दिनांक : 29.07.2025 | Koto News | KotoTrust |
हरिद्वार, जो कांवड़ यात्रा का प्रमुख केंद्र है, वहां इस वर्ष की तीव्र भीड़ को देखते हुए हरिद्वार नगर निगम ने अत्याधुनिक निगरानी और सफाई प्रणाली लागू की है। करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद सफाई व्यवस्था में कहीं कोई चूक न हो, इसके लिए निगम ने ड्रोन निगरानी प्रणाली और लाइनर बैग मॉडल को एकीकृत रूप में लागू किया है।अब तक 2.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके हैं। घाटों और सड़कों पर कचरे की संभावित समस्या को ध्यान में रखते हुए निगम ने कंपोस्टेबल लाइनर बैग का वितरण किया है। दुकानदारों और श्रद्धालुओं को जागरूक किया गया है कि कचरा इन्हीं बैग्स में इकट्ठा करें। निगम की टीमें रात में विशेष अभियान चलाकर कचरा उठाने का कार्य करती हैं ताकि सुबह घाटों और मार्गों को साफ-सुथरा रखा जा सके।ड्रोन प्रणाली से नगर निगम को अब यह सुविधा मिली है कि जहां भी किसी क्षेत्र में कचरे का ढेर दिखाई देता है, वहां तुरंत सफाईकर्मी भेजे जा सकें। इसके अतिरिक्त, भारी बारिश और जलभराव की आशंका को देखते हुए सीवर सक्शन वाहन विभिन्न जलभराव संभावित क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। इस मॉडल ने हरिद्वार को एक स्मार्ट धार्मिक नगरी के रूप में प्रस्तुत किया है।
श्रद्धालु इस व्यवस्था से संतुष्ट हैं। दिल्ली से आए एक कांवड़ यात्री राजेश तिवारी कहते हैं, “पहले तो नालियों से बहता पानी, बदबू और कूड़े के ढेर मिलते थे, लेकिन इस बार घाटों की सफाई और टॉयलेट की व्यवस्था देखकर मन प्रसन्न हो गया।” निगम के इस समग्र मॉडल को भविष्य में प्रयागराज के कुम्भ, मथुरा के जन्माष्टमी और वाराणसी के देव दीपावली जैसे आयोजनों में भी अपनाने की सिफारिश की जा रही हैउत्तर प्रदेश की नगर पालिकाओं ने कांवड़ियों के स्वागत में भक्ति के साथ स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा है। मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और बागपत जैसे प्रमुख नगरों में यात्रा मार्गों पर रंगीन झालरें, इलेक्ट्रिक लाइटें, स्नानगृह, रेस्टरूम, और सेल्फी प्वाइंट बनाए गए हैं। इससे ना केवल शहर का सौंदर्य बढ़ा है, बल्कि श्रद्धालुओं को विश्राम और सुविधाएं भी सहजता से प्राप्त हो रही हैं।इन मार्गों पर लगे जीरो वेस्ट भंडारे अनूठी पहल बन कर उभरे हैं। इनमें उपयोग किए गए फूलों और पत्तियों से कंपोस्ट खाद बनाई जा रही है, जिससे पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही, हर चौराहे और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर स्वच्छता स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं जो श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन और सहयोग दे रहे हैं।
नगर निकायों ने इस बार IT तकनीक का भरपूर प्रयोग किया है। कांवड़ रूट पर QR कोड आधारित हेल्पलाइन, डिजिटल सूचना बोर्ड, और स्वच्छता मानचित्र जैसी व्यवस्थाएं कांवड़ियों को दिशा, दूरी, विश्राम स्थल, और जलपान केंद्रों की जानकारी दे रही हैं। इससे न केवल व्यवस्था आसान हुई है बल्कि आपदा प्रबंधन की तैयारी भी सुदृढ़ हुई है।इस वर्ष की कांवड़ यात्रा न केवल ‘स्वच्छ भारत’ के लक्ष्यों को व्यवहार में उतारने का माध्यम बनी है, बल्कि यह संदेश भी दे रही है कि आस्था और व्यवस्थापन एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। जब समाज, प्रशासन और प्रौद्योगिकी एक साथ मिलते हैं, तब श्रद्धा का स्वरूप अधिक सुसंगत, समर्पित और सुंदर हो उठता है।
MCD द्वारा विशेष सफाई अभियान
24×7 सफाई कर्मियों की तैनाती
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने प्रमुख कांवड़ मार्गों, विश्राम स्थलों, शिविरों और घाटों पर चौबीसों घंटे सफाईकर्मियों की ड्यूटी सुनिश्चित की है। हर 6 घंटे में सफाई रोटेशन और रात्रिकालीन विशेष अभियान संचालित किए गए।
अस्थायी शौचालयों की व्यवस्था
हजारों की संख्या में अस्थायी टॉयलेट और मोबाइल शौचालय स्थापित किए गए हैं, जिनकी नियमित सफाई के लिए सफाई एजेंसियों को नियुक्त किया गया है।
प्लास्टिक मुक्त यात्रा मार्ग
सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। दुकानदारों और भंडार आयोजकों को वैकल्पिक बायोडिग्रेडेबल सामग्री उपयोग करने का निर्देश दिया गया है।
जल छिड़काव व्यवस्था
कांवड़ मार्गों पर धूल नियंत्रण हेतु सुबह-शाम जल छिड़काव किया जा रहा है। इससे श्रद्धालुओं को गर्मी व धूल से राहत मिलती है और स्वच्छ वातावरण बना रहता है।
महिला सशक्तिकरण
दो पिंक शिविर – महिला कांवड़ियों के लिए
दिल्ली में गीता कॉलोनी और कश्मीरी गेट के पास महिला कांवड़ यात्रियों के लिए विशेष ‘पिंक कैंप’ लगाए गए हैं, जो केवल महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
महिला स्टाफ की तैनाती
इन शिविरों में सुरक्षा, चिकित्सा और सेवा कार्यों में केवल महिलाएं नियुक्त की गई हैं ताकि महिला यात्रियों को सुरक्षित और सहज अनुभव मिल सके।
स्वच्छ स्नानागार और सुविधाएं
शिविरों में विशेष स्वच्छ शौचालय, स्नानगृह, दवाई किट, चार्जिंग पॉइंट और आरामदायक टेंट की व्यवस्था की गई है।
जागरूकता सामग्री का वितरण
महिलाओं को सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ी पंफलेट और डिजिटल सूचना दी जा रही है।
हरिद्वार नगर निगम की पहल
ड्रोन निगरानी प्रणाली
घाटों और प्रमुख कांवड़ स्थलों पर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का प्रयोग किया गया है, जिससे किसी भी क्षेत्र में कचरा या भीड़भाड़ की स्थिति का रियल-टाइम विश्लेषण संभव है।
कंपोस्टेबल लाइनर बैग का वितरण
दुकानदारों और कांवड़ियों को कम्पोस्टेबल बैग वितरित किए गए हैं ताकि कचरे का प्रबंधन पर्यावरण के अनुकूल हो सके। यह बैग जैविक रूप से नष्ट हो सकते हैं।
सीवर सक्शन वाहन की तैनाती
बारिश की स्थिति में जलभराव न हो, इसके लिए जल निकासी हेतु हाई-सक्शन वाहन प्रमुख स्थानों पर दो पालियों में कार्यरत हैं।
5 लाख+ स्टील गंगाजल कंटेनर का वितरण
प्लास्टिक बोतलों के स्थान पर स्टील कंटेनर दिए गए हैं ताकि गंगा जल का भंडारण टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल तरीके से हो।
जूट बैग का वितरण
श्रद्धालुओं को प्रसाद और सामग्री ले जाने के लिए जूट बैग उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे प्लास्टिक थैलियों पर निर्भरता समाप्त हो।
फूलों से खाद निर्माण
मंदिरों और शिविरों में उपयोग किए गए फूलों को इकट्ठा कर कम्पोस्ट यूनिट में प्रोसेस किया जा रहा है। इससे जैविक खाद तैयार की जा रही है जो शहर की हरित नीति में योगदान दे रही है।
कांवड़ यात्रा के मार्गों पर भव्य सेल्फी प्वाइंट्स बनाए गए हैं, जिनमें ‘हर हर महादेव’, ‘जय भोलेनाथ’ जैसे थीम पर आधारित सजावट है। नगरों में रंगीन झालरें और LED लाइट्स से स्वागत किया जा रहा है।
जीरो वेस्ट भंडारे
खाने के भंडारों में पत्तल, दोने और स्टील बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है। कचरे को तीन श्रेणियों में विभाजित कर निस्तारण की व्यवस्था है।
फूलों से खाद की व्यवस्था
प्रसाद और स्वागत सामग्री के रूप में उपयोग किए गए फूलों को एकत्रित कर नगर निकायों ने खाद निर्माण इकाइयाँ लगाई हैं, जिससे यह यात्रा पूर्णतः पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संतुलित बन सके।
स्वच्छता के साथ भक्ति का माहौल
कांवड़ मार्गों की नियमित सफाई, मोबाइल टॉयलेट, विश्राम केंद्र, पानी के कूलर, फर्स्ट एड किट और निगरानी टीमों के माध्यम से पूरे उत्तर प्रदेश में भक्ति और सफाई का संतुलन कायम किया गया है।