भारत और वियतनाम के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नई दिल्ली में 13वां राजनीतिक परामर्श और 10वां रणनीतिक संवाद सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विदेश मंत्रालय में पूर्वी मामलों के सचिव पी. कुमारन और वियतनाम के उप विदेश मंत्री गुयेन मान कुओंग ने इस उच्चस्तरीय द्विपक्षीय संवाद की सह-अध्यक्षता की।
यह बैठक दोनों देशों के बीच निरंतर मजबूत होते रणनीतिक, राजनयिक, आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों की व्यापक समीक्षा का अवसर बनी। भारत और वियतनाम की यह बहुआयामी सहभागिता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता, विकास और सहयोग के साझा दृष्टिकोण पर आधारित है।
भारत-वियतनाम द्विपक्षीय संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और वियतनाम के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत आधार पर सदियों पुराने हैं। गौतम बुद्ध के विचारों का वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव रहा है। दोनों देशों ने औपनिवेशिक संघर्षों से लेकर स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण तक की समान यात्रा की है। 1972 में भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए, और 2007 में इन संबंधों को “स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” का दर्जा प्राप्त हुआ। 2016 में इस संबंध को “कॉम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” में उन्नत किया गया।
राजनीतिक परामर्श: व्यापक द्विपक्षीय चर्चा
13वें राजनीतिक परामर्श में दोनों पक्षों ने उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद, नियमित द्विपक्षीय दौरे, और संस्थागत मैकेनिज्म्स की समीक्षा की। भारत और वियतनाम के नेताओं के बीच पिछले वर्षों में हुई शिखर वार्ताओं के क्रियान्वयन की प्रगति पर चर्चा हुई।
दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि राजनीतिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के लिए संसद, राजनीतिक दलों, प्रांतीय सरकारों, तथा थिंक टैंक्स के बीच भी संवाद और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
रणनीतिक संवाद: इंडो-पैसिफिक में साझा हितों की पुष्टि
10वें रणनीतिक संवाद में दोनों देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, बहुपक्षीय सहयोग, और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के सम्मान पर अपने साझा दृष्टिकोण को दोहराया। भारत और वियतनाम दोनों “इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव (IPOI)” और “ASEAN आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक (AOIP)” के समर्थक हैं। बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि क्षेत्रीय समुद्री डोमेन में कानून आधारित व्यवस्था और फ्रीडम ऑफ नेविगेशन को बनाए रखना आवश्यक है।
वियतनाम ने भारत के “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” को प्रशंसा के साथ स्वीकार किया और भारत-आसियान साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग: क्षेत्रीय स्थिरता का आधार
दोनों पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण स्तंभ माना। बैठक में साझा सैन्य अभ्यास, नौसेना सहयोग, क्षमता निर्माण, रक्षा उत्पादन, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग पर चर्चा हुई।
भारत ने वियतनाम को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, प्रशिक्षण, और रक्षा उद्योग में साझेदारी की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। वियतनाम ने भारत द्वारा दी गई 100 मिलियन डॉलर की रक्षा क्रेडिट लाइन के प्रभावी उपयोग की जानकारी दी।
आर्थिक साझेदारी: व्यापार और निवेश के नए द्वार
राजनीतिक परामर्श और रणनीतिक संवाद दोनों में यह महसूस किया गया कि भारत और वियतनाम के बीच आर्थिक साझेदारी को वर्तमान के 15 बिलियन डॉलर के व्यापार से आगे बढ़ाकर 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना चाहिए।
दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि प्रसंस्करण, आईटी, डिजिटल अर्थव्यवस्था और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की।
भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों के तहत वियतनामी निवेशकों को भारत में विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए आमंत्रित किया।
कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा सहयोग
बैठक में भारत-वियतनाम कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों देशों ने वायु, समुद्री और डिजिटल संपर्क के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया।
वियतनाम ने भारत से उत्तर-पूर्व भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच अधिक हवाई संपर्क स्थापित करने की मांग की, ताकि पर्यटन, व्यापार और पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा मिल सके। भारत ने “आसियान-इंडिया ट्रिलेटरल हाईवे” परियोजना के विस्तार में वियतनाम की संभावित भागीदारी की भी बात उठाई।
ऊर्जा और हरित विकास में सहयोग
भारत और वियतनाम ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन उत्पादन, और बिजली संचरण में। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ONGC Videsh वियतनाम के समुद्री क्षेत्रों में पहले से सक्रिय है और ऊर्जा सहयोग की संभावनाएं प्रबल हैं।
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध सहयोग और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में संयुक्त कार्यनीति को सुदृढ़ करने पर सहमति जताई।
सांस्कृतिक, शैक्षिक और जन-जन संवाद
बैठक में यह माना गया कि सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान भारत-वियतनाम संबंधों को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम हैं। दोनों पक्षों ने बौद्ध धर्म, सभ्यता-संबंधी धरोहरों, और भाषा-शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने का निर्णय लिया।
भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और वियतनामी विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग, छात्रवृत्तियों का विस्तार और अकादमिक यात्राओं को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया।
विज्ञान, तकनीक और डिजिटल साझेदारी
डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के तहत, भारत ने वियतनाम के साथ डिजिटल नवाचार, साइबर सुरक्षा, और सूचना प्रौद्योगिकी में साझेदारी को सुदृढ़ करने की पेशकश की।
दोनों देशों ने भारत-वियतनाम डिजिटल साझेदारी पर एक विशेष कार्यदल गठित करने का प्रस्ताव भी पारित किया, जो संयुक्त रूप से स्मार्ट शहर, ई-गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और डेटा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं को खोजेगा।
स्वास्थ्य एवं फार्मास्यूटिकल्स में सहयोग
कोविड-19 महामारी के दौरान भारत द्वारा वियतनाम को दी गई वैक्सीन सहायता और चिकित्सा आपूर्ति को वियतनामी पक्ष ने गहराई से सराहा। दोनों देशों ने फार्मा उत्पादों के व्यापार, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति, और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली (आयुर्वेद) के प्रचार में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई।
बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर संवाद
भारत और वियतनाम ने संयुक्त राष्ट्र, आसियान, ईएएस (East Asia Summit), और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर अपने सहयोग को सशक्त बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई।
दोनों पक्षों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की विविधता, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु वित्त और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था पर समन्वय बनाए रखने का निर्णय लिया।
चीन और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर परोक्ष चर्चा
हालांकि आधिकारिक बयान में चीन का सीधा उल्लेख नहीं किया गया, किंतु दक्षिण चीन सागर के संदर्भ में समुद्री संप्रभुता, UNCLOS (1982) का सम्मान, और क्षेत्रीय अखंडता के लिए कानून आधारित व्यवस्था की आवश्यकता पर बल देते हुए भारत ने अपने रुख को स्पष्ट किया।
वियतनाम ने भी अपने समुद्री अधिकारों को लेकर चिंता जताई और भारत के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।
भविष्य की रूपरेखा और उच्चस्तरीय वार्ताओं की योजना
बैठक के अंत में दोनों पक्षों ने 2025-26 में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मंत्रिस्तरीय स्तर पर उच्च स्तरीय दौरों की योजना को गति देने पर सहमति जताई।
भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की आगामी बैठक, रक्षा सहयोग वार्ता, और आर्थिक एवं वाणिज्यिक संयुक्त समिति की बैठकों को शीघ्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
निष्कर्ष: भारत-वियतनाम संबंधों को नई ऊंचाई की ओर
नई दिल्ली में आयोजित 13वां राजनीतिक परामर्श और 10वां रणनीतिक संवाद भारत-वियतनाम संबंधों की गहराई, विविधता और भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करता है।