तीनों सेनाओं में समन्वय को नई दिशा: रक्षा मंत्री ने CDS व सैन्य कार्य विभाग को संयुक्त आदेश जारी करने के लिए अधिकृत

भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और कार्यशैली में एक ऐतिहासिक बदलाव लाते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और सैन्य कार्य विभाग (Department of Military Affairs – DMA) के सचिव को एक महत्वपूर्ण नई जिम्मेदारी सौंपी है। इस निर्णय के तहत, अब सीडीएस को तीनों सेनाओं—थल सेना, नौसेना और वायुसेना—के लिए “संयुक्त निर्देश” और “संयुक्त आदेश” जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा। यह कदम भारतीय सैन्य ढांचे में एकता, समन्वय और दक्षता को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक निर्णायक पहल के रूप में देखा जा रहा है।


पहली बार जारी हुआ “संयुक्त आदेश”

इस नई प्रणाली के तहत पहला “संयुक्त आदेश24 जून 2025 को जारी किया गया। इसका शीर्षक था:
‘संयुक्त निर्देशों एवं संयुक्त आदेशों के अनुमोदन, प्रकाशन और क्रमांकन’
यह आदेश अब तीनों सेनाओं में सामूहिक दिशा-निर्देशों और कार्यान्वयन तंत्र की नींव रखता है, जो अब तक अलग-अलग सेवा इकाइयों द्वारा स्वतंत्र रूप से संचालित होते थे।


पुरानी प्रणाली में बदलाव

अब तक की प्रणाली के अंतर्गत जब भी कोई विषय दो या दो से अधिक सेवाओं (सेनाओं) से संबंधित होता था, तो प्रत्येक सेवा स्वतः अपने स्तर पर आदेश जारी करती थी। इससे कभी-कभी न केवल दोहरे प्रयास और संसाधनों की बर्बादी होती थी, बल्कि कार्यान्वयन में भ्रम और असमंजस की स्थिति भी उत्पन्न होती थी।

इस पुराने ढांचे को बदलते हुए, अब एक संयुक्त आदेश के माध्यम से तीनों सेनाओं को एकीकृत निर्देश प्राप्त होंगे, जो न केवल प्रशासनिक स्पष्टता को बढ़ावा देगा, बल्कि रणनीतिक समन्वय और तीव्र निर्णय प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करेगा।


CDS की भूमिका को नई मजबूती

इस निर्णय से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की भूमिका को केंद्रीय और समन्वयकारी नेतृत्व के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है। अब सीडीएस और डीएमए के सचिव सैन्य संचालन, प्रशिक्षण, प्रशासन, अधिग्रहण और अन्य अंतर-सैन्य मुद्दों पर संयुक्त दिशा-निर्देश जारी कर सकेंगे।

यह कदम थल, नौ, वायु सेनाओं के बीच रणनीतिक और परिचालन सहयोग को गहरा करेगा तथा भारतीय सशस्त्र बलों को एक “थिएटर कमांड” आधारित संयुक्त युद्ध प्रणाली की ओर अग्रसर करेगा।


क्या हैं “संयुक्त निर्देश” और “संयुक्त आदेश”?

  • संयुक्त निर्देश (Joint Directives): दीर्घकालिक नीति, प्रशिक्षण, संरचना, तथा सामरिक योजना से संबंधित मार्गदर्शक निर्देश।

  • संयुक्त आदेश (Joint Orders): विशिष्ट कार्यान्वयन योग्य आदेश जो एक से अधिक सेवाओं को प्रभावित करते हैं और तुरंत क्रियान्वयन हेतु होते हैं।

इन दोनों का उद्देश्य है कि भारतीय सशस्त्र बलों की कार्यशैली अधिक एकीकृत, उत्तरदायी और परिणामोन्मुखी बने।


नई व्यवस्था के लाभ

  1. तीनों सेनाओं में कार्यात्मक समन्वय और निर्णय की एकरूपता

  2. दोहरेपन और प्रक्रियात्मक अतिरेक की समाप्ति

  3. न्यूनतम संसाधन में अधिकतम प्रभाव

  4. सामरिक तात्कालिकता का त्वरित और समेकित उत्तर

  5. थिएटर कमांड संरचना की दिशा में मजबूत आधार


रक्षा मंत्री का दृष्टिकोण

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस पहल को “सशस्त्र बलों के भीतर संयुक्तता और एकीकरण के एक नए युग की शुरुआत” बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम राष्ट्र की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उन्होंने कहा:

“भारतीय सशस्त्र बल आज जिस तेज़ी से तकनीकी और रणनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं, उसमें सेवाओं के बीच पारदर्शी संवाद, समन्वय और संयुक्त क्रियान्वयन बेहद आवश्यक है। यह पहल उसी दिशा में एक यथार्थवादी और दूरदर्शी कदम है।”


भविष्य की राह: थिएटर कमांड्स की ओर

यह नई प्रणाली भारतीय सशस्त्र बलों के थिएटर कमांड की दिशा में एक ठोस आधार तैयार करती है। सरकार पहले ही इस बात के संकेत दे चुकी है कि भविष्य में तीनों सेनाओं को भौगोलिक और कार्यगत कमांडों में एकीकृत किया जाएगा, जिससे रणनीतिक दृष्टिकोण और संसाधन उपयोग में अधिकतम दक्षता लाई जा सके।

संयुक्त आदेश प्रणाली इसके लिए एक संचालनात्मक नींव तैयार करती है, जो धीरे-धीरे एकीकृत सैन्य नेतृत्व और संचालन की ओर बढ़ेगी।


निष्कर्ष

भारत के सैन्य इतिहास में 24 जून 2025 की यह तिथि एक नई सैन्य शासन प्रणाली की शुरुआत के रूप में याद की जाएगी। यह न केवल तीनों सेनाओं के सामंजस्य और सहयोग को नई ऊँचाई देगा, बल्कि भविष्य के संयुक्त युद्ध सिद्धांतों, तकनीकी समन्वय, और सामरिक क्षमता को भी एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा।

यह निर्णय एक बार फिर दर्शाता है कि भारत अपने रक्षा तंत्र को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने और उसे वैश्विक सैन्य मानकों के अनुरूप ढालने की दिशा में दृढ़संकल्पित है।

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