भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा एवं आवासन और शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने पूर्वी भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ पटना में आयोजित क्षेत्रीय विद्युत सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में बिजली क्षेत्र से जुड़े तमाम मुद्दों, अवसरों और चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन का उद्देश्य राज्यों को भविष्य की बिजली मांगों को पूरा करने, पारदर्शी व प्रभावी वितरण सुनिश्चित करने और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में मार्गदर्शन देना था।
सम्मेलन में उच्चस्तरीय भागीदारी
सम्मेलन में विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, ओडिशा के उपमुख्यमंत्री श्री कनक वर्धन सिंह देव, बिहार के ऊर्जा मंत्री श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, झारखंड के शहरी विकास एवं आवास मंत्री श्री सुदिव्य कुमार समेत कई राज्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, विद्युत मंत्रालय के सचिव, विभिन्न राज्यों के ऊर्जा सचिव, केंद्रीय एवं राज्य बिजली कंपनियों के प्रमुख, नीति नियोजक और तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल रहे।
भारत का बिजली क्षेत्र: “एक राष्ट्र – एक ग्रिड” का लक्ष्य प्राप्त
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने भारत की एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए इसे ‘एक राष्ट्र-एक ग्रिड’ की संकल्पना का साकार रूप बताया। उन्होंने बताया कि भारत ने मई 2024 में 250 गीगावाट और 2025 में अब तक 242 गीगावाट की अधिकतम मांग को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब बिजली की कमी वाले देश से बिजली-पर्याप्त राष्ट्र बन चुका है। अनुमान है कि 2025 के अंत तक यह मांग बढ़कर 270 गीगावाट तक पहुंच सकती है।
बिजली उत्पादन और संसाधन पर्याप्तता पर बल
मंत्री ने राज्यों से आग्रह किया कि वे संसाधन पर्याप्तता योजनाओं के अनुरूप अपने बिजली उत्पादन मिश्रण को संतुलित करें। उन्होंने खासतौर पर परमाणु ऊर्जा की भूमिका को रेखांकित किया और हर राज्य में कम से कम एक परमाणु परियोजना स्थापित करने का सुझाव दिया। भारत ने वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिससे दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
नवीकरणीय ऊर्जा में तेज प्रगति
भारत ने पिछले एक दशक में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। 2014 में जहां इसकी हिस्सेदारी मात्र 32% थी, वहीं अप्रैल 2025 तक यह बढ़कर 49% हो चुकी है। मंत्री ने कहा कि ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के साथ हरित ऊर्जा की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने राज्य सरकारों से अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (RPO) को प्रभावी ढंग से लागू करने और इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए समर्पित टीमें गठित करने का अनुरोध किया।
ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर: भविष्य की रीढ़
सम्मेलन में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि ऊर्जा ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती राष्ट्रीय ऊर्जा प्रणाली की रीढ़ है। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (TBCB) मॉडल को अपनाकर अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन योजनाएं विकसित करनी चाहिए। उन्होंने ट्रांसमिशन परियोजनाओं में आने वाली बाधाओं जैसे कि “राइट ऑफ वे” (ROW) और वन मंजूरी से संबंधित समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाने का निर्देश दिया।
वित्तीय सहयोग: ₹1.5 लाख करोड़ का समर्थन
बजट 2025-26 में केंद्र सरकार ने राज्यों के पूंजीगत व्यय को प्रोत्साहित करने हेतु ₹1.5 लाख करोड़ की ब्याज मुक्त ऋण सुविधा घोषित की है। मंत्री ने राज्यों से अनुरोध किया कि वे इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाएं और ट्रांसमिशन परियोजनाओं को गति दें।
वितरण क्षेत्र: उपभोक्ता तक कुशल सेवा का माध्यम
बिजली वितरण क्षेत्र को संपूर्ण विद्युत क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए मंत्री ने कहा कि इसकी दक्षता ही उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं सुनिश्चित कर सकती है। उन्होंने बताया कि अगले सात वर्षों में इस क्षेत्र को ₹42 लाख करोड़ की पूंजीगत आवश्यकता होगी। लेकिन वर्तमान में एटीएंडसी (AT&C) घाटा, बिलिंग असंगति, सरकारी बकाया और सब्सिडी भुगतान में विलंब इसके सामने बड़ी चुनौतियां हैं।
स्मार्ट मीटरिंग: पारदर्शिता और उत्तरदायित्व का साधन
केंद्रीय मंत्री ने स्मार्ट मीटरिंग को विद्युत वितरण में पारदर्शिता और उपभोक्ता सहभागिता बढ़ाने का प्रमुख साधन बताया। उन्होंने कहा कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर से सरकारी विभागों के बिलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा। उन्होंने सभी राज्यों से अगस्त 2025 तक सभी सरकारी प्रतिष्ठानों और कॉलोनियों में तथा नवंबर 2025 तक सभी वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर स्थापित करने का लक्ष्य रखा।
साइबर सुरक्षा और पावर आइलैंडिंग
बिजली ग्रिड की साइबर सुरक्षा आज के डिजिटल युग में अत्यंत आवश्यक है। मंत्री ने आइलैंडिंग योजनाओं को ग्रिड को लचीला बनाने का एक अहम उपाय बताया। उन्होंने राज्यों को ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क पर उपयुक्त साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने की सलाह दी।
राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक की टिप्पणी
राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए “पीएम कुसुम योजना” के समयबद्ध कार्यान्वयन और “पीएम सूर्य घर योजना” के त्वरित क्रियान्वयन पर बल दिया। उन्होंने राज्यों से दिसंबर 2025 तक सभी कुसुम परियोजनाएं पूरी करने का अनुरोध किया।
नीति, नियोजन और सहयोग का मंच
विद्युत मंत्रालय के सचिव ने भी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र और राज्यों को वित्तीय स्थिरता, क्षमता निर्माण और तकनीकी एकीकरण पर संयुक्त रूप से कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि संसाधन पर्याप्तता योजनाएं बनाकर वर्ष 2035 तक की मांगों की पूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, राज्यों को विभिन्न वित्तपोषण विकल्पों जैसे TBCB, RTM, संपत्ति मुद्रीकरण आदि का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
राज्यों की भागीदारी और प्रतिबद्धता
बिहार, ओडिशा और झारखंड के मंत्रियों ने भी सम्मेलन में भाग लेते हुए राज्य सरकारों की प्रतिबद्धता को दोहराया और केंद्रीय सहयोग की सराहना की। उन्होंने राज्य की प्रमुख परियोजनाओं और आगामी लक्ष्यों की जानकारी दी तथा कई नीतिगत सुझाव भी साझा किए।
निष्कर्ष: ऊर्जा क्षेत्र में एकजुटता ही सफलता की कुंजी
पटना में आयोजित यह क्षेत्रीय सम्मेलन न केवल एक संवाद का मंच था, बल्कि यह राज्यों और केंद्र सरकार के बीच ऊर्जा क्षेत्र के विकास को लेकर साझा दृष्टिकोण और रणनीतिक समन्वय का प्रतीक भी बना। केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा प्रस्तुत ‘सभी के लिए, हर समय बिजली’ का दृष्टिकोण केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प है।
बिजली क्षेत्र के भविष्य को सुरक्षित, किफायती, टिकाऊ और सुलभ बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी हितधारक—राज्य सरकारें, केंद्र, निजी कंपनियां और उपभोक्ता—एकजुट होकर कार्य करें। इस सम्मेलन से मिले सुझावों और निर्देशों के आधार पर पूर्वी भारत के बिजली ढांचे में आने वाले समय में निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।