सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 26 जून को अंतरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध एवं तस्करी रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम देश को एक नई दिशा देने का संदेश बनकर उभरा। नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और नशे के विरुद्ध लड़ाई को एक जन आंदोलन का स्वरूप देने का आह्वान किया।
यह दिवस भारत सहित पूरी दुनिया में मादक द्रव्यों के सेवन और अवैध तस्करी की सामाजिक, मानसिक और स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रमुख अवसर होता है। भारत सरकार विशेष रूप से इस अवसर को नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की व्यापक पहुँच को प्रदर्शित करने और उसकी उपलब्धियों को सामने लाने के रूप में उपयोग करती है।
एक सशक्त सामाजिक पहल: नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA)
भारत सरकार द्वारा 2020 में शुरू किया गया नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) अब देशव्यापी जन आंदोलन का स्वरूप ले चुका है। इसका उद्देश्य न केवल मादक पदार्थों के दुरुपयोग के दुष्परिणामों के प्रति युवाओं और समाज को जागरूक करना है, बल्कि नशे के आदी लोगों के लिए उपचार, पुनर्वास और सामाजिक पुनः समावेशन को भी सुनिश्चित करना है।
NMBA का दृष्टिकोण बहुआयामी है, जो समाज के प्रत्येक वर्ग को शामिल करते हुए, समस्या की जड़ों पर प्रहार करता है। यह केवल सरकारी अभियान नहीं बल्कि एक सामूहिक प्रयास है जिसमें शिक्षक, छात्र, माता-पिता, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक संस्थाएं और स्वयंसेवी संगठन शामिल हैं।
नशा: एक मनो-सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट
मादक पदार्थों का सेवन न केवल व्यक्तिगत स्तर पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक क्षति पहुंचाता है, बल्कि इसका प्रभाव परिवार, समाज और राष्ट्र की उत्पादकता पर भी गहरा पड़ता है। मादक द्रव्यों पर निर्भरता से मनोवैज्ञानिक विकार, आत्महत्याएँ, हिंसा, सड़क दुर्घटनाएं और सामाजिक अपराधों में वृद्धि होती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में किशोरों और युवाओं में नशीली दवाओं का सेवन चिंता का विषय बनता जा रहा है। शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है।
NMBA की पहुंच और उपलब्धियां: आंकड़ों की दृष्टि से
1. 15.78 करोड़ लोगों तक जागरूकता पहुंच
अब तक देश भर में NMBA के अंतर्गत चलाए गए जागरूकता अभियानों के माध्यम से 15.78 करोड़ से अधिक लोगों को मादक द्रव्यों के हानिकारक प्रभावों से अवगत कराया जा चुका है।
2. विशेष रूप से लक्षित समूह
इनमें से 5.26 करोड़ युवा और 3.31 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अभियान ने समाज के सबसे संवेदनशील और प्रभावी वर्गों तक अपनी पहुँच बनाई है।
3. शैक्षणिक संस्थानों की सहभागिता
4.31 लाख से अधिक स्कूलों और कॉलेजों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि युवा पीढ़ी को प्रारंभिक स्तर से ही नशे के विरुद्ध जागरूक किया जाए।
4. मास्टर वालंटियर्स का नेटवर्क
देशभर में 20,000 से अधिक मास्टर वालंटियर्स (MVs) की एक समर्पित टीम तैयार की गई है। इन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर सामुदायिक स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए लगाया गया है।
प्रौद्योगिकी और डिजिटल माध्यमों की शक्ति
NMBA अभियान को जनसामान्य से जोड़ने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी बड़े स्तर पर किया गया है।
1. सोशल मीडिया की भूमिका
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म पर अभियान के आधिकारिक अकाउंट्स लगातार सक्रिय हैं। यहां जागरूकता संदेश, वीडियो, प्रतियोगिताएं और उपयोगकर्ता सहभागिता को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम नियमित रूप से साझा किए जाते हैं।
2. NMBA मोबाइल एप्लिकेशन
एक विशेष मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जो NMBA के डैशबोर्ड से जुड़ा हुआ है। यह ऐप मास्टर वालंटियर्स और जिला स्तरीय अधिकारियों को कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग और निगरानी की सुविधा देता है।
3. NMBA वेबसाइट
वेबसाइट पर अभियान से संबंधित विस्तृत जानकारी, ऑनलाइन मंच, ई-प्रतिज्ञा और जिला/राज्य स्तरीय डाटा उपलब्ध है। यह एक पारदर्शी और सहभागी प्लेटफार्म के रूप में कार्य करता है।
राष्ट्रीय प्रतिज्ञा अभियान: जन भागीदारी का प्रतीक
एक उल्लेखनीय उपलब्धि यह रही कि 1.67 करोड़ से अधिक छात्रों ने 99,595 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से नशा मुक्ति की शपथ ली। यह प्रतिज्ञा अभियान न केवल प्रतीकात्मक रहा बल्कि इसने विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने दायित्वों को समझने की प्रेरणा दी।
सामूहिक प्रयास: आध्यात्मिक एवं सामाजिक संगठनों की भागीदारी
NMBA को जन आंदोलन का रूप देने के लिए सरकार ने आध्यात्मिक और सामाजिक संगठनों से भी सहयोग लिया है। इन संगठनों की भागीदारी से अभियान को उन क्षेत्रों तक पहुँच मिली है, जहाँ सरकारी तंत्र की सीधी पहुँच कठिन होती है।
समझौता ज्ञापन के तहत जुड़े संगठन:
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आर्ट ऑफ लिविंग
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ब्रह्माकुमारीज़
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संत निरंकारी मिशन
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राम चंद्र मिशन (दाजी)
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इस्कॉन
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अखिल विश्व गायत्री परिवार
इन संगठनों ने जन जागरूकता शिविर, प्रार्थना सभाओं, ध्यान कार्यक्रमों और सेवा अभियानों के माध्यम से लाखों लोगों को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित किया है।
विशेष अभियान: युवाओं को जोड़ने के लिए रचनात्मक पहल
NMBA ने युवाओं को जोड़ने के लिए अनेक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है:
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‘नशे से आज़ादी’ – राष्ट्रीय युवा एवं छात्र संपर्क कार्यक्रम
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‘नया भारत, नशा मुक्त भारत’ – जनसंवाद अभियान
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‘एनसीसी का NMBA से जुड़ाव’ – कैडेट्स द्वारा प्रचार-प्रसार
इन अभियानों ने ग्रामीण, आदिवासी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रभावी तरीके से संदेश पहुंचाया।
नशा मुक्ति केंद्रों की जियो टैगिंग: पारदर्शिता और पहुँच
NMBA के अंतर्गत देश के सभी नशा मुक्ति केंद्रों को जियो-टैग किया गया है। इसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को निकटतम केंद्र की जानकारी देना और प्रशासनिक स्तर पर निगरानी रखना है। यह सुविधा NMBA ऐप और वेबसाइट दोनों पर उपलब्ध है।
रणनीतिक रूपरेखा: NAPDDR योजना
भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय मादक द्रव्यों की मांग में कमी की कार्य योजना (NAPDDR) के अंतर्गत 1 जून से 26 जून 2025 तक जागरूकता कार्यक्रमों की श्रृंखला चलाई जा रही है। यह योजना देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, स्वयंसेवी संगठनों और संस्थानों के सहयोग से संचालित हो रही है।
इसके अंतर्गत:
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नुक्कड़ नाटक
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पोस्टर प्रतियोगिता
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सेमिनार
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स्वास्थ्य शिविर
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सोशल मीडिया अभियान
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संगीत और कला गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
केंद्रीय मंत्री का आह्वान: “जन-जन की भागीदारी ज़रूरी”
कार्यक्रम में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने कहा, “नशा एक सामाजिक अभिशाप है। इससे लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की सहभागिता अनिवार्य है। NMBA को गांव-गांव, गली-गली ले जाना हमारा लक्ष्य है।”
उन्होंने मास्टर वालंटियर्स की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये जमीनी योद्धा हैं, जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक जागरूकता पहुंचा रहे हैं।
निष्कर्ष: एक बदलते भारत की ओर
भारत सरकार का नशा मुक्त भारत अभियान अब केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन बन चुका है। इसकी व्यापकता, डिजिटल दक्षता, सामाजिक सहभागिता और तकनीकी पारदर्शिता ने इसे 21वीं सदी के सबसे प्रभावशाली सामाजिक अभियानों में शामिल कर दिया है।