ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, वैश्विक बाजारों में चिंता गहराई

ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, वैश्विक बाजारों में चिंता गहराई

वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में आज लगभग एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह उछाल अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद सामने आया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर गहरी चिंता उत्पन्न हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में तेजी

ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार:

  • ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 77.75 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

  • वहीं, डब्ल्यूटीआई क्रूड (WTI Crude) की कीमत 74.55 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई, जो लगभग 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।

इस अचानक आई तेजी ने ऊर्जा बाजारों और आयातक देशों को सतर्क कर दिया है।

होरमुज जलडमरूमध्य पर संकट की आशंका

इस मूल्य वृद्धि के पीछे सबसे बड़ी चिंता ईरान द्वारा होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी है। यह जलमार्ग दुनिया की लगभग 20 प्रतिशत कच्चे तेल की आपूर्ति का मार्ग है। यदि यह रास्ता बाधित होता है, तो न केवल तेल की आपूर्ति प्रभावित होगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

ईरान ने अमेरिका के हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

बाज़ार विश्लेषकों की राय

तेल बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि:

“यदि ईरान ने जलडमरूमध्य को अस्थायी या स्थायी रूप से अवरुद्ध किया, तो कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर से ऊपर जा सकती हैं और वैश्विक मुद्रास्फीति में तेज़ उछाल आ सकता है।”

इस परिदृश्य में एशियाई और यूरोपीय देशों के लिए चिंता का विषय बढ़ गया है, क्योंकि वे ऊर्जा के मामले में आयात पर अत्यधिक निर्भर हैं।

भारत पर संभावित प्रभाव

भारत, जो अपनी कुल तेल आवश्यकता का लगभग 85% आयात करता है, इस प्रकार की वैश्विक कीमतों में उथल-पुथल से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल है। यदि तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो इसका असर ईंधन की खुदरा कीमतों, परिवहन लागत और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।


निष्कर्ष:
ईरान-अमेरिका तनाव और होरमुज जलडमरूमध्य की संभावित अस्थिरता ने वैश्विक कच्चे तेल बाजार में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में राजनीतिक घटनाक्रम और ओपेक (OPEC) देशों की प्रतिक्रिया तय करेगी कि कीमतों में यह तेजी अस्थायी है या वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक दीर्घकालिक संकट का संकेत।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *