भारतीय रेलवे ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ग्वालियर से बेंगलुरु तक सीधी साप्ताहिक एक्सप्रेस सेवा की शुरुआत की है। यह सेवा न केवल मध्य प्रदेश को कर्नाटक से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगी, बल्कि यात्रियों को लंबे समय से प्रतीक्षित एक सीधी, सुविधाजनक और आरामदायक यात्रा विकल्प भी प्रदान करेगी। इस अवसर पर केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनता को संबोधित करते हुए मध्य प्रदेश में रेलवे के ऐतिहासिक विकास की विस्तृत जानकारी साझा की।
1. नई ट्रेन सेवा की विशेषताएँ
गाड़ी संख्या 11086/11085 ग्वालियर-बेंगलुरु साप्ताहिक एक्सप्रेस को ग्वालियर से सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल, बेंगलुरु तक शुरू किया गया है। यह ट्रेन सेवा देश के चार प्रमुख राज्यों—मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक—को आपस में जोड़ती है, जिससे व्यापार, रोजगार, पर्यटन और सामाजिक संबंधों को नई गति मिलेगी।
प्रमुख विवरण:
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गाड़ी संख्या 11086: हर शुक्रवार दोपहर 3:00 बजे ग्वालियर से प्रस्थान।
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गाड़ी संख्या 11085: हर रविवार शाम 3:50 बजे बेंगलुरु से वापसी।
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यात्रा का कुल समय: लगभग 40 घंटे 35 मिनट।
मुख्य पड़ाव:
इस विशेष ट्रेन सेवा का मार्ग उत्तर भारत के मध्य प्रदेश से लेकर दक्षिण भारत के कर्नाटक तक फैला हुआ है। यह मार्ग न केवल विभिन्न राज्यों को जोड़ता है, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक विविधताओं को भी दर्शाता है।
मुख्य स्टेशन / पड़ाव (क्रमानुसार):
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शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
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गुना (म.प्र.)
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अशोकनगर (म.प्र.)
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बीना (म.प्र.)
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भोपाल (राजधानी, म.प्र.)
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बैतूल (म.प्र.)
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नागपुर (महाराष्ट्र)
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सेवाग्राम (महा.)
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चंद्रपुर (महा.)
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बल्लारशाह (महा.)
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सिरपुर कागजनगर (तेलंगाना)
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काजीपेट (तेलंगाना)
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काचेगुड़ा (हैदराबाद, तेलंगाना)
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महबूबनगर (तेलंगाना)
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गडवाल (तेलंगाना)
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कुरनूल सिटी (आंध्र प्रदेश)
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ढोन (आंध्र प्रदेश)
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अनंतपुर (आंध्र प्रदेश)
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धर्मावरम (आंध्र प्रदेश)
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हिंदूपुर (आंध्र प्रदेश/कर्नाटक सीमा)
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येलहांका (कर्नाटक)
इस मार्ग पर यात्रा करते हुए यात्री मध्य भारत की मैदानी संस्कृति से लेकर दक्षिण भारत की पर्वतीय और दक्कन पठारी संस्कृति तक का अनुभव कर सकते हैं।
🛤️ कोच संरचना (Coach Composition):
इस ट्रेन में कुल 22 अत्याधुनिक एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच लगाए गए हैं, जो अधिक सुरक्षा और बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करते हैं।
कोचों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से है:
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4 कोच – सेकंड सिटिंग (Second Seating / 2S):
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गैर-वातानुकूलित
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कम दूरी के यात्रियों हेतु उपयुक्त
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आरामदायक सीटिंग व्यवस्था
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4 कोच – तृतीय वातानुकूलित (Third AC / 3AC):
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तीन स्तरीय शयन व्यवस्था
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पूरी तरह वातानुकूलित
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लम्बी दूरी के यात्रियों के लिए लोकप्रिय विकल्प
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3 कोच – तृतीय वातानुकूलित इकोनॉमी (3AC Economy):
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3AC जैसी सुविधा, किंतु थोड़ी किफायती
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अधिक बर्थ्स
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मध्यम बजट के यात्रियों के लिए आदर्श
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2 कोच – द्वितीय वातानुकूलित (Second AC / 2AC):
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दो स्तरीय शयन व्यवस्था
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अधिक स्थान और आराम
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वरिष्ठ नागरिकों व व्यवसायिक यात्रियों के लिए उपयुक्त
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बाकी कोच – स्लीपर क्लास और जनरल डिब्बे:
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स्लीपर क्लास (Sleeper Class): गैर-वातानुकूलित शयन व्यवस्था, लंबी दूरी के लिए आम जनता की पसंद
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जनरल डिब्बे (Unreserved / General): बिना आरक्षण के यात्रा के लिए, अत्यधिक भीड़भाड़ वाले, छोटे दूरी के यात्रियों हेतु
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यह कोच संयोजन लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त और आरामदायक व्यवस्था को दर्शाता है।
2. मध्य प्रदेश को मिला ऐतिहासिक रेल बजट
केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश को ₹14,745 करोड़ का अभूतपूर्व रेल बजट मिला है। एक दशक पूर्व यह आंकड़ा मात्र ₹600 करोड़ था। इस बढ़े हुए बजट ने राज्य में रेलवे अधोसंरचना विकास को एक नई ऊँचाई दी है।
3. पूर्ण विद्युतीकरण और नई पटरियाँ
विद्युतीकरण की उपलब्धि:
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मध्य प्रदेश 100% रेल विद्युतीकरण पूरा करने वाला अग्रणी राज्य बन चुका है।
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इससे ट्रेनों की गति, सुरक्षा, लागत और पर्यावरण अनुकूलता में बड़ा सुधार हुआ है।
नई पटरियाँ:
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2,651 किमी नई पटरियों का निर्माण पिछले 11 वर्षों में पूरा हुआ।
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यह आंकड़ा डेनमार्क जैसे देश के कुल रेल नेटवर्क से भी अधिक है, जो इस उपलब्धि की भव्यता को दर्शाता है।
4. ₹24,000 करोड़ की स्वीकृत परियोजनाएँ
प्रमुख परियोजनाएँ:
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- मनमाड–इंदौर नई रेललाइन (309 किमी): इस परियोजना की कुल लागत ₹18,036 करोड़ है। इसका उद्देश्य महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बीच तेज और निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है। यह रेललाइन इंदौर को महाराष्ट्र के औद्योगिक शहरों से जोड़ेगी, जिससे माल परिवहन और यात्रियों की आवाजाही में उल्लेखनीय सुधार होगा।
- भुसावल–खंडवा तीसरी और चौथी लाइन: ₹3,514 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना से दोहरे ट्रैकों के माध्यम से ट्रेनों की संचालन क्षमता में वृद्धि होगी। यह खंड महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बीच अत्यधिक व्यस्त रेल मार्गों में शामिल है।
- मानिकपुर–प्रयागराज तीसरी लाइन: ₹1,640 करोड़ की लागत से बन रही यह लाइन उत्तर भारत की ओर माल और यात्री ट्रैफिक को सुव्यवस्थित बनाएगी।
- रतलाम–नागदा तीसरी और चौथी लाइन: ₹1,018 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना पश्चिमी मध्य प्रदेश के व्यापारिक केंद्रों के बीच कनेक्टिविटी को सुगम बनाएगी।
इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन से माल और यात्री ट्रैफिक में दक्षता आएगी और राज्य के आंतरिक हिस्सों को बेहतर कनेक्टिविटी प्राप्त होगी।
5. स्टेशन पुनर्विकास योजना
प्रमुख स्टेशन:
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ग्वालियर स्टेशन: विशिष्ट स्थापत्य और आधुनिक सुविधाओं से युक्त पुनर्विकास कार्य प्रगति पर।
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उज्जैन स्टेशन: सिंहस्थ कुंभ के मद्देनज़र मास्टर प्लान तैयार। कार्य आयोजन के पश्चात प्रारंभ होगा।
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इंदौर, जबलपुर, रीवा, सतना सहित 80 स्टेशनों का कायाकल्प जारी।
पुनर्विकसित स्टेशन ‘वर्ल्ड क्लास’ सुविधाओं के साथ यात्रियों के लिए सुविधा, सुरक्षा और सौंदर्य का संगम होंगे।
6. ग्वालियर-आगरा के बीच नई सेवा की योजना
रेल मंत्री ने यह भी बताया कि ग्वालियर और आगरा के बीच एक नई यात्री ट्रेन सेवा प्रारंभ करने की योजना बनाई जा रही है। इससे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच सामाजिक और व्यावसायिक गतिविधियाँ और भी सशक्त होंगी।
7. स्थानीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सहभागिता
ग्वालियर से इस ट्रेन सेवा के शुभारंभ कार्यक्रम में कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे:
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव
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केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया
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मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर
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रेलवे के वरिष्ठ अधिकारीगण
इस कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों के जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और आमजन भी जुड़े।
8. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ
यात्रियों को लाभ:
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छात्रों, प्रवासी कामगारों और व्यवसायियों के लिए सीधी, सुविधाजनक यात्रा।
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उत्तर और दक्षिण भारत के प्रमुख आर्थिक केंद्रों के बीच लागत और समय की बचत।
राज्यों को लाभ:
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मध्य प्रदेश: व्यापार, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को कर्नाटक जैसे राज्यों से जुड़ाव।
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तेलंगाना और आंध्र प्रदेश: यात्रियों को मध्य भारत तक सीधी पहुँच।
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कर्नाटक: बेंगलुरु जैसे तकनीकी हब को उत्तर भारत के राज्यों से मजबूत संपर्क।
9. निष्कर्ष: विकसित भारत की ओर कदम
यह ट्रेन सेवा और मध्य प्रदेश को मिला ऐतिहासिक रेल बजट प्रधानमंत्री मोदी के “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना की ओर एक निर्णायक कदम है। बेहतर कनेक्टिविटी, उच्च गुणवत्ता की अधोसंरचना और व्यापक सेवाओं के माध्यम से भारतीय रेलवे न केवल देश को जोड़ रही है, बल्कि समावेशी विकास, क्षेत्रीय संतुलन और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी तेज़ी से अग्रसर है।