13 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना ने न केवल विमानन क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया, बल्कि इससे जुड़े तकनीकी और मानवीय पहलुओं की गहराई से जांच की आवश्यकता भी उजागर की। भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने इस हादसे के तुरंत बाद जांच प्रक्रिया प्रारंभ की, जिसमें ब्लैक बॉक्स की बरामदगी, डेटा विश्लेषण, और अंतरराष्ट्रीय जांच सहयोग जैसे कई चरण शामिल रहे। इस लेख में हम दुर्घटना की पृष्ठभूमि, जांच की स्थिति, तकनीकी विश्लेषण और सुरक्षा सुधारों की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की गहराई से समीक्षा कर रहे हैं।
✈️ दुर्घटना का परिदृश्य: क्या हुआ था 13 जून को
एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय मार्ग पर थी, 13 जून 2025 को एक अप्रत्याशित तकनीकी खराबी के चलते नियंत्रण से बाहर हो गई। गनीमत यह रही कि कोई बड़ा जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन विमान का कुछ हिस्सा एक इमारत से टकरा गया, जिससे आंशिक क्षति हुई। यह दुर्घटना अहमदाबाद एयरस्पेस के पास घटी।
घटना के तुरंत बाद DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को इसकी सूचना दी गई, और एयर इंडिया के आंतरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुसार उड़ान और सुरक्षा दस्तावेजों की त्वरित समीक्षा की गई।
🔍 जांच प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत
भारत, एक ICAO (International Civil Aviation Organization) हस्ताक्षरकर्ता राष्ट्र होने के नाते, अपने विमानन दुर्घटनाओं की जांच शिकागो कन्वेंशन 1944, विशेष रूप से अनुलग्नक 13, और भारतीय विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 के अंतर्गत करता है।
इसी आधार पर 13 जून 2025 को एएआईबी द्वारा एक बहु-विषयक तकनीकी जांच टीम गठित की गई। इस टीम का नेतृत्व एएआईबी के महानिदेशक कर रहे हैं और इसमें शामिल हैं:
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एक अनुभवी विमानन रखरखाव विशेषज्ञ
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एक वायु यातायात नियंत्रण (ATC) अधिकारी
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राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB), USA का एक प्रतिनिधि
NTSB की भागीदारी इसलिए आवश्यक है क्योंकि एयर इंडिया के बेड़े में शामिल इस विमान का निर्माण और डिज़ाइन अमेरिका में हुआ था।
📦 ब्लैक बॉक्स की बरामदगी: तकनीकी खोज का केंद्रबिंदु
किसी भी विमान दुर्घटना में तथ्यों तक पहुँचने का सबसे विश्वसनीय साधन होता है ब्लैक बॉक्स, जिसे दो भागों में विभाजित किया जाता है:
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Cockpit Voice Recorder (CVR)
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Flight Data Recorder (FDR)
एआई-171 की दुर्घटना में ये दोनों उपकरण विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण थे।
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CVR को 13 जून को इमारत की छत से बरामद किया गया।
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FDR को 16 जून को मलबे से सावधानीपूर्वक निकाला गया।
बरामदगी के बाद एएआईबी ने मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लागू की, जिसके तहत उपकरणों को अहमदाबाद में चौबीसों घंटे पुलिस सुरक्षा एवं सीसीटीवी निगरानी में रखा गया।
🚚 ब्लैक बॉक्स का स्थानांतरण: सुरक्षा और सावधानी के साथ
24 जून 2025 को, दोनों उपकरणों को भारतीय वायुसेना के विशेष विमान के माध्यम से दिल्ली स्थित एएआईबी प्रयोगशाला में स्थानांतरित किया गया। इसके क्रम में:
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फ्रंट ब्लैक बॉक्स (CVR) को 24 जून को दोपहर 2:00 बजे लाया गया।
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बैक ब्लैक बॉक्स (FDR) को उसी दिन शाम 5:15 बजे एक अन्य टीम द्वारा लाया गया।
दोनों उपकरणों को परिवहन के दौरान अत्यधिक संवेदनशील और सुरक्षित तरीकों से ले जाया गया ताकि डेटा की शुद्धता बनी रहे।
💾 डेटा निष्कर्षण की प्रक्रिया: सटीकता की दिशा में कदम
डेटा रिकवरी की प्रक्रिया AAIB की प्रयोगशाला में 24 जून की शाम से ही आरंभ कर दी गई थी। इस कार्य में AAIB और NTSB के तकनीकी विशेषज्ञों की संयुक्त टीम ने भाग लिया।
प्रक्रिया में:
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क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) को सुरक्षित रूप से ब्लैक बॉक्स से निकाला गया।
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25 जून 2025 को मेमोरी मॉड्यूल तक पहुँच प्राप्त की गई।
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डिजिटल डेटा को विशेष इंटरफेस सॉफ़्टवेयर के माध्यम से डाउनलोड और एन्क्रिप्ट किया गया।
इस प्रक्रिया में हर सेकंड की रिकॉर्डिंग, पायलट्स की बातचीत, विमान की ऊंचाई, गति, कोण, बाहरी स्थितियाँ, तकनीकी चेतावनियाँ, इंजन प्रदर्शन आदि शामिल हैं।
📊 सीवीआर और एफडीआर विश्लेषण की वर्तमान स्थिति
सीवीआर और एफडीआर विश्लेषण की वर्तमान स्थिति: दुर्घटना की परतों को खोलने की तकनीकी प्रक्रिया
एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 की दुर्घटना के बाद विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) और अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) के विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) के डेटा का गहन विश्लेषण शुरू कर दिया है।
इन दोनों रिकॉर्डरों में संग्रहीत सूचनाएं किसी भी विमान दुर्घटना के कारणों को जानने का सबसे विश्वसनीय तकनीकी आधार मानी जाती हैं। इस समय जो प्रमुख गतिविधियाँ की जा रही हैं, वे इस प्रकार हैं:
🔊 1. पायलट वार्तालाप का विश्लेषण:
विशेषज्ञ टीम कॉकपिट में रिकॉर्ड हुई पायलटों के बीच बातचीत, चेतावनी सिग्नलों पर उनकी प्रतिक्रिया, एटीसी संवाद और सह-पायलट के हस्तक्षेप जैसी सूक्ष्म आवाजों का बारीकी से विश्लेषण कर रही है। यह प्रक्रिया:
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तनाव की स्थिति,
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संचार की स्पष्टता, और
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मानव त्रुटि या असहमति के संकेतों को उजागर करने में सहायक है।
🛫 2. उड़ान प्रोफ़ाइल और सेंसर डेटा की समीक्षा:
FDR में संग्रहित उड़ान से जुड़ा तकनीकी डेटा जैसे:
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ऊंचाई, गति, एंगल ऑफ अटैक, इंजन थ्रस्ट
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फ्यूल फ्लो, ब्रेकिंग पैटर्न, कंट्रोल इनपुट
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सेंसर द्वारा भेजे गए वार्निंग संकेत
इन सभी सूचनाओं को क्रोनोलॉजिकल क्रम में समझा जा रहा है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कौन-से तकनीकी सिस्टम कब और कैसे असफल हुए।
🎥 3. उड़ान की रिक्रिएशन प्रक्रिया:
विशेषज्ञ डेटा-ड्रिवन सिम्युलेशन टूल्स की मदद से पूरी उड़ान की वास्तविक परिस्थितियों में पुनर्निर्मिति (recreation) कर रहे हैं। इसका उद्देश्य है:
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पायलट के दृष्टिकोण से निर्णय प्रक्रिया को समझना
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विमान के व्यवहार का त्रुटिहीन विश्लेषण करना
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यह जानना कि क्या हादसा रोकने योग्य था
🎯 विश्लेषण के प्रमुख उद्देश्य:
यह पूरा तकनीकी विश्लेषण केवल रिकॉर्ड पढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है:
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दुर्घटना से पहले की घटनाओं का सही अनुक्रम (sequence of events) स्थापित करना
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संभावित यांत्रिक (mechanical), मानवजनित (human error) और पर्यावरणीय कारणों की पहचान करना
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विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए उपयुक्त नीतिगत और तकनीकी सिफारिशें देना ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
⚖️ विधिक और अंतरराष्ट्रीय अनुपालन: एक सुदृढ़ प्रणाली
AAIB ने यह स्पष्ट किया है कि:
“संपूर्ण जांच प्रक्रिया भारतीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय विमानन दायित्वों के तहत की जा रही है। हर चरण का दस्तावेज़ीकरण, निगरानी और मूल्यांकन सुनिश्चित किया गया है।”
NTSB की भागीदारी से यह जांच विश्व स्तरीय मानकों का पालन कर रही है, जो यह सुनिश्चित करती है कि निष्कर्ष राजनीति या पक्षपात से परे हों।
🔐 सुरक्षा, गोपनीयता और पारदर्शिता का समन्वय
ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा अत्यंत संवेदनशील होता है। इस कारण:
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डेटा तक पहुँच केवल प्रमाणित इंजीनियरों और विशेषज्ञों को दी गई है।
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सभी एनालिसिस सीसीटीवी निगरानी और साइबर सुरक्षा नेटवर्क के अंतर्गत हो रहे हैं।
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मीडिया को केवल निष्कर्षों का संक्षिप्त विवरण ही साझा किया जाएगा, जब तक कि अंतिम रिपोर्ट पूरी नहीं हो जाती।
📌 भविष्य की दिशा: सुधारात्मक उपायों की योजना
प्रारंभिक संकेतों के अनुसार, दुर्घटना में:
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तकनीकी गड़बड़ी और
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संभावित मानव-त्रुटि दोनों तत्व हो सकते हैं।
इन निष्कर्षों के आधार पर AAIB:
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एयर इंडिया और DGCA को सिफारिशें देगा।
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एटीसी प्रोटोकॉल, इंजन सुरक्षा और प्रशिक्षण मानकों में सुधार की सिफारिश करेगा।
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संभावित निर्माण या डिज़ाइन दोषों की सूचना बोइंग/एयरबस/संबंधित विनिर्माता को देगा।
🧩 जनहित और पारदर्शिता के लिए सार्वजनिक रिपोर्ट
AAIB, NTSB और DGCA मिलकर एक विस्तृत सार्वजनिक रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसमें शामिल होंगे:
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दुर्घटना का समय-रेखा विश्लेषण
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तकनीकी विफलताओं की सूची
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साक्ष्य और डेटा चार्ट
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भविष्य की अनुशंसाएं
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सुधारात्मक कदम
यह रिपोर्ट ICAO दिशानिर्देशों के अनुसार प्रकाशित की जाएगी।
🔚 निष्कर्ष: एक जांच, जो भविष्य को सुरक्षित बनाएगी
एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 की जांच न केवल एक विमान दुर्घटना की तह में जाने की प्रक्रिया है, बल्कि यह भारत के नागरिक विमानन की सुरक्षा प्रणाली की मजबूती का प्रमाण भी है। ब्लैक बॉक्स डेटा, तकनीकी विश्लेषण, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और प्रक्रियात्मक पारदर्शिता – इन सबका समावेश यह सुनिश्चित करता है कि देश की विमानन सुरक्षा व्यवस्था विश्व स्तरीय बनी रहे।