे भ्रष्टाचार और देरी पर रोक लगेगी।
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पंचायत और ब्लॉक स्तर पर दक्षता: अधिकारी अब डिजिटल माध्यम से फ़ाइलें भेज सकेंगे, योजनाओं की निगरानी कर सकेंगे, और बजट का पारदर्शी उपयोग कर सकेंगे।
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रीयल टाइम डाटा एनालिटिक्स: प्रत्येक स्तर पर डेटा का विश्लेषण कर योजनाओं को बेहतर बनाया जा सकेगा।
इससे शासन “जन-सेवा” का सही अर्थ प्राप्त करेगा — जहाँ योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं, धरातल पर दिखाई देंगी।
तकनीकी नवाचार और समावेशन
संशोधित भारतनेट न केवल परंपरागत नेटवर्क है, बल्कि बहुआयामी डिजिटल समाधान भी है जो अलग-अलग क्षेत्रों को जोड़ता है:
फाइबर टू टावर (FTT – Tower):
दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की गति अब बाधित नहीं रहेगी। भारतनेट के माध्यम से इन क्षेत्रों में टावरों तक फाइबर पहुँचाया जाएगा जिससे मोबाइल इंटरनेट की गुणवत्ता बढ़ेगी।
फाइबर टू फील्ड ऑफिस (FTT – Field Office):
ग्राम पंचायत, कृषि केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल आदि फील्ड कार्यालयों में इंटरनेट पहुँचने से कामकाज की गति और निगरानी की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
फाइबर टू होम (FTTH):
गाँवों में प्रत्येक घर तक ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से तेज ब्रॉडबैंड सेवा पहुँचाई जाएगी, जिससे बच्चे ऑनलाइन पढ़ सकें, महिलाएं व्यवसाय कर सकें और बुजुर्ग चिकित्सकीय सलाह ले सकें।
फाइबर टू फिनटेक (FT – FinTech):
भारतनेट ग्रामीण बैंकों, डाकघरों और डिजिटल भुगतान प्रणालियों को जोड़कर वित्तीय समावेशन को नई ऊंचाई देगा। अब लोग अपने गांव से ही बैंकिंग कर सकेंगे।
यह नवाचार भारतनेट को सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाते हैं।
राष्ट्रीय महत्व और दीर्घकालिक प्रभाव
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “सशक्त भारत – डिजिटल भारत” दृष्टिकोण को धरातल पर साकार करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत डिजिटल संपर्क देश की आर्थिक प्रगति में नया आयाम जोड़ने के साथ-साथ सामाजिक समरसता और समान अवसरों का वातावरण भी निर्मित करेगा।
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1.5 करोड़ FTTH कनेक्शन के लक्ष्य से न केवल डिजिटल सेवाओं का विस्तार होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
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ओपेक्स और कैपेक्स के स्पष्ट विभाजन से दीर्घकालिक संचालन सुनिश्चित होगा।
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BSNL जैसी पेशेवर एजेंसियों की भागीदारी से निष्पादन में गुणवत्ता और गति दोनों सुनिश्चित होंगे।
चुनौतियाँ और समाधान
जहां एक ओर इस परियोजना के अनेक लाभ हैं, वहीं इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं:
संभावित चुनौतियाँ:
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भौगोलिक असमानता और दूरदराज के क्षेत्रों में निर्माण संबंधी कठिनाई।
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जनशक्ति का अभाव और तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता।
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प्रारंभिक लागत और रखरखाव का बोझ।
समाधान की दिशा:
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लोकल लेवल पर डिजिटल साक्षरता अभियान।
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राज्य सरकार द्वारा पंचायत स्तर पर ‘डिजिटल मित्र’ या ‘भारतनेट सहयोगी’ की नियुक्ति।
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PPP मॉडल के माध्यम से निजी भागीदारी को प्रोत्साहन।
निष्कर्ष
संशोधित भारतनेट कार्यक्रम न केवल गुजरात बल्कि संपूर्ण भारत के ग्रामीण क्षेत्रों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक ठोस और दूरगामी पहल है। गुजरात के द्वारा इसे लागू करके जो उदाहरण प्रस्तुत किया गया है, वह देश के अन्य राज्यों को भी प्रेरणा देगा। यह पहल भारत को वैश्विक डिजिटल ताकत बनाने की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।
इसकी सफलता केवल तकनीकी या प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की आधारशिला बनेगी। ग्रामीण भारत अब डिजिटल भारत का अभिन्न और सशक्त भाग बनकर उभरेगा — यही इस योजना का सार है।