भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने 25 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी करते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सोनल सिलेक्शन (IBPS) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में उम्मीदवारों की पहचान सत्यापन के लिए आधार प्रमाणीकरण (Aadhaar Authentication) के प्रयोग को स्वैच्छिक रूप से अधिकृत कर दिया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य परीक्षा में छद्म पहचान (impersonation) और अन्य कदाचारों को रोकना, तथा चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा को मजबूत करना है।
इस लेख में हम इस निर्णय की विस्तृत पड़ताल करेंगे — इससे जुड़ा कानूनी और नीतिगत ढांचा, IBPS की भूमिका, भर्ती प्रणाली पर इसका संभावित प्रभाव, साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएं, शिक्षा क्षेत्र में इसकी संभावनाएं, और डिजिटल इंडिया अभियान के परिप्रेक्ष्य में इसका महत्व।
1. IBPS: एक परिचय
इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सोनल सिलेक्शन (IBPS) देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और बीमा कंपनियों में कर्मचारियों की भर्ती हेतु जिम्मेदार स्वतंत्र संस्था है। इसकी परीक्षाएं अत्यंत प्रतिस्पर्धी होती हैं, जिनमें हर साल लाखों अभ्यर्थी भाग लेते हैं।
IBPS के अंतर्गत आयोजित प्रमुख परीक्षाओं में शामिल हैं:
- IBPS PO (Probationary Officer)
- IBPS Clerk
- IBPS RRB (Regional Rural Banks)
- IBPS SO (Specialist Officer)
इन परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना सरकार और IBPS दोनों की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
2. आधार प्रमाणीकरण: क्या है और क्यों जरूरी है?
आधार प्रमाणीकरण एक डिजिटल सत्यापन प्रणाली है, जिसमें किसी व्यक्ति की पहचान को UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के डेटाबेस से मिलान करके पुष्टि की जाती है। इसमें प्रमुख रूप से तीन प्रकार की तकनीकों का उपयोग होता है:
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बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण: फिंगरप्रिंट स्कैन या रेटिना स्कैन के माध्यम से।
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OTP आधारित प्रमाणीकरण: आधार-पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजे गए OTP से।
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QR कोड स्कैनिंग: आधार कार्ड पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन करके विवरण प्राप्त करना।
आवश्यकता क्यों है?
देशभर में प्रतियोगी परीक्षाओं, सरकारी योजनाओं और सार्वजनिक सेवाओं में धोखाधड़ी और छद्म पहचान की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आधार प्रमाणीकरण इस चुनौती का एक प्रभावी समाधान बनकर उभरा है।
1. छद्म पहचान की रोकथाम
अक्सर देखा गया है कि परीक्षाओं में एक व्यक्ति की जगह दूसरा व्यक्ति परीक्षा देने पहुंचता है। आधार प्रमाणीकरण ऐसे छद्म उम्मीदवारों को तुरंत पकड़ने में सक्षम है।
2. डुप्लिकेट आवेदन समाप्त
अभ्यर्थियों द्वारा एक से अधिक बार आवेदन जमा करना या अलग-अलग नामों से फॉर्म भरना एक आम समस्या रही है। आधार से जुड़ने से एक व्यक्ति केवल एक बार ही आवेदन कर सकेगा।
3. उपस्थिति की सटीकता
परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक या OTP आधारित सत्यापन से वास्तविक उपस्थिति दर्ज की जा सकती है, जिससे नकली उपस्थिति और ‘प्रॉक्सी’ कदाचार पर रोक लगती है।
4. डिजिटल ट्रैकिंग और सत्यापन
एक केंद्रीकृत और डिजिटल पहचान प्रणाली से परीक्षा आयोजकों को वास्तविक समय में उपस्थिति, पहचान और परिणामों से जुड़े आंकड़े प्राप्त होते हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष बनती है।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि आधार प्रमाणीकरण के लाभ अनेक हैं, फिर भी इसके साथ कुछ चिंताएं और चुनौतियां भी जुड़ी हैं:
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डेटा गोपनीयता: नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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तकनीकी पहुंच: ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में तकनीकी संसाधनों की सीमित पहुंच चिंता का विषय हो सकती है।
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प्रमाणीकरण में विफलता: नेटवर्क या बायोमेट्रिक त्रुटियों के कारण प्रमाणीकरण असफल होने पर उम्मीदवार को मौका मिलना चाहिए।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी और किसी भी प्रकार की अनिवार्यता थोपने का इरादा नहीं है। अन्य पहचान दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, पासपोर्ट आदि भी मान्य रहेंगे
3. वित्त मंत्रालय की अधिसूचना: क्या है प्रावधान?
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है:
“IBPS द्वारा आयोजित परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रियाओं के दौरान पहचान सत्यापन हेतु आधार प्रमाणीकरण की अनुमति स्वैच्छिक रूप से प्रदान की जाती है। यह प्रक्रिया केवल उम्मीदवार की सहमति से ही लागू की जाएगी।”
इस अधिसूचना के अनुसार:
- आधार प्रमाणीकरण किसी भी उम्मीदवार पर अनिवार्य नहीं है।
- अन्य वैकल्पिक पहचान दस्तावेज जैसे पैन, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस मान्य रहेंगे।
- प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को UIDAI के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुरक्षित और गोपनीय रखा जाएगा।
4. पहचान जालसाजी और परीक्षा कदाचार की बढ़ती समस्या
पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में छद्म उम्मीदवारों की उपस्थिति, सॉफ्टवेयर हैकिंग, फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश, और परीक्षा केंद्रों पर मिलीभगत जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
IBPS जैसी संस्थाएं भी इस प्रवृत्ति से अछूती नहीं रही हैं। परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए पहचान प्रमाणीकरण की तकनीकी व्यवस्था समय की मांग बन गई थी। आधार प्रमाणीकरण के ज़रिए:
- उम्मीदवार की उपस्थिति रियल टाइम में दर्ज होगी
- कोई अन्य व्यक्ति उसकी जगह परीक्षा नहीं दे सकेगा
- केंद्रों पर फर्जी आईडी का प्रयोग रुक सकेगा
5. भर्ती प्रणाली पर संभावित प्रभाव
आधार प्रमाणीकरण के प्रयोग से IBPS की भर्ती प्रक्रिया में निम्नलिखित सुधार देखे जा सकते हैं:
- निष्पक्षता में वृद्धि: हर उम्मीदवार की पहचान सत्यापित होने से भेदभाव और फर्जीवाड़ा रुकेगा।
- समय की बचत: डिजिटल प्रमाणीकरण प्रक्रिया मैनुअल दस्तावेज जांच की तुलना में अधिक तेज और सटीक होती है।
- विश्वसनीय डेटा संग्रह: केंद्रीकृत डेटाबेस से उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि, पिछली उपस्थिति, और अन्य जानकारी आसानी से प्राप्त हो सकेगी।
6. साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता से जुड़े मुद्दे
आधार प्रमाणीकरण के साथ एक बड़ी चिंता डेटा गोपनीयता की भी है। उम्मीदवारों की व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है:
- कोई भी प्रमाणीकरण उम्मीदवार की पूर्व सहमति से ही होगा।
- UIDAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया होगी।
- सभी डेटा एन्क्रिप्टेड होंगे और किसी अन्य कार्य के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।
7. डिजिटल इंडिया और सुशासन के लिए एक कदम
इस निर्णय को डिजिटल इंडिया अभियान और ई-गवर्नेंस के उद्देश्यों के अनुरूप माना जा रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से:
- भ्रष्टाचार में कमी आती है।
- कार्यप्रणाली पारदर्शी बनती है।
- न्यायसंगत अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
IBPS जैसी संस्थाएं जब तकनीक का उपयोग करती हैं, तो वह भविष्य के सरकारी भर्ती मानकों की दिशा भी निर्धारित करती हैं।
8. अन्य संस्थानों के लिए नजीर
यह कदम UPSC, SSC, रेलवे भर्ती बोर्ड, राज्य लोक सेवा आयोग जैसी अन्य भर्ती एजेंसियों के लिए मॉडल बन सकता है। यदि आधार प्रमाणीकरण का प्रभाव सकारात्मक होता है, तो यह अन्य परीक्षाओं में भी अपनाया जा सकता है।
9. उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया
अभ्यर्थियों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं।
सकारात्मक प्रतिक्रियाएं:
- “अगर इससे फर्जी उम्मीदवारों पर लगाम लगती है, तो यह स्वागत योग्य कदम है।”
- “डिजिटल प्रमाणीकरण से प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष होगी।”
नकारात्मक आशंकाएं:
- “क्या मेरा डेटा सुरक्षित रहेगा?”
- “क्या प्रमाणीकरण विफल होने पर मेरा परीक्षा देने का अधिकार नहीं छिनेगा?”
10. निष्कर्ष
IBPS द्वारा परीक्षाओं में आधार प्रमाणीकरण को अपनाने की स्वीकृति एक ऐतिहासिक कदम है जो भर्ती प्रक्रिया में तकनीक के समावेशन की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है। यह पहल न केवल परीक्षा प्रणाली को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि पहचान संबंधी धोखाधड़ी पर रोक लगाने में सहायक सिद्ध होगी।