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बिक्रम सिंह मजीठिया नाभा जेल भेजे गए, कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। रविवार को मोहाली की विशेष अदालत ने रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें नाभा जेल भेजने का आदेश सुनाया। उन्हें 25 जून को विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया गया था और अब 19 जुलाई तक जेल में रहेंगे।

न्यायिक हिरासत का यह आदेश पंजाब की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब ड्रग्स और भ्रष्टाचार के मुद्दे राज्य की राजनीति में एक बार फिर गरमाए हुए हैं।

रविवार को विशेष अदालत की कार्यवाही अवकाश के दिन भी हुई, जो इस मामले की संवेदनशीलता को दर्शाती है। मजीठिया को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मोहाली कोर्ट लाया गया। पूरे रास्ते पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी, जबकि अदालत परिसर के बाहर अकाली दल के समर्थकों और नेताओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

प्रशासन ने पहले से ही अनुमान लगाया था कि समर्थक प्रदर्शन कर सकते हैं, इसलिए कई मार्गों को बंद कर दिया गया था और बैरिकेड्स लगाए गए थे। मजीठिया की पेशी के दौरान अदालत परिसर के आसपास धारा 144 भी लागू कर दी गई थी।

बिक्रम सिंह मजीठिया को विजिलेंस ब्यूरो ने अमृतसर स्थित उनके घर से 25 जून को गिरफ्तार किया था। उन्हें अगले दिन कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 7 दिन की रिमांड पर भेजा गया। बाद में यह रिमांड 4 दिनों के लिए और बढ़ाई गई।

सरकारी वकील फेरी सोफत ने जानकारी दी कि मजीठिया को कुल 15 दिन की रिमांड दी गई थी, जिनमें से 12 दिन पूरे हो चुके हैं। विजिलेंस विभाग ने शेष 3 दिन ‘रिजर्व’ रखे हैं ताकि आवश्यकतानुसार दोबारा रिमांड मांगी जा सके।

इस दौरान विजिलेंस ने कई जगहों पर छापेमारी की है और कुछ दस्तावेज व डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए हैं। इनकी समीक्षा के बाद मजीठिया से दोबारा पूछताछ की जा सकती है।

अकाली दल ने मजीठिया की गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। रविवार को कोर्ट में पेशी से पहले शिरोमणि अकाली दल ने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया ताकि वे कोर्ट तक न पहुंच सकें।

पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि कोर कमेटी के सदस्य जत्थेदार तीरथ सिंह महला और पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका को पुलिस ने उनके घरों में नजरबंद कर दिया।

अकाली दल के प्रवक्ता ने कहा कि “भगवंत मान सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए गैरकानूनी और दमनात्मक तरीकों का सहारा ले रही है। मजीठिया को अदालत में पेश किए जाने से पहले ही कई नेताओं को हिरासत में लेना लोकतंत्र का अपमान है।”

(यहाँ मजीठिया की कोर्ट में पेशी, सुरक्षा घेरे, और समर्थकों की तस्वीर का विवरण दिया जा सकता है)
 बिक्रम सिंह मजीठिया को कड़ी सुरक्षा के बीच मोहाली कोर्ट में पेश किया गया।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर लगे आरोप पंजाब की राजनीति और सामाजिक परिदृश्य में गहरी हलचल मचा चुके हैं। यह मामला कोई नया नहीं है, बल्कि वर्षों पुरानी जांचों और आरोपों का नतीजा है, जिसे अब नए सिरे से गंभीरता से लिया जा रहा है।

इस अवधि में पंजाब में नशीली दवाओं और सिंथेटिक ड्रग्स का व्यापक व्यापार चरम पर था। कई गिरफ्तार तस्कर—जैसे जगदीश भोला, मनीष कुमार, और अन्य ने पूछताछ में मजीठिया का नाम लिया। इन पर आरोप है कि इन्होंने मजीठिया के संरक्षण में कार्य किया और धनशोधन की गतिविधियाँ कीं।

 

आरोप है कि ड्रग्स से उत्पन्न अवैध आय को वैध दिखाने के लिए मजीठिया और उनके करीबी लोगों ने नकली कंपनियों, संपत्तियों और फर्जी ट्रांजैक्शनों का सहारा लिया। इसमें अंतर्राष्ट्रीय ट्रांजैक्शनों की भी संभावना जताई गई।


2015 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। मजीठिया को समन भेजा गया, लेकिन उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए लंबे समय तक अंतरिम राहत का सहारा लिया।


कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने दिसंबर 2021 में NDPS एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) के तहत मोहाली पुलिस स्टेशन में मजीठिया के खिलाफ FIR दर्ज की। यह FIR उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकृत जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।

आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति घोषित की। इसी के तहत विजिलेंस ब्यूरो ने जांच को फिर से सक्रिय किया और 25 जून 2025 को मजीठिया को उनके अमृतसर स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया।

पंजाब की राजनीति में ड्रग्स मुद्दा हमेशा एक संवेदनशील और वोट-बदलू विषय रहा है। मजीठिया की गिरफ्तारी एक बार फिर इस मुद्दे को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में ले आई है।

SAD इसे साफतौर पर राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रहा है। पार्टी का दावा है कि राज्य सरकार अकाली नेताओं को झूठे मामलों में फंसा रही है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि यह कार्रवाई AAP की असफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास है।


मुख्यमंत्री भगवंत मान और पार्टी के वरिष्ठ नेता इस गिरफ्तारी को “सिस्टम की सफाई” कह रहे हैं। AAP का दावा है कि यह कार्रवाई ड्रग्स माफिया के खिलाफ उनके चुनावी वादों को निभाने का प्रमाण है। यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि “अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं है”।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया मिश्रित और सतर्क रही है। पार्टी के कुछ नेताओं—जैसे चरणजीत चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू—ने इस कदम का स्वागत किया, जबकि वरिष्ठ नेतृत्व ने इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाकर कानूनी प्रक्रिया मानने की बात कही है।

युवा वर्ग और एनजीओ जैसे संगठनों ने इस गिरफ्तारी को सकारात्मक कदम बताया है।

किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में इसे ‘वोट हथियाने की चाल’ के रूप में भी देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया पर #DrugFreePunjab और #JusticeForMajithia जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।


संभावना जताई जा रही है कि यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्य एजेंडा बन सकता है।  इसे अपनी उपलब्धि बताएगी, जबकि SAD इसे राजनीतिक उत्पीड़न के रूप में पेश करेगा। यह द्वंद्व चुनावी जंग को और रोचक बना सकता है।

बिक्रम सिंह मजीठिया को न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद उन्हें नाभा की उच्च सुरक्षा जेल में रखा गया है। जेल में उनकी सुरक्षा, संपर्क, और दिनचर्या को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

मजीठिया को VIP कैटेगरी के तहत अलग बैरक में रखा गया है। हालांकि जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि उन्हें कोई ‘अतिरिक्त विशेष सुविधा’ नहीं दी जा रही, बल्कि सुरक्षा कारणों से यह व्यवस्था की गई है।


उन्हें ऐसे विंग में रखा गया है जहाँ 24×7 CCTV निगरानी, तीन परतों वाली सुरक्षा, और सीमित संपर्क की व्यवस्था है।

उन्हें जेल मैन्युअल के अनुसार भोजन दिया जा रहा है।

उनकी स्वास्थ्य जांच नियमित रूप से की जा रही है।

किसी भी इमरजेंसी के लिए पास के सरकारी अस्पताल से समन्वय किया गया है।

वकील और परिवार से मिलने की अनुमति तय दिनों और समय के अनुसार ही दी जा रही है।

सभी मुलाक़ातें निगरानी में हो रही हैं और रिकॉर्ड की जा रही हैं।

जेल में अन्य हाई-प्रोफाइल अपराधियों से उन्हें दूर रखा गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

स्टाफ को निर्देश दिए गए हैं कि नियमों का पालन हर स्थिति में सुनिश्चित करें

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी केवल कानून का मामला नहीं है, बल्कि इसके कई परतें हैं।

ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई की छवि बनाकर सरकार जनता के बीच मजबूत संदेश देना चाहती है, वहीं विपक्ष इस पर ‘राजनीतिक बदले’ का लेबल लगा रहा है। इससे आने वाले महीनों में पंजाब की राजनीति में उथल-पुथल की संभावना बढ़ गई है।

कुछ लोगों ने इसे “जरूरी कदम” कहा जिससे राज्य में ड्रग माफिया को खत्म करने का संदेश जाएगा।

वहीं अकाली समर्थकों ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया।

ट्विटर पर #JusticeForMajithia और #DrugFreePunjab ट्रेंड कर रहा है।

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