भारत सरकार द्वारा संचालित “कौशल भारत मिशन” देश को एक कुशल मानव संसाधन शक्ति में परिवर्तित करने की दिशा में एक दूरदर्शी योजना है। इसी क्रम में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा चलाए जा रहे श्रम कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर छू लिया है। केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने 26 जून 2025 को नई दिल्ली के सेवा नगर, कस्तूरबा नगर में जीपीआरए पुनर्विकास परियोजना स्थल पर आयोजित एक समारोह में प्रशिक्षित श्रमिकों को कौशल प्रमाण पत्र प्रदान किए। यह कार्यक्रम न केवल तकनीकी प्रशिक्षण के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में उभरा है, बल्कि सरकार की “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम भी सिद्ध हुआ है।
समारोह का स्वरूप: औपचारिकता से सशक्तिकरण तक
सेवा नगर में आयोजित इस कार्यक्रम में कुल 40 श्रमिकों को एमआईवीएन (MIVAN) शटरिंग सिस्टम में 80 घंटे का कौशल प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण करने के उपरांत प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि प्रशिक्षण निर्माण स्थल पर ही दिया गया, जिससे श्रमिकों को व्यावहारिक अनुभव के साथ-साथ सैद्धांतिक ज्ञान भी प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास आर. कटिकिथला, सीपीडब्ल्यूडी के महानिदेशक श्री सतिंदर पाल सिंह तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने प्रशिक्षित श्रमिकों को प्रमाण-पत्र और पहचान पत्र सौंपे और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
श्री मनोहर लाल का संबोधन: कौशल ही कुंजी है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की पूर्ति केवल तभी संभव है जब हमारे श्रमिक आधुनिक निर्माण तकनीकों से सुसज्जित हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध बुनियादी ढांचे के निर्माण में कुशल श्रमिकों की भूमिका केंद्रीय है।
उन्होंने कहा कि “अक्सर निर्माण परियोजनाओं की गुणवत्ता और गति, प्रशिक्षित श्रमिकों की अनुपलब्धता के कारण प्रभावित होती है। इस अंतर को पाटने के लिए सरकार ने निर्माण स्थलों पर ही कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जो सराहनीय है।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब से ₹10,000 करोड़ से अधिक लागत वाली परियोजनाओं में कम से कम 20% प्रमाणित कुशल श्रमिकों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसके अलावा, ठेकेदारों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे शेष कार्यबल को निर्माण स्थल पर ही औपचारिक प्रशिक्षण प्रदान करें।
CPWD की योजना: 35,000 श्रमिकों का लक्ष्य
सीपीडब्ल्यूडी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024-25 में 10,000 श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लक्ष्य के बाद, अगले वित्तीय वर्ष में यह संख्या बढ़ाकर 25,000 करने की योजना है। इस प्रकार, दो वर्षों में कुल 35,000 श्रमिकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है, जो निर्माण कार्यबल को एक नई ऊंचाई प्रदान करेगा।
प्रशिक्षण की विशेषताएँ: साइट पर कौशल, हाथों में प्रमाण
प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
-
स्थल आधारित प्रशिक्षण: निर्माण स्थल पर ही कार्यरत श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर न केवल उनकी आय बढ़ाई जा रही है, बल्कि निर्माण की गुणवत्ता में भी वृद्धि हो रही है।
-
संक्षिप्त लेकिन प्रभावी पाठ्यक्रम: 80 घंटे का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तकनीकी ज्ञान, सुरक्षा मानकों, शटरिंग के प्रकार और आधुनिक निर्माण तकनीकों को समाहित करता है।
-
प्रमाण-पत्र आधारित मूल्यांकन: प्रशिक्षण के अंत में मूल्यांकन कर प्रमाण पत्र दिए जाते हैं, जिससे श्रमिक की योग्यता मान्यता प्राप्त बनती है।
-
नवीन तकनीकों की जानकारी: MIVAN जैसे उन्नत तकनीकों से श्रमिकों को परिचित कराया गया, जो तेज, मजबूत और टिकाऊ निर्माण में सहायक है।
NAREDCO का सहयोग: निर्माण उद्योग का सहभागी प्रयास
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (NAREDCO) के सहयोग से आयोजित किया गया। इस साझेदारी ने सरकार और निजी क्षेत्र के समन्वय का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। पहले चरण में लगभग 40 श्रमिकों को सहायक राजमिस्त्री के रूप में प्रशिक्षित किया गया था और अब दूसरे चरण में उन्हें सहायक शटरिंग बढ़ई (एल्यूमीनियम शटरिंग) के रूप में प्रमाणित किया गया।
GPRA पुनर्विकास परियोजना: आधुनिक भारत की झलक
यह कार्यक्रम जीपीआरए (जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन) पुनर्विकास परियोजना स्थल पर आयोजित किया गया, जो कि एक आधुनिक, टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत आवासीय योजना है। इस परियोजना में निम्नलिखित विशेषताएँ प्रमुख हैं:
-
2000 से अधिक फ्लैट: टाइप II और टाइप III के जी+13 मंजिला आवासीय टॉवर।
-
बेसमेंट पार्किंग: दो स्तरों की पार्किंग सुविधा।
-
एल्युमीनियम शटरिंग और सेल्फ-कॉम्पैक्टिंग कंक्रीट: निर्माण की मोनोलिथिक तकनीक।
-
GRIHA 4-स्टार रेटिंग का लक्ष्य: पर्यावरण अनुकूल सामग्री जैसे फ्लाई ऐश, कम VOC पेंट, सौर पैनल और 5-स्टार उपकरणों का उपयोग।
-
सामाजिक सुविधाएं: ओपन जिम, साइकिल ट्रैक, खेल मैदान, प्राथमिक विद्यालय भवन, सीजीएचएस डिस्पेंसरी आदि।
निर्माण क्षेत्र में कौशल विकास का प्रभाव
कौशल विकास से निर्माण क्षेत्र में आने वाले संभावित प्रभाव:
-
निर्माण की गुणवत्ता में सुधार: प्रशिक्षित श्रमिकों के कारण गुणवत्ता मानकों में उल्लेखनीय सुधार होगा।
-
परियोजनाओं की समय पर पूर्णता: समय प्रबंधन कुशल श्रमिकों के माध्यम से बेहतर होगा।
-
सुरक्षा मानकों की पालना: प्रशिक्षित श्रमिक सुरक्षा नियमों को बेहतर तरीके से समझते हैं।
-
श्रमिकों की सामाजिक-आर्थिक उन्नति: प्रमाणित श्रमिकों को बेहतर वेतन और नौकरी के अवसर मिलते हैं।
विकसित भारत 2047: श्रमिकों की भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि विकसित भारत 2047 का सपना तभी साकार होगा जब हम जमीनी कार्यबल को सशक्त बनाएंगे। निर्माण श्रमिकों को केवल ‘कामगार’ नहीं, बल्कि ‘राष्ट्रनिर्माता’ की भूमिका में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में शहरीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की गति को बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है।
भविष्य की दिशा और नीति सिफारिशें
-
सार्वजनिक-निजी सहभागिता (PPP) मॉडल का विस्तार
-
निजी बिल्डरों, ठेकेदारों और सरकारी निकायों के बीच समन्वय से व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
-
-
डिजिटल प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म
-
ई-लर्निंग, मोबाइल ऐप और AR/VR आधारित प्रशिक्षण विधियों का विकास।
-
-
प्रमाणन को राष्ट्रीय श्रम पोर्टल से जोड़ा जाए
-
प्रमाण-पत्र को ‘डिजीलॉकर’ और ‘नेशनल स्किल पोर्टल’ से जोड़ने से उसकी मान्यता और स्वीकार्यता बढ़ेगी।
-
-
महिला श्रमिकों के लिए विशेष प्रशिक्षण योजनाएं
-
निर्माण क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु लचीले और सुरक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम।
-
-
अन्य विभागों में विस्तार
-
CPWD के अनुभव के आधार पर रेलवे, NHAI, और PWD जैसे विभाग भी इसी मॉडल को अपनाएं।
-
निष्कर्ष: सशक्त निर्माण कार्यबल से सशक्त राष्ट्र की ओर
सीपीडब्ल्यूडी द्वारा कौशल भारत मिशन के अंतर्गत श्रमिकों को प्रशिक्षित करने की यह पहल भारत की विकास यात्रा का एक मजबूत आधार बन सकती है। यह न केवल श्रमिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का माध्यम है, बल्कि राष्ट्र की निर्माण क्षमता को भी सशक्त बनाने का प्रयास है।