उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हरित डिजिटल भारत की ओर ऐतिहासिक कदम गाजियाबाद में हरित डेटा सेंटर का शिलान्यास

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हरित डिजिटल भारत की ओर ऐतिहासिक कदम गाजियाबाद में हरित डेटा सेंटर का शिलान्यास

गाजियाबाद 21वीं सदी का भारत बदलाव के एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। देश डिजिटल सशक्तिकरण, ऊर्जा दक्षता, सतत विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद क्षेत्र में स्थित केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) परिसर में एक ऐतिहासिक पहल हुई—एक 30 मेगावाट क्षमता वाले अत्याधुनिक ग्रीन डेटा सेंटर का शिलान्यास।

इस परियोजना की आधारशिला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारत सरकार के केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रखी। यह केंद्र भारत के तकनीकी और हरित भविष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम है।


परियोजना का स्वरूप: अत्याधुनिक तकनीक और सतत ऊर्जा समाधान

विशाल निवेश और अभूतपूर्व क्षमता

इस अत्याधुनिक डेटा सेंटर के निर्माण में लगभग 1,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। यह ईएसडीएस (ESDS) के तकनीकी सहयोग से स्थापित किया जा रहा है और इसे भारत के सबसे ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल डेटा केंद्रों में शामिल किया जाएगा।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • प्रति मंजिल 200 हाई डेंसिटी रैक की क्षमता
  • Tier III / TIA / Uptime-समर्थित डिज़ाइन
  • 40 Gbps रिंग फाइबर नेटवर्क
  • दोहरी 10 Gbps लिंक द्वारा आपदा प्रबंधन और प्रतिकृति प्रणाली
  • स्मार्ट शीतलन प्रणाली
  • चिंतनशील छत और वर्षा जल संचयन प्रणाली
  • सौर ऊर्जा पर आधारित संचालन प्रणाली

इस केंद्र को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वह न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन, कम संसाधन खपत और अधिकतम डिजिटल निष्पादन सुनिश्चित कर सके।


CEL की भूमिका: रक्षा से लेकर डिजिटल प्रगति तक

सौर फोटोवोल्टिक में अग्रणी संस्था

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने CEL के योगदान की सराहना करते हुए कहा:

“CEL की उन्नत सौर तकनीक ने उत्तर प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों तक रोशनी पहुंचाई है। यह सिर्फ ऊर्जा समाधान नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन का प्रतीक है।”

CEL द्वारा विकसित सौर फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी ने उत्तर भारत के कठिन भौगोलिक क्षेत्रों तक अक्षय ऊर्जा पहुँचाई है। इससे डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कृषि क्षेत्र में भी उल्लेखनीय परिवर्तन आए हैं।

रक्षा क्षेत्र में योगदान: आकाश मिसाइल प्रणाली

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने CEL के रक्षा क्षेत्र में योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया:

“ऑपरेशन सिंदूर के दौरान CEL द्वारा विकसित रडार प्रणाली ने आकाश मिसाइल प्रणाली की सफलता में अहम भूमिका निभाई।”

CEL ने न केवल रडार प्रणाली, बल्कि संचार, ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण विकसित किए हैं, जो भारत की रक्षा तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं।


ऐतिहासिक यात्रा: CEL का पुनरुद्धान

1974 में स्थापना और 1977 में भारत का पहला सौर सेल

CEL की स्थापना 1974 में हुई थी, ताकि स्वदेशी अनुसंधान संस्थानों की तकनीकों का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। 1977 में, CEL ने भारत का पहला सौर सेल विकसित किया, जब दुनिया में सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना प्रारंभ भी नहीं हुआ था।

वित्तीय संकट से मिनीरत्न बनने तक

हाल ही में CEL आर्थिक संकट से गुजर रहा था और विनिवेश की कगार पर था। लेकिन Public-Private Partnership (PPP) मॉडल ने इसमें नई जान फूंक दी।

डॉ. सिंह ने कहा:

“CEL की यह पुनरुद्धान गाथा देश के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के लिए प्रेरणा है।”

2023 में CEL को मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त हुआ, जिसने इसके आत्मनिर्भरता के मार्ग को सशक्त किया।


डिजिटल भारत और ग्रीन टेक्नोलॉजी का संगम – नेट ज़ीरो लक्ष्य की ओर

भारत सरकार ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का जो महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, वह न केवल पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, बल्कि यह देश को डिजिटल, हरित और समावेशी विकास के पथ पर आगे ले जाने की रणनीति का भी हिस्सा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देशभर में विभिन्न उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिनमें से एक प्रमुख कदम ग्रीन डेटा सेंटर की स्थापना है।

ग्रीन डेटा सेंटर: एक हरित क्रांति की शुरुआत

देश में आधुनिक और ऊर्जा-संवेदनशील डिजिटल अवसंरचना की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में एक उन्नत ग्रीन डेटा सेंटर की आधारशिला रखी गई है। यह केंद्र न केवल ऊर्जा की खपत को न्यूनतम करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया की गति को भी और तेज़ करेगा। इस डेटा सेंटर की विशेषताएं इसे विशिष्ट बनाती हैं:

ऊर्जा कुशल बिल्डिंग डिजाइन

इस डेटा सेंटर का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें इन्सुलेटेड निर्माण सामग्री, प्राकृतिक वेंटिलेशन और तापमान नियंत्रण के लिए स्मार्ट डिज़ाइन को शामिल किया गया है। इससे विद्युत खपत में उल्लेखनीय कमी आएगी।

न्यूनतम जल उपयोग

कूलिंग और अन्य प्रक्रियाओं में जल की खपत को न्यूनतम करने हेतु विशेष रीसायक्लिंग तकनीकों और वॉटर-कंज़र्वेशन उपकरणों का प्रयोग किया जा रहा है।

डिजिटल थर्मल कंट्रोल

थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम पूर्णतः ऑटोमेटेड और एआई-सक्षम होगा, जो गर्मी के स्तर को मॉनिटर और नियंत्रित करेगा, जिससे सर्वरों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और ऊर्जा अपव्यय घटेगा।

सौर ऊर्जा आधारित संचालन

इस केंद्र में ऊर्जा की आपूर्ति के लिए प्रमुख स्रोत सौर पैनल होंगे। CEL द्वारा विकसित विकिरण-प्रतिरोधी सोलर पैनलों का उपयोग यहां किया जाएगा, जिससे यह केंद्र अक्षय ऊर्जा आधारित संचालन की दिशा में अग्रसर होगा।

स्टार्टअप और नवाचार के लिए अनुकूल अवसंरचना

डेटा सेंटर में MSME, स्टार्टअप और सरकारी संस्थाओं को एक साझा, सुरक्षित और उच्चगति की सेवा मिलेगी। यह नवाचार और तकनीकी विकास को प्रेरित करने वाला प्लेटफॉर्म साबित होगा।


डेटा सेंटर के बहुआयामी लाभ

यह ग्रीन डेटा सेंटर केवल तकनीकी अवसंरचना नहीं है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का माध्यम भी है। इसके दूरगामी प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  • स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन – तकनीकी, प्रशासनिक और रख-रखाव से जुड़े हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे।

  • नवाचार को प्रोत्साहन – नई तकनीकों के लिए अनुकूल वातावरण मिलने से स्टार्टअप्स को पनपने का अवसर मिलेगा।

  • डिजिटल समावेशिता – ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक डिजिटल सेवाएं सुलभ हो सकेंगी, जिससे तकनीकी असमानता घटेगी।


उत्तर प्रदेश: विज्ञान और नवाचार का नया केंद्र

उत्तर प्रदेश अब केवल सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य या कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि तकनीक, नवाचार और हरित ऊर्जा की दिशा में भी अग्रणी बन रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:

“उत्तर प्रदेश अब जनसंख्या और कृषि का राज्य ही नहीं, बल्कि नवाचार, तकनीक और हरित ऊर्जा का केंद्र बन रहा है।”

राज्य सरकार की आगामी योजनाएं:

  1. लखनऊ में जैव प्रौद्योगिकी औद्योगिक पार्क – इस पार्क में जैविक अनुसंधान, दवा निर्माण और जीवन विज्ञान आधारित स्टार्टअप्स को स्थान मिलेगा।

  2. स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 की मेजबानी – यह कार्यक्रम वैश्विक निवेशकों, नवप्रवर्तनकर्ताओं और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाएगा।

  3. राज्य स्तरीय डेटा केंद्र नीति का क्रियान्वयन – इसमें भूमि आवंटन, कर छूट और तकनीकी सहयोग के स्पष्ट प्रावधान होंगे, जिससे और अधिक निजी निवेश को आकर्षित किया जा सके।


CEL (Central Electronics Limited): बहुआयामी नवाचार की मिसाल

साहिबाबाद स्थित CEL न केवल भारत सरकार के अधीन एक अग्रणी सार्वजनिक उपक्रम है, बल्कि यह तकनीकी नवाचार और स्वदेशी विकास की प्रतीक भी बन गया है। इसने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है:

🌐 रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली

CEL द्वारा विकसित उन्नत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है।

🌐 डिजिटल साक्षरता उपकरण

स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल साक्षरता के लिए विशेष हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर समाधानों का निर्माण किया गया है।

🌐 उच्च गुणवत्ता वाले LED डिस्प्ले

सरकारी एवं निजी उपयोग के लिए ऊर्जा-कुशल, दीर्घायु और उच्च ब्राइटनेस वाले डिस्प्ले पैनलों का निर्माण।

🌐 विकिरण-प्रतिरोधी सौर पैनल

अत्यधिक तापमान और पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से सुरक्षित सौर पैनल, जो रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए भी उपयुक्त हैं।

🌐 अग्निशमन और निगरानी प्रणाली

स्मार्ट अलार्म, CCTV निगरानी और रिमोट रिस्पॉन्स सिस्टम जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ विकसित की गई हैं।


विज्ञान और नवाचार की अन्य झलकियाँ – डॉ. जितेंद्र सिंह का दृष्टिकोण

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने भाषण में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में देश के कई हालिया नवाचारों का उल्लेख किया, जो भारत के आत्मनिर्भरता और सतत विकास के संकल्प को दर्शाते हैं।

🔬 108 पंखुड़ियों वाला आनुवंशिक कमल

CSIR-NBRI (राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) द्वारा विकसित इस कमल का उपयोग जैव अनुसंधान, सौंदर्य प्रसाधनों और परंपरागत चिकित्सा में किया जा सकता है।

🌷 Out-of-season ट्यूलिप

पालमपुर स्थित वैज्ञानिक संस्थान ने ऐसी ट्यूलिप किस्म विकसित की है जो पारंपरिक मौसम के बाहर भी खिल सकती है। इससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा।

🌞 सूर्य तिलक प्रणाली (राम मंदिर, अयोध्या)

भारत में विकसित इस अनूठी प्रणाली के माध्यम से रामनवमी पर सूर्य की किरणें सीधे भगवान राम के माथे पर पड़ती हैं – यह नवाचार विज्ञान और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है।

🧪 मल कीचड़ उपचार संयंत्र (कुंभ मेला 2024)

इस अत्याधुनिक संयंत्र ने कुंभ मेले के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के मल-जल को स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित बनाने में सफलता पाई। यह शहरी स्वच्छता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

भारत @2047 की ओर: सहयोग से समृद्धि

डॉ. सिंह ने बल देते हुए कहा:

“भारत की वास्तविक क्षमता को उजागर करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को एक साझा वैज्ञानिक मिशन पर कार्य करना होगा।”

विकसित भारत @2047 के सपने को साकार करने के लिए यह डेटा सेंटर एक प्रमुख योगदानकर्ता बन सकता है। यह परियोजना न केवल ऊर्जा और सूचना का संगम है, बल्कि यह भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता भी दर्शाती है।


समापन: हरित डेटा से समृद्ध राष्ट्र की ओर

साहिबाबाद स्थित यह डेटा सेंटर केवल एक भवन नहीं, बल्कि हरित तकनीक, डिजिटल समावेशिता और राष्ट्र निर्माण की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। यह CEL की तकनीकी क्षमता, मंत्रालय की दूरदृष्टि और उत्तर प्रदेश सरकार की इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

“जब विज्ञान, राष्ट्रनिर्माण और हरियाली एक साथ चलते हैं, तभी विकसित भारत का सपना साकार होता है।”

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