स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-Urban) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता और नवाचार अभियान को अब नया सामाजिक आयाम और रंग मिल चुका है — “गुलाबी”। बिहार की राजधानी पटना में पटना नगर निगम (PMC) ने हाल ही में ‘पिंक मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF)’ और ‘मोबाइल पिंक टॉयलेट्स’ की शुरुआत कर स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरणीय चेतना और सर्कुलर इकोनॉमी को एक साथ जोड़ने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है।
यह पहल सिर्फ शहरी कचरा प्रबंधन के पारंपरिक ढांचे को चुनौती नहीं देती, बल्कि यह सामाजिक समावेशन और पर्यावरण संरक्षण का एक नवीन मॉडल भी प्रस्तुत करती है, जो देशभर में दोहराए जाने योग्य है।
पिंक MRF: स्वच्छता, सशक्तिकरण और सततता का संगम
पटना में स्थापित ‘पिंक मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF)’ भारत में अपने तरह की पहली फैसिलिटी है, जिसका संचालन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस फैसिलिटी का निर्माण Mitigation Action Facility के सहयोग से Circular Waste Solutions Project के तहत किया गया है।
इस केंद्र में एक महिला सुपरवाइज़र के नेतृत्व में चार महिला कर्मचारी और एक पुरुष कर्मचारी कार्यरत हैं। यहाँ प्रतिदिन 2 टन सूखे कचरे और 1.5 टन गीले कचरे को संसाधित करने की क्षमता है। यह MRF पारंपरिक कचरा प्रबंधन से हटकर स्वच्छता के साथ आर्थिक अवसर और महिला नेतृत्व को प्राथमिकता देती है।
“कैश फॉर वेस्ट”: कचरे से कमाई का मॉडल
स्वच्छ भारत मिशन की “Waste to Wealth” की थीम को साकार करते हुए, पटना नगर निगम ने इस पिंक MRF में “कैश फॉर वेस्ट” योजना भी शुरू की है। इस योजना के तहत नागरिकों को उनके द्वारा दिए गए सूखे कचरे के लिए नगद भुगतान किया जाता है — वह भी एक निर्धारित मूल्य सूची के अनुसार।
यह पहल न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देती है, बल्कि नागरिकों को कचरे के मूल्य को समझने और उसे अलग करने की प्रेरणा भी देती है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती है और कचरे को संसाधन में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है।
महिला सशक्तिकरण: सफाई से नेतृत्व तक
‘पिंक MRF’ न केवल एक सफाई केंद्र है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन चुका है। आमतौर पर कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सीमित रही है, लेकिन इस पहल के जरिए उन्हें नेतृत्व, सम्मान और आत्मनिर्भरता का अवसर मिला है।
इस परियोजना में महिलाओं को शामिल करने की अनुशंसा परियोजना टीम द्वारा की गई थी, जिसे पटना नगर निगम ने पूरी तरह समर्थन दिया, और मात्र तीन महीनों के भीतर इस फैसिलिटी की स्थापना पूरी हो गई। इस पहल को स्थानीय नागरिकों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगठनों से काफी सराहना मिली है।
मोबाइल पिंक टॉयलेट्स: स्क्रैप बस से स्वच्छता क्रांति
पटना नगर निगम की एक और क्रांतिकारी पहल रही है — मोबाइल पिंक टॉयलेट्स। इसके अंतर्गत एक पुरानी स्क्रैप बस को 3R मॉडल (Reduce, Reuse, Recycle) के अनुसार नवीनीकृत कर चलती-फिरती शौचालय सुविधा में बदल दिया गया है।
यह मोबाइल टॉयलेट न केवल पुरानी बसों के पुनः उपयोग का आदर्श उदाहरण है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और सुलभ शौचालय सुविधा भी सुनिश्चित करता है। यह मॉडल संसाधन संरक्षण, शहरी स्वच्छता और सामाजिक समानता का त्रिवेणी संगम बन चुका है।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता और स्थानीय स्वीकृति
इस परियोजना की सफलता और प्रभाव को यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने स्वयं देखा और सराहा है। उन्होंने पिंक MRF का दौरा किया और इसे देशभर में दोहराने योग्य मॉडल बताया। पिंक MRF की डिजाइन, रंग और संचालन शैली ने स्थानीय नागरिकों का भी ध्यान खींचा, जिससे स्वच्छता के प्रति सामाजिक जागरूकता और सहभागिता बढ़ी है।
नवाचार का मॉडल, प्रेरणा का केंद्र
पटना नगर निगम द्वारा की गई यह पहल सिर्फ एक नगर निकाय की कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत के शहरी शासन तंत्र में नवाचार, समावेशन और सामाजिक न्याय का एक नया अध्याय है। स्वच्छता अब केवल साफ-सफाई का दायित्व नहीं, बल्कि समाज निर्माण, पर्यावरणीय चेतना और महिला नेतृत्व का एक सशक्त आंदोलन बनता जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी की सशक्त तस्वीर
भारत सरकार का स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) देश को केवल साफ-सुथरा बनाने का ही नहीं, बल्कि उसे सतत, समावेशी और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने का मिशन है। पटना की “पिंक क्रांति” इसी भावना की जीवंत मिसाल है।
यह पहल दिखाती है कि कैसे स्वच्छता का कार्य महिलाओं के लिए रोज़गार, नेतृत्व और सामाजिक सम्मान का माध्यम बन सकता है; कैसे कचरा केवल फेंकने की वस्तु नहीं, बल्कि संसाधन और आय का स्रोत बन सकता है; और कैसे नवाचार सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का उपकरण भी हो सकता है।
निष्कर्ष
पटना में ‘पिंक MRF’ और ‘मोबाइल पिंक टॉयलेट्स’ के निर्माण ने साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति, समर्पण और नवाचार एक साथ हों, तो शहरी भारत को स्वच्छ, सुंदर और समावेशी बनाना संभव है। यह पहल देश के अन्य शहरों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है।
“पिंक क्रांति” अब सिर्फ रंग नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — जिसमें महिलाएं आगे हैं, पर्यावरण साथी है, और स्वच्छता एक जनभागीदारी वाला परिवर्तन बन चुका है।