
भारतीय पत्तन विधेयक 2025
संवादाताः कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | राज्यसभा ने आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को पारित कर दिया। यह विधेयक 1908 के औपनिवेशिक काल के भारतीय पत्तन अधिनियम की जगह लेगा और देश के समुद्री क्षेत्र के लिए एक समकालीन, वैश्विक मानकों पर आधारित रूपरेखा उपलब्ध कराएगा। इस विधेयक को पहले ही लोकसभा में पारित किया जा चुका है और अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस विधेयक को उच्च सदन में प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सुधार भारत की समुद्री क्षमता को नई ऊँचाई देने वाला है। उन्होंने कहा – “पत्तन केवल वस्तुओं के प्रवेश द्वार नहीं, बल्कि विकास, रोज़गार और सतत वृद्धि के इंजन हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के यह सुधार सुनिश्चित करेगा कि भारत औपनिवेशिक ढाँचे की बेड़ियों से मुक्त होकर आधुनिक, अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप और भविष्य की जरूरतों के अनुसार तैयार नीतियाँ अपनाए।”
नए विधेयक में समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) का गठन किया गया है, जो केंद्र और तटीय राज्यों के बीच वैधानिक परामर्शदात्री निकाय के रूप में कार्य करेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय दृष्टिकोण से एकीकृत पत्तन विकास सुनिश्चित करना है। तटीय राज्यों को राज्य समुद्री बोर्ड स्थापित करने का अधिकार भी दिया जाएगा, ताकि देश के 12 प्रमुख और 200 से अधिक गैर-प्रमुख पत्तनों में समान और पारदर्शी शासन व्यवस्था लागू हो सके। विवाद निपटान के लिए क्षेत्र-विशिष्ट समितियाँ बनाई जाएँगी। इस विधेयक में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री पर्यावरण सम्मेलनों (जैसे MARPOL और Ballast Water Management) के अनुपालन को अनिवार्य किया गया है। पत्तनों में आपातकालीन तैयारी प्रणालियाँ विकसित करने और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने पर भी विशेष बल दिया गया है। सिंगल विंडो सिस्टम और एडवांस्ड पोर्ट ट्रैफिक सिस्टम जैसे उपाय दक्षता में वृद्धि, लागत में कमी और निवेशकों का विश्वास सुनिश्चित करेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह सुधार भारत को 2047 तक एक वैश्विक समुद्री शक्ति बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) की स्थापना
नए विधेयक के तहत समुद्री राज्य विकास परिषद (Maritime State Development Council – MSDC) का गठन किया जाएगा। यह निकाय केंद्र और तटीय राज्यों के बीच समन्वय का कार्य करेगा। MSDC राष्ट्रीय दृष्टिकोण से एकीकृत पत्तन विकास की रूपरेखा तैयार करेगा और नीति निर्माण में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगा।
राज्यों को राज्य समुद्री बोर्ड बनाने का अधिकार
तटीय राज्यों को राज्य समुद्री बोर्ड बनाने का अधिकार मिलेगा। इसका उद्देश्य राज्य के छोटे-बड़े सभी पत्तनों में पारदर्शी शासन और समान नीतियाँ लागू करना है। इस व्यवस्था से राज्यों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी और वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार समुद्री विकास योजनाएँ बना सकेंगे।
विवाद समाधान समितियों का गठन
समुद्री क्षेत्र में अक्सर निवेश, करार और संचालन से जुड़े विवाद उत्पन्न होते हैं। विधेयक के तहत क्षेत्र-विशिष्ट विवाद समाधान समितियों का गठन किया जाएगा, ताकि विवादों का निपटारा समयबद्ध तरीके से हो सके और न्यायालयों पर बोझ कम पड़े।
MARPOL और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का अनुपालन
भारतीय पत्तनों को अब MARPOL (International Convention for the Prevention of Pollution from Ships) और Ballast Water Management जैसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा। इससे समुद्री प्रदूषण घटेगा और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होगा।
डिजिटलीकरण और एकल खिड़की प्रणाली
नया विधेयक डिजिटल गवर्नेंस को प्राथमिकता देता है। पत्तनों पर एकल खिड़की प्रणाली (Single Window System) लागू होगी, जिससे सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होंगी और समय तथा लागत दोनों की बचत होगी। साथ ही एडवांस्ड पोर्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम जैसी तकनीकें दक्षता बढ़ाएँगी और निवेशकों को भरोसा दिलाएँगी।
कार्गो संचालन भारत के प्रमुख पत्तनों पर कार्गो संचालन में पिछले एक दशक में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वित्त वर्ष में जहाँ 581 मिलियन टन कार्गो का संचालन हुआ था, वहीं 2024–25 तक यह आँकड़ा बढ़कर 855 मिलियन टन पहुँच गया। यह वृद्धि भारत की बढ़ती व्यापारिक क्षमता को दर्शाती है।
पत्तन क्षमता में 87% वृद्धि देश के प्रमुख पत्तनों की क्षमता में 10 वर्षों में लगभग 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि ने भारत को बड़े जहाजों और अधिक मात्रा में माल ढुलाई के लिए सक्षम बनाया है।
टर्नअराउंड समय घटकर 48 घंटे जहाजों का औसत टर्नअराउंड टाइम (एक जहाज को पत्तन में प्रवेश से लेकर माल ढुलाई और प्रस्थान तक का समय) पहले औसतन चार दिन था। अब यह घटकर 48 घंटे रह गया है, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप है। इससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ी है।
तटीय नौवहन में 118% की वृद्धि देश के भीतर तटीय नौवहन (Domestic Coastal Shipping) में 118 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका अर्थ है कि घरेलू स्तर पर वस्तुओं की ढुलाई अब समुद्र के रास्ते दोगुने से भी अधिक हो रही है। यह सस्ता, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है।
अंतर्देशीय जलमार्गों पर कार्गो 7 गुना बढ़ा अंतर्देशीय जलमार्ग (Inland Waterways) पर कार्गो आवाजाही पिछले एक दशक में लगभग सात गुना बढ़ गई है। यह क्षेत्र अब माल परिवहन का एक प्रमुख साधन बन रहा है और सड़क व रेल पर दबाव कम कर रहा है।
9 भारतीय पत्तनों को विश्व बैंक सूचकांक में स्थान भारत के नौ प्रमुख पत्तनों को विश्व बैंक (World Bank ) कंटेनर पत्तन प्रदर्शन सूचकांक में स्थान मिला है। यह दर्शाता है कि भारत के पत्तन अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़े हो रहे हैं और विश्वस्तरीय मानकों की ओर अग्रसर हैं।
1. भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 क्या है?
भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 एक नया कानून है, जो औपनिवेशिक काल के 1908 के भारतीय पत्तन अधिनियम की जगह लेगा। इसका उद्देश्य देश के समुद्री क्षेत्र के लिए एक आधुनिक, पारदर्शी और वैश्विक मानकों के अनुरूप रूपरेखा तैयार करना है।
2. यह विधेयक क्यों लाया गया है?
1908 का कानून पुराना और समय के अनुरूप नहीं था। समुद्री व्यापार, तकनीक और पर्यावरणीय मानकों में बड़े बदलाव आए हैं। इसलिए नया विधेयक लाकर भारत को भविष्य की जरूरतों और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा रहा है।
3. भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) की स्थापना
राज्यों को राज्य समुद्री बोर्ड बनाने का अधिकार
विवाद समाधान समितियों का गठन
MARPOL और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का अनुपालन
डिजिटलीकरण, सिंगल विंडो सिस्टम और एडवांस्ड पोर्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट
4. MSDC (Maritime State Development Council) क्या करेगा?
MSDC एक वैधानिक परामर्शदात्री निकाय होगा। इसका काम केंद्र और तटीय राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, एकीकृत पत्तन विकास की योजना तैयार करना और नीति-निर्माण में राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
5. इस विधेयक का निवेशकों और उद्योग पर क्या असर होगा?
नए विधेयक से पारदर्शी और समयबद्ध शासन व्यवस्था स्थापित होगी। डिजिटलीकरण और एकल खिड़की प्रणाली से लागत और समय दोनों की बचत होगी। इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और उद्योग जगत के लिए अनुकूल माहौल बनेगा।
रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN)