भारत सरकार की “पूर्वोत्तर संपर्क सेतु” पहल के अंतर्गत केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा निखिल खडसे की त्रिपुरा राज्य के श्रीभूमि जिले की हालिया यात्रा ने देश के इस दूरस्थ भाग में हो रहे समावेशी और सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत दिए। यह दौरा केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं था, बल्कि एक सक्रिय भागीदारी और गहन निगरानी का प्रमाण था जिससे श्रीमती खडसे ने जमीनी हकीकत को समझा और स्थानीय प्रशासन की उपलब्धियों व चुनौतियों का आकलन किया।
1. पूर्वोत्तर संपर्क सेतु: एक परिचय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ की गई “पूर्वोत्तर संपर्क सेतु” पहल का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों के प्रशासनिक तंत्र को केंद्र सरकार से जोड़ते हुए विकासात्मक योजनाओं की निगरानी और उनकी प्रगति का मूल्यांकन करना है। इस योजना के अंतर्गत मंत्रियों द्वारा पूर्वोत्तर के विभिन्न जिलों का नियमित दौरा किया जाता है जिससे स्थानीय प्रशासन को दिशा, सहयोग और केंद्रीय दृष्टिकोण मिल सके।
श्रीमती रक्षा खडसे का श्रीभूमि दौरा इसी क्रम में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी था।
2. श्रीभूमि दौरा: प्रशासनिक समीक्षा और संवाद
श्रीमती खडसे ने श्रीभूमि में एक दिवसीय दौरे के दौरान 26 विभागों के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में जिन प्रमुख क्षेत्रों की समीक्षा की गई, वे निम्नलिखित हैं:
कृषि क्षेत्र में उपलब्धियाँ:
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के अंतर्गत जिले ने 103% संतृप्ति प्राप्त की।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत धान की फसल हेतु 126% नामांकन दर दर्ज की गई।
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यह आँकड़े दर्शाते हैं कि किसान न केवल योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं बल्कि उनमें विश्वास भी दिखा रहे हैं।
खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली:
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एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के तहत वितरित चावल का 97.9% लाभार्थियों तक सफलतापूर्वक पहुंचाया गया।
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इससे यह स्पष्ट होता है कि जिले की आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली मजबूत और जवाबदेह है।
3. स्वास्थ्य सेवाओं का उन्नयन:
स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए सामने आया कि वर्ष 2024-25 में 33,662 गर्भवती महिलाओं ने प्रसवपूर्व देखभाल के लिए पंजीकरण कराया। इनमें से 94% ने अपनी पहली तिमाही में ही नामांकन कर लिया, जो कि मातृ मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों की सफलता का संकेत देता है।
स्वास्थ्य संबंधी अन्य पहलें:
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एनीमिया और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए विभाग सक्रिय दृष्टिकोण अपना रहा है।
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टेलीमेडिसिन और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों के माध्यम से दूरदराज के गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाई जा रही हैं।
4. शिक्षा: सुदृढ़ संरचना, लेकिन चुनौतीपूर्ण उपस्थिति
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि:
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जिले में प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों तक कुल 2,23,034 छात्र नामांकित हैं।
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विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति 72% दर्ज की गई।
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शिक्षकों की उपस्थिति 88% तक बनी हुई है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है।
हालांकि, उपस्थिति दर को और बेहतर बनाने के लिए श्रीमती खडसे ने डिजिटल लर्निंग, मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और अभिभावकों की सहभागिता जैसे क्षेत्रों में सुधार के लिए सुझाव दिए।
5. मत्स्य पालन: आत्मनिर्भर आजीविका का स्रोत
2024 की उपलब्धियाँ: मछली उत्पादन के आँकड़े
वर्ष 2024 में श्रीभूमि जिले में:
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19,430 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ।
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यह उत्पादन तालाबों, टैंकों, जलाशयों और बहते जल स्रोतों से प्राप्त किया गया।
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जिले की कुल जनसंख्या का लगभग 90-95 प्रतिशत पोषणात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति इसी घरेलू उत्पादन से की जाती है, जिससे बाहरी निर्भरता नगण्य हो गई है।
पोषण सुरक्षा में योगदान
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मछली प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत मानी जाती है।
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पूर्वोत्तर में कुपोषण की चुनौतियों को देखते हुए, मछली का नियमित उपभोग आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन की पूर्ति करता है।
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बच्चों और गर्भवती महिलाओं में मछली आधारित आहार ने स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने में सहयोग दिया है।
सरकारी योजनाओं की भूमिका
श्रीभूमि में मत्स्य पालन क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु राज्य व केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं:
1. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY):
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श्रीभूमि में इस योजना के तहत तालाबों की खुदाई, बायोफ्लॉक तकनीक और इन्टेन्सिव फिश फार्मिंग को बढ़ावा मिला।
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बीज मछली (फिश फिंगरलिंग) की गुणवत्ता सुधार हेतु सरकारी हैचरी विकसित की गई है।
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किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मत्स्य पालकों को रियायती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
2. मत्स्य पालक प्रशिक्षण कार्यक्रम:
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4000+ मत्स्य पालकों को वर्ष 2024 में प्रशिक्षण दिया गया।
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विषयों में ब्रीडिंग तकनीक, जल गुणवत्ता प्रबंधन, बीमारी नियंत्रण, और व्यवसायिक विपणन रणनीतियाँ शामिल थीं।
3. कोल्ड स्टोरेज एवं मार्केटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर:
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सरकार द्वारा दो मिनी-कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स की स्थापना की गई है, जिससे मछलियों की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है।
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स्थानीय मंडियों से लेकर राष्ट्रीय मार्केट लिंकिंग की दिशा में कार्य हो रहा है।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
आर्थिक सशक्तिकरण:
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मत्स्य पालन ने लगभग 15,000 से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका का साधन प्रदान किया है।
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महिला स्व-सहायता समूहों को भी मत्स्य प्रसंस्करण और विपणन कार्य में जोड़ा जा रहा है।
महिला भागीदारी:
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कई महिलाओं ने बैकयार्ड फिश फार्मिंग को अपनाया है, जो घरेलू आय का नया स्रोत बन गया है।
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महिला मछुआरों को माइक्रो-फाइनेंस और मार्केट ट्रेनिंग के माध्यम से सशक्त किया जा रहा है।
जलवायु अनुकूलन और सततता:
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जलवायु परिवर्तन को देखते हुए, बायोफ्लॉक तकनीक और रीसाइक्लिंग वॉटर सिस्टम अपनाए जा रहे हैं जो कम जल में उच्च उत्पादन संभव बनाते हैं।
मुख्य चुनौतियाँ:
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ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड चेन नेटवर्क का अभाव।
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बाजार तक पहुँच और मूल्य स्थिरता की समस्या।
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बीमारियों की जानकारी और रोकथाम में अभी और जागरूकता की आवश्यकता।
उपाय और समाधान:
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मोबाइल फिश हेल्थ यूनिट्स तैनात की गई हैं जो बीमारियों की पहचान और उपचार में सहायता करती हैं।
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फिशरी एग्रीबिजनस केंद्रों की स्थापना कर स्थानीय उत्पादकों को बाज़ार, भंडारण और निर्यात की जानकारी दी जा रही है।
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डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे “e-FishMart” के माध्यम से मछली उत्पादकों और ग्राहकों को जोड़ा जा रहा है।
6. युवा और खेल: सामाजिक परिवर्तन के वाहक
श्रीमती खडसे ने युवाओं को सामाजिक विकास का केंद्रबिंदु मानते हुए कहा कि:
“युवा शक्ति और खेल संस्कृति ही राष्ट्र निर्माण की रीढ़ हैं।”
खेल महारण 2.0 की सफलता:
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कबड्डी से लेकर रोड साइक्लिंग जैसे आठ खेलों में 2,46,500 युवाओं ने हिस्सा लिया।
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ग्रामीण इलाकों में खेलों के प्रति रुझान सरकार की नीति की सफलता को दर्शाता है।
7. सीमावर्ती और चाय-बागान क्षेत्रों पर विशेष ध्यान
राज्य मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों और चाय-बागान श्रमिकों की विशिष्ट समस्याओं को रेखांकित किया और क्षेत्रीय समन्वय को मजबूत करने का आह्वान किया।
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स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।
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उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में विशेष कार्यक्रम चलाने के सुझाव भी दिए।
8. डिजिटल भुगतान और पारदर्शिता:
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली के अंतर्गत ग्रामीण आजीविका योजनाओं में 96% कवरेज प्राप्त किया गया है।
श्रीमती खडसे ने निर्देश दिए कि:
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सभी योजनाओं में डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दी जाए।
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पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत किया जाए।
9. जल जीवन मिशन और आधारभूत संरचना:
राज्य मंत्री ने जल जीवन मिशन की समीक्षा करते हुए लंबित घरेलू नल कनेक्शन शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही:
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मातृ-स्वास्थ्य केंद्रों के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने पर बल दिया गया।
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आवास, सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के विस्तार की दिशा में निरंतर कार्य की आवश्यकता जताई।
10. सामाजिक संवाद और नागरिक सहभागिता:
श्रीभूमि यात्रा का समापन एक सार्वजनिक संवाद सत्र के साथ हुआ जिसमें नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद स्थापित किया गया।
इस दौरान:
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जमीनी स्तर की समस्याओं और सफलताओं को साझा किया गया।
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नीति निर्माण में जन भागीदारी का महत्व रेखांकित हुआ।
11. उनाकोटी और अगरतला दौरे की पृष्ठभूमि में श्रीभूमि यात्रा
श्रीमती खडसे ने इस सप्ताह की शुरुआत में अगरतला के साई स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर का औचक निरीक्षण किया था। इसके अलावा, उन्होंने उनाकोटी में मॉडल स्कूलों का निरीक्षण भी किया, जिनके आधार पर उन्होंने श्रीभूमि के प्रशासन को कई अनुकरणीय सुझाव दिए।
12. मंत्री का वक्तव्य: विकसित भारत के पूर्वोत्तर की झलक
मीडिया से बातचीत करते हुए श्रीमती खडसे ने कहा:
“श्रीभूमि ने उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे प्रतिबद्ध शासन और सामुदायिक ऊर्जा विकास की कहानियों को फिर से लिख सकती है। हम पूर्वोत्तर में वास्तव में विकसित भारत के मोदी जी के सपने को साकार करने के एक कदम करीब हैं।”
निष्कर्ष:
श्रीभूमि की प्रगति, राज्य मंत्री श्रीमती रक्षा खडसे की सक्रिय भागीदारी और केंद्र सरकार की “पूर्वोत्तर संपर्क सेतु” पहल — ये तीनों मिलकर पूर्वोत्तर भारत के लिए एक नए युग का संकेत दे रहे हैं। यह यात्रा न केवल योजनाओं की समीक्षा का माध्यम थी, बल्कि जमीनी सच्चाई को समझने और लोगों के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करने का भी सशक्त प्रयास था।