भारत के मौसम तंत्र ने एक बार फिर से गंभीर और सघन मानसून गतिविधियों के संकेत दिए हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 26 जून, 2025 को जारी अपनी बुलेटिन में चेतावनी दी है कि अगले सात दिनों तक देश के कई हिस्सों — विशेषकर उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत — में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है। यह पूर्वानुमान न केवल मौसम की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी प्रशासन और नागरिकों के दैनिक जीवन पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
मानसून की प्रगति: दक्षिण-पश्चिम मानसून आगे बढ़ने को तैयार
IMD ने जानकारी दी है कि वर्तमान मौसम प्रणाली दक्षिण-पश्चिम मानसून के और अधिक हिस्सों में फैलने के लिए अनुकूल है। अगले 24 घंटों के भीतर मानसून राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में प्रवेश कर सकता है।
यह प्रगति भारत के मानसूनी चक्र के महत्वपूर्ण चरण का संकेत देती है, जब उत्तर भारत के प्रमुख कृषि राज्य वर्षा के आगमन का इंतजार करते हैं।
किस-किस क्षेत्र में भारी वर्षा की चेतावनी?
IMD के अनुसार, जिन क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा की आशंका जताई गई है, उनमें शामिल हैं:
🟩 उत्तर-पश्चिम भारत:
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पूर्वी राजस्थान
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पंजाब
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उत्तराखंड
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दिल्ली और हरियाणा के कुछ हिस्से
🟨 मध्य भारत:
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मध्य प्रदेश
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महाराष्ट्र (विदर्भ, मराठवाड़ा)
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गुजरात
🟧 पूर्वी भारत:
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झारखंड
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ओडिशा
🟥 दक्षिण भारत:
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तमिलनाडु, पुडुचेरी, कारैकल
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केरल, माहे
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कर्नाटक
इन इलाकों में कुछ स्थानों पर 110 मिमी से अधिक वर्षा हो सकती है, जिससे स्थानीय बाढ़, जलभराव और भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
अन्य संभावित मौसमी घटनाएँ:
⚡ बिजली और तेज़ हवाओं के साथ तूफ़ानी मौसम:
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जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड में तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ वर्षा की संभावना है।
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इन क्षेत्रों में 20-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएँ, बिजली गिरने की आशंका के साथ जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए सावधानी आवश्यक है।
🌪️ आंधी-तूफ़ान और गड़गड़ाहट:
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कुछ राज्यों में स्थानीय रूप से सीमित तूफानों की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेषकर झारखंड, बिहार और उत्तर बंगाल में ऐसी गतिविधियाँ देखी जा सकती हैं।
मानसून का कृषि पर प्रभाव
कृषि प्रधान भारत में मानसून का आगमन किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वर्षा का वितरण और समय फसलों की बुआई, अंकुरण और उत्पादन पर सीधा असर डालता है।
सकारात्मक पहलू:
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धान, कपास, गन्ना, बाजरा जैसी खरीफ फसलों की बुआई को बल मिलेगा।
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जलाशयों में पानी की स्थिति सुधरेगी।
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भूजल स्तर में सुधार होगा।
संभावित चुनौतियाँ:
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जलभराव और अत्यधिक वर्षा के कारण बीज गलने की समस्या हो सकती है।
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पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की आशंका से कृषि भूमि को नुकसान।
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बिजली गिरने से पशुधन और फसल पर खतरा।
शहरी जीवन और जनजीवन पर प्रभाव
भारी वर्षा विशेष रूप से मेट्रो शहरों और बड़े नगरों के लिए चिंता का विषय बन जाती है। IMD द्वारा चेतावनी दिए गए कई राज्य शहरीकरण के उच्च स्तर पर हैं, जैसे:
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दिल्ली: यमुना का जलस्तर फिर से बढ़ सकता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
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मुंबई: सड़क और रेल यातायात पर असर पड़ सकता है।
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कोलकाता: पुराने ड्रेनेज सिस्टम के कारण जलभराव की समस्या।
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चेन्नई और बेंगलुरु: टेक हब्स में कामकाज प्रभावित होने की आशंका।
आपदा प्रबंधन एजेंसियों की सक्रियता
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है। जल संसाधन मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय ने निचले इलाकों, डैम्स और नहरों की निगरानी बढ़ा दी है।
IMD और NDMA द्वारा जारी सुझाव:
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बिजली गिरने की आशंका में खुले स्थानों से दूर रहें।
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अनावश्यक यात्रा से बचें, खासकर पहाड़ी और जलभराव वाले क्षेत्रों में।
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किसानों को अपने बीज और उर्वरकों को सूखे स्थानों पर सुरक्षित रखने की सलाह।
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नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील।
जलाशयों और नदियों की स्थिति
लगातार वर्षा से देश के प्रमुख जलाशयों जैसे:
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हीराकुंड (ओडिशा)
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भाखड़ा नांगल (पंजाब/हिमाचल)
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उकाई डैम (गुजरात)
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इडुक्की डैम (केरल)
में जल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है।
नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, घाघरा, तापी, कृष्णा और गोदावरी विशेष निगरानी में हैं, क्योंकि अधिक वर्षा से बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
मानसून के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण
IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही तरफ कम दबाव के क्षेत्र (Low Pressure Areas) सक्रिय हैं, जो वर्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।
El Niño और IOD (Indian Ocean Dipole) की परिस्थितियाँ भी मानसून की गति को प्रभावित कर रही हैं, जिन पर मौसम वैज्ञानिक लगातार नजर रख रहे हैं।
पिछले वर्षों से तुलना
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🔹 वर्ष 2023:
पूर्वी भारत में मानसून के दौरान वर्षा सामान्य से 25% कम दर्ज की गई थी। इस वर्ष कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी।🔹 वर्ष 2024:
हालाँकि मानसून की शुरुआत समय पर हुई थी, लेकिन मध्य और उत्तर भारत में जुलाई माह में देरी देखी गई, जिससे खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई थी।🔹 वर्ष 2025 (वर्तमान):
अब तक मानसून की स्थिति संतोषजनक है। पूरे देश में औसत वर्षा सामान्य से लगभग 10% अधिक दर्ज की गई है, जो कृषि और जल भंडारण के लिहाज़ से सकारात्मक संकेत माने जा रहे हैं।
नागरिकों के लिए सलाह
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🔹 विश्वसनीय सूचना स्रोत:
IMD की वेबसाइट, मोबाइल ऐप, स्थानीय टीवी और रेडियो को नियमित रूप से देखें। अफवाहों से बचें।🔹 खुले स्थानों से बचें:
मैदान, जलाशय किनारे, और पेड़ों के नीचे खड़ा न रहें – बिजली गिरने का ख़तरा हो सकता है।🔹 कमजोर वर्गों का ध्यान रखें:
बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर रखें।🔹 वाहन सावधानी से पार्क करें:
ढलानों या पेड़ों के नीचे गाड़ी न लगाएं – भूस्खलन या पेड़ गिरने की आशंका हो सकती है।🔹 पर्वतीय यात्राएं स्थगित करें:
जब तक मौसम सामान्य न हो जाए, पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा से बचें।📢 सुरक्षा के लिए सतर्क रहें – सतर्कता ही सुरक्षा है!
निष्कर्ष: जागरूकता और तैयारी से होगा संतुलन
मौसम की अनिश्चितता के इस दौर में भारत मौसम विज्ञान विभाग की यह चेतावनी एक चेतावनी मात्र नहीं, बल्कि एक समग्र सावधानी संदेश है। अगले सात दिनों तक अनेक राज्यों में संभावित भारी वर्षा को देखते हुए नागरिकों, प्रशासन, किसान समुदाय और शहरी प्रबंधन विभागों को मिलकर एक संतुलित और सतर्क प्रतिक्रिया देनी होगी।