भारत की आर्थिक प्रगति में ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” विषय पर 360-डिग्री विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम स्वयं सहायता समूह (SHG) आधारित उद्यमिता के अनुभवों, चुनौतियों और संभावनाओं को समग्र रूप से सामने लाने तथा उन्हें सुलभ, संरचित और सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध हुआ।
शक्ति से संपन्नता की ओर: ग्रामीण भारत का नया स्वरूप
इस विचार-मंथन का मूल उद्देश्य था – ग्रामीण भारत में कार्यरत लखपति दीदी और हजारों स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को संगठित उद्यमिता, प्रतिस्पर्धी बाजार और डिजिटल सशक्तिकरण से जोड़ना। इस सत्र में सरकार, निजी क्षेत्र, अकादमिक संस्थानों, स्टार्टअप्स और विकास संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव श्री टी.के. अनिल कुमार ने कहा,
“गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य केवल अनुदान आधारित योजनाओं से नहीं, बल्कि व्यावसायिक दक्षता और उद्यमिता के मार्ग से पूरा किया जा सकता है। DAY-NRLM इस दिशा में बहुत ठोस कार्य कर रहा है।”
सामाजिक सशक्तिकरण से आर्थिक स्वतंत्रता की ओर
कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूहों की अवधारणा को विस्तार से प्रस्तुत किया गया और बताया गया कि कैसे ये समूह आत्मनिर्भरता, नेतृत्व, सामूहिक निर्णय और स्थानीय नवाचार के वाहक बन चुके हैं। इस दिशा में DAY-NRLM की यात्रा को डॉ. मोलिश्री (निदेशक, ग्रामीण विकास मंत्रालय) ने रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को केवल उत्पादनकर्ता नहीं, बल्कि उद्यमी और नवप्रवर्तक के रूप में सशक्त बनाना अब मिशन की प्राथमिकता है। उन्होंने “लखपति दीदी” मॉडल की चर्चा करते हुए बताया कि अब गांवों में लाखों महिलाएं अपने उत्पादों के माध्यम से वार्षिक लाखों की आय अर्जित कर रही हैं।
उद्यमिता में युवाओं और किसानों को जोड़ने की योजना
DAY-NRLM अब केवल महिला-केंद्रित कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक व्यापक ग्रामीण उद्यमिता मंच बन चुका है। श्री टी.के. अनिल कुमार ने कहा कि मिशन का अगला चरण युवा किसानों, प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता आधारित कौशल विकास से जोड़ने पर केंद्रित होगा।
इस संदर्भ में MSDE (कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय) की संयुक्त सचिव सुश्री हेना उस्मान ने मिशन के साथ समन्वय को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को विपणन, मीडिया, ब्रांडिंग और ग्राहक संचार के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि वे प्रतिस्पर्धी बाजार में स्थान बना सकें।
सशक्तिकरण के स्तंभ: नवाचार, प्रशिक्षण और तकनीकी साक्षरता
ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा,
“SHG सदस्य नवाचार की प्रयोगशालाएं हैं। उन्हें उन्नत कौशल, मांग-आधारित उत्पादन और वैश्विक मूल्य श्रृंखला से एकीकरण की दिशा में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की परिकल्पना में SHG महिलाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं — यदि उन्हें सही दिशा, संसाधन और बाजार मिले।
पहल दर पहल: DAY-NRLM की प्रमुख उद्यमिता योजनाएं
श्री रमन वाधवा, उप निदेशक (ग्रामीण विकास मंत्रालय) ने DAY-NRLM के अंतर्गत संचालित प्रमुख कार्यक्रमों की जानकारी दी:
-
स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (SVEP)
-
सारस आजीविका स्टोर नेटवर्क
-
लखपति दीदी मिशन
-
मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहयोग योजनाएं
-
डिजिटल उद्यमिता और वित्तीय समावेशन योजनाएं
SHG उत्पादों के लिए “राष्ट्रीय ब्रांड” की मांग
विभिन्न वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि SHG उत्पादों की गुणवत्ता, विविधता और सामाजिक मूल्य उन्हें भारत के शहरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूत पहचान दिला सकते हैं। परंतु इसके लिए एक एकीकृत और पहचान योग्य राष्ट्रीय ब्रांड की आवश्यकता है।
फैब इंडिया, रिलायंस फाउंडेशन, और वूमेन ऑन विंग्स जैसे संगठनों ने सुझाव दिया कि SHG उत्पादों को प्रोफेशनल ब्रांडिंग, पैकेजिंग, और कहानी के साथ प्रस्तुत किया जाए, ताकि उपभोक्ता उनसे भावनात्मक और मूल्य आधारित रूप से जुड़ सकें।
SARAS को ब्रांड संरक्षक बनाने का सुझाव
उद्यमियों ने कहा कि SARAS (State Rural Livelihoods Shops) एक स्थापित नाम बन चुका है, जो ग्रामीण उत्पादों और स्वयं सहायता समूहों की पहचान से जुड़ा हुआ है। वक्ताओं ने यह सुझाव दिया कि:
“SARAS को एक राष्ट्रीय ब्रांड संरक्षक के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जो केवल उत्पाद नहीं, बल्कि गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता और ग्रामीण भारत की सामाजिक ताकत का प्रतिनिधित्व करे।”
इसके साथ ही एक ब्रांड गाइडलाइन, मानक गुणवत्ता प्रोटोकॉल और डिजिटल मार्केटिंग रणनीति पर काम किए जाने की आवश्यकता जताई गई।
डिजिटल साक्षरता और टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन पर ज़ोर
फ्लिपकार्ट, आईटीसी, बिग ब्रांड थ्योरी जैसे डिजिटल कॉमर्स और मार्केटिंग विशेषज्ञों ने SHG महिलाओं की डिजिटल साक्षरता पर फोकस करने की आवश्यकता बताई। उनके अनुसार:
-
SHG सदस्यों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, डिजिटल पेमेंट, सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
-
CRM (Customer Relationship Management) और ट्रेसिबिलिटी सिस्टम को अपनाने से उत्पादों की विश्वसनीयता और ग्राहकों के साथ संबंध बेहतर होंगे।
-
ई-कॉमर्स पोर्टलों पर ऑनबोर्डिंग को आसान बनाने हेतु एकीकृत सपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने उदाहरण के रूप में बताया कि कैसे कुछ राज्यों में SHG महिलाएं अब Amazon और Flipkart पर सफलतापूर्वक अपने उत्पाद बेच रही हैं, लेकिन ऐसे प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत रूप देना जरूरी है।
लॉजिस्टिक्स और बीमा सेवाओं को SHG अनुकूल बनाना आवश्यक
प्रत्येक ग्रामीण उद्यमी के लिए बाजार तक पहुंच केवल उत्पाद के निर्माण से नहीं होती, बल्कि उसमें परिवहन, भंडारण, बीमा और वितरण की पूरी प्रणाली जुड़ी होती है। इस बात पर बल देते हुए शाही एक्सपोर्ट्स, क्रेमिका, और जयके एंटरप्राइजेज के प्रतिनिधियों ने कहा कि:
-
लॉजिस्टिक नेटवर्क को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने की नीति बनाई जाए।
-
बीमा योजनाएं जैसे उत्पाद बीमा, इन्वेंट्री बीमा, ट्रांजिट बीमा आदि SHG सदस्यों के लिए अनुकूल दरों पर उपलब्ध कराई जाएं।
-
ट्रैकिंग और रिटर्न मैकेनिज्म जैसे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाए ताकि SHG उत्पाद आधुनिक ग्राहक अनुभव से मेल खा सकें।
इस विषय पर इंडिया पोस्ट के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे पहले से ही कई ग्रामीण उद्यमों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहे हैं और इस सहयोग को और विस्तृत किया जा सकता है।
डिजिटल भविष्य और मानकीकरण की दिशा में बढ़ते कदम
वक्ताओं ने जोर दिया कि SHG उत्पादों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मानकीकृत गुणवत्ता प्रोटोकॉल जरूरी हैं। इसके साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्मों का उपयोग:
-
क्षमता निर्माण
-
बिक्री और विपणन
-
आपूर्ति श्रृंखला निगरानी
-
फीडबैक प्रणाली
के लिए प्राथमिकता से होना चाहिए।
फ्लिपकार्ट के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने अनेक SHG ब्रांडों को अपने प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्ड किया है, लेकिन प्रशिक्षण, प्रमाणन और लॉजिस्टिक्स बड़ी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। NIFT और बिग ब्रांड थ्योरी जैसे संस्थानों ने उत्पाद डिज़ाइन और ग्राहक समझ को सुदृढ़ करने के लिए दीर्घकालिक साझेदारी की वकालत की।
DAY-NRLM का भविष्य: रणनीति और दृष्टिकोण
DAY-NRLM अब केवल एक सामाजिक आंदोलन नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ बनने की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम के समापन के दौरान, श्री टी.के. अनिल कुमार ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि:
“जो सुझाव, अनुभव और समाधान यहां प्रस्तुत किए गए हैं, उन पर गहराई से विचार किया जाएगा और उन्हें व्यवहार्य रणनीतियों में तब्दील किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि भविष्य में ऐसे परामर्श सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाएंगे और जमीनी स्तर के नवप्रवर्तकों को नीति-निर्धारण में भागीदारी दी जाएगी।
निष्कर्ष: ग्रामीण भारत से उद्यमशील भारत की ओर
यह विचार-मंथन सत्र एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे सरकार, निजी क्षेत्र, सामाजिक संस्थान और SHG सदस्य मिलकर एक परिवर्तनकारी अभियान चला सकते हैं। इस सत्र ने स्पष्ट किया कि:
-
ग्रामीण महिलाएं केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि आर्थिक विकास की नेता बन सकती हैं।
-
SHG उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हैं — बशर्ते उन्हें सही नीति, बाजार और प्लेटफॉर्म मिलें।
-
भारत की विकसित अर्थव्यवस्था 2047 की परिकल्पना में ग्रामीण उद्यमिता एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है।