पुणे में आयोजित हुआ सातवां हेलीकॉप्टर एवं लघु विमान शिखर सम्मेलन

पुणे में आयोजित हुआ सातवां हेलीकॉप्टर एवं लघु विमान शिखर सम्मेलन

भारत के नागर विमानन क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत महाराष्ट्र के पुणे में सातवें “हेलीकॉप्टर एवं लघु विमान शिखर सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन नागर विमानन मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र सरकार, पवन हंस लिमिटेड और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से किया गया। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री राममोहन नायडू किंजरापु ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

केंद्रीय मंत्री का दृष्टिकोण: आधुनिक और समावेशी हवाई समाधान

अपने उद्घाटन भाषण में श्री राममोहन नायडू ने कहा, “विमानन का अगला दशक केवल बड़े विमानों और हवाई अड्डों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें हेलीकॉप्टर और छोटे विमानों की निर्णायक भूमिका होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हम इन हवाई समाधानों को देश के हर कोने तक पहुंचाना चाहते हैं।”

उन्होंने बताया कि एक समर्पित हेलीकॉप्टर निदेशालय की स्थापना DGCA के अंतर्गत की जा रही है जो हेलीकॉप्टरों के लिए विशेष रूप से सुरक्षा, प्रमाणन और संचालन संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि हेली सेवा पोर्टल के माध्यम से मार्ग अनुमोदन और स्लॉट आवंटन जैसी प्रक्रियाएं डिजिटल हो चुकी हैं, जिससे संचालन में पारदर्शिता और दक्षता आई है।

राज्य मंत्री का योगदान: आत्मनिर्भर भारत और सतत विमानन

केंद्रीय राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की हवाई यातायात प्रणालियों का आधुनिकीकरण, हरित ईंधन का उपयोग, और ईवीटीओएल (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग) जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना आज सरकार की नीतिगत प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि “हम भारत में हेलीकॉप्टर और छोटे विमान सेवा को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय प्रशिक्षण और तकनीकी दक्षता में भारी निवेश कर रहे हैं।”

श्री मोहोल ने विशेष रूप से हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस (HEMS) की चर्चा की और कहा कि “हमारा उद्देश्य यह है कि एयर एम्बुलेंस की सेवा देश के हर नागरिक के लिए सुलभ हो, विशेषकर पहाड़ी और दूरदराज़ क्षेत्रों में।”

डीजीसीए और नीति-सुधार की पहलें

DGCA के महानिदेशक श्री फैज अहमद किदवई ने अपने संबोधन में सुरक्षा मानकों, अनुपालन और अप्रयुक्त अवसरों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि DGCA द्वारा हेलीकॉप्टरों के संचालन को सरल और सुरक्षित बनाने हेतु नए संशोधित नियम, प्रमाणन प्रक्रिया और पायलट प्रशिक्षण मानदंड लागू किए जा रहे हैं।

तकनीकी और नीति आधारित सत्र

प्रमुख एजेंडों पर व्यापक चर्चा

शिखर सम्मेलन में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा प्रस्तावित नए सुरक्षा नियमों और अनुपालन ढांचे को केंद्रीय रूप से प्रस्तुत किया गया। DGCA के अधिकारियों ने बताया कि हाल के वर्षों में हेलीकॉप्टर और छोटे विमानों से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए, अब सुरक्षा प्रोटोकॉल को अधिक सख्त और व्यावहारिक बनाया गया है। इसमें प्रशिक्षण, उड़ान की समयसीमा, मौसम आधारित उड़ान अनुमतियाँ और तकनीकी जांच को अनिवार्य किया गया है।

लीजिंग और फाइनेंसिंग में IFSCAकी भूमिका

गुजरात के गिफ्ट सिटी में स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) के प्रतिनिधियों ने विमानन क्षेत्र के लिए एक नवीन लीजिंग और फाइनेंसिंग मॉडल प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि भारत अब लीज-आधारित एयरक्राफ्ट पंजीकरण को सुलभ और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में अग्रसर है, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। गिफ्ट सिटी को विमानन वित्त के लिए वैश्विक केंद्र बनाने की योजना भी साझा की गई।

IFSCA के चेयरपर्सन ने कहा, “भारत में विमान लीजिंग अभी तक आयरलैंड, सिंगापुर जैसे देशों पर निर्भर रही है। लेकिन अब हमारा लक्ष्य देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।”

हेलीकॉप्टर और छोटे विमानों के लिए रूट अलोकेशन

परिवहन और आपदा प्रबंधन में हेलीकॉप्टरों की बढ़ती भूमिका को देखते हुए, AAI (भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) और NDMA ने संयुक्त रूप से रूट अलोकेशन मैपिंग प्रणाली प्रस्तुत की। इसका उद्देश्य है—दुर्गम क्षेत्रों में भी सुलभ हवाई सेवाएं सुनिश्चित करना। विशेष रूप से पूर्वोत्तर, हिमालयी और आदिवासी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर आधारित परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में नीतियाँ तैयार की जा रही हैं।

राज्यों ने UDAN योजना के तहत अपने अनुभव साझा करते हुए और अधिक रूटों की मांग की। उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने स्थानीय हवाई अड्डों को अपग्रेड करने और हेलीकॉप्टर हैंगर सुविधाओं के विस्तार का प्रस्ताव रखा।

OEM और ऑपरेटरों की चुनौतियाँ

सम्मेलन में विमान निर्माण कंपनियों (OEMs) और एयरलाइन ऑपरेटरों ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने विशेष रूप से कल-पुर्जों की आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं, तकनीकी स्टाफ की कमी और मरम्मत केंद्रों की अपर्याप्तता को प्रमुख चुनौतियों के रूप में रेखांकित किया।

इंडिगो, एयर इंडिया, पवन हंस, ब्लेड इंडिया जैसे ऑपरेटरों ने अनुरोध किया कि केंद्र सरकार MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) सुविधाओं के विस्तार को प्राथमिकता दे। साथ ही, उन्होंने स्थानीय स्तर पर उड़ान इंजीनियरों और पायलट प्रशिक्षण संस्थानों को मजबूत करने की मांग भी रखी।

राज्यों की क्षेत्रीय आकांक्षाएं

सम्मेलन में 20 से अधिक राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्रीय विमानन विकास योजनाएं प्रस्तुत कीं। बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, और राजस्थान जैसे राज्यों ने छोटे शहरों में ग्रामीण हवाई पट्टियों को नागरिक उड्डयन में बदलने की योजना साझा की। हरियाणा सरकार ने घोषणा की कि वे आने वाले वर्षों में 5 नए हेलीपोर्ट्स का निर्माण करेंगे।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात ने इंटीग्रेटेड एविएशन इकोसिस्टम बनाने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल अपनाने की मंशा जाहिर की। इसके तहत उड़ान, प्रशिक्षण, तकनीकी सेवा, और कैटरिंग जैसी सेवाएं एक ही परिसर में विकसित की जाएंगी।

भविष्य की उड़ान: eVTOL, हाइब्रिड एविएशन और AI

सम्मेलन का सबसे आकर्षक हिस्सा रहा – उभरती तकनीकों पर आधारित प्रस्तुतियाँ। कई स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों ने eVTOL (Electric Vertical Take-Off and Landing) वाहनों, हाइब्रिड एविएशन, और AI-आधारित एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट प्रणालियों पर अपने शोध और मॉडल साझा किए।

AI स्टार्टअप SkyNav ने एक AI आधारित प्रणाली पेश की जो हवाई मार्गों में जाम, मौसम पूर्वानुमान और आपात लैंडिंग की संभावनाओं का पूर्व-सूचना अलर्ट देती है। वहीं, एक बेंगलुरु आधारित कंपनी ने भारत में 2027 तक 100% स्वदेशी eVTOL टैक्सी सेवा शुरू करने की योजना का खुलासा किया।

नई नीतिगत घोषणाएं

सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणाएं भी की गईं:

  • हेलीकॉप्टरों के लिए उड़ान 5.1 का शुभारंभ
  • सीप्लेन संचालन के लिए दिशा-निर्देश (RCS उड़ान 5.5 के अंतर्गत)
  • प्रमाणन और पायलट प्रशिक्षण में सुधार के लिए संशोधित DGCA नियमों की घोषणा

सुरक्षा और तीर्थयात्रा: मंत्री का विशेष आग्रह

श्री राममोहन नायडू ने तीर्थयात्रा मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “इस कार्य में कोई शॉर्टकट नहीं हो सकता। संचार की खामियों या गलत निर्णय की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। यह केंद्र, राज्यों और ऑपरेटरों की सामूहिक जिम्मेदारी है।”

भारत में हेलीकॉप्टर एवं लघु विमानन के लिए भविष्य की दिशा

सम्मेलन में साझा किया गया दृष्टिकोण यह था कि हेलीकॉप्टर और छोटे विमान अगले दशक में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, आपातकालीन सेवाओं, पर्यटन, और आर्थिक विकास के वाहक बनेंगे। ये विमान विशेष रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत, और अन्य दूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और पर्यटक सेवाओं के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

निष्कर्ष: भारत की उड़ान को नई ऊंचाई देने वाला मंच

पुणे में आयोजित यह शिखर सम्मेलन भारत के रोटरी विंग एविएशन और लघु विमान क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इससे भारत को न केवल हेलीकॉप्टर और छोटे विमान सेवाओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिली, बल्कि यह क्षेत्रीय संतुलन, सामाजिक समावेशन और आकस्मिक सेवाओं की गुणवत्ता को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मंच बना।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *