रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का एससीओ सदस्य देशों को संदेश सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का एससीओ सदस्य देशों को संदेश सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ

आज के वैश्विक परिदृश्य में जब आतंकवाद ने न केवल सीमाओं को पार कर मानवता को संकट में डाला है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती उत्पन्न की है, ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सामूहिक सहयोग और एकजुट प्रयास की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गई है। इसी संदर्भ में भारत के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में अपने प्रभावशाली भाषण के माध्यम से न केवल भारत की चिंताओं को साझा किया, बल्कि सीमा पार आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।

बैठक का आयोजन चीन के चिंगदाओ शहर में हुआ, जहां चीन वर्तमान में 2025 के लिए एससीओ का अध्यक्ष है। बैठक में रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने जिस स्पष्टता और मजबूती से भारत की दृष्टिकोण को रखा, वह न केवल भारतीय हितों का प्रतिबिंब था, बल्कि एक शांतिपूर्ण, सहयोगी और बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता पर भी बल देता है।


SCO की पृष्ठभूमि: सहयोग का मंच

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक बहुपक्षीय अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, आतंकवाद विरोधी प्रयास, और सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास को सुदृढ़ करना है। वर्तमान में SCO के सदस्य देश हैं: भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और हाल ही में शामिल हुआ बेलारूस।

भारत वर्ष 2017 में SCO का पूर्णकालिक सदस्य बना था, और तब से उसने इस मंच का उपयोग क्षेत्रीय शांति, बहुपक्षीयता और आर्थिक एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए किया है।


राजनाथ सिंह का संबोधन: मुख्य बिंदु

चिंगदाओ में आयोजित रक्षा मंत्रियों की बैठक में श्री राजनाथ सिंह ने जिन प्रमुख बिंदुओं को उठाया, वे निम्नलिखित हैं:

1. सीमा पार आतंकवाद पर रोक जरूरी

श्री सिंह ने एससीओ सदस्य देशों से स्पष्ट शब्दों में अपील की कि वे सीमा पार आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह समूचे क्षेत्र और विश्व के लिए खतरा है। उन्होंने विशेष रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा:

“Terror funding must stop at all costs.”
(आतंकवाद को वित्तीय मदद किसी भी कीमत पर बंद होनी चाहिए।)

2. सुधारित बहुपक्षीयता का समर्थन

रक्षामंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर बल दिया कि भारत मानता है कि सुधारित बहुपक्षीयता (reformed multilateralism) न केवल देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित कर सकती है, बल्कि यह संघर्षों को रोकने के लिए संवाद और समन्वय के लिए आवश्यक ढांचा भी प्रदान कर सकती है।

यह विचार “सर्वे जना सुखिनो भवन्तु” की भारतीय परंपरा में निहित है – जो सभी के सुख और शांति की कामना करता है।

3. साझा चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक

राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कहा कि कोई भी देश, चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा:

“No country, however large and powerful, can manage alone.”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि बहुपक्षीयता का मूल आधार ही यह है कि देशों को परस्पर सहयोग के लिए एकजुट होना होगा।

4. बेलारूस का स्वागत

रक्षामंत्री ने SCO में नए सदस्य देश बेलारूस का स्वागत करते हुए संगठन की बढ़ती व्यापकता और प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने चीन द्वारा सम्मेलन की मेज़बानी के लिए धन्यवाद भी ज्ञापित किया।


भारत का SCO के साथ जुड़ाव

भारत ने SCO को हमेशा एक रणनीतिक मंच के रूप में देखा है, जहां वह न केवल अपने पड़ोसी देशों के साथ संवाद को बढ़ावा देता है, बल्कि सुरक्षा, व्यापार, आतंकवाद विरोध और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती प्रदान करता है।

प्रमुख भारतीय प्राथमिकताएँ:

  • आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग

  • अफगानिस्तान में स्थायित्व

  • साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण

  • क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी

  • युवाओं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा

भारत का यह मानना है कि “शंघाई भावना” (Shanghai Spirit), जो परस्पर विश्वास, समानता, संवाद, और सहयोग पर आधारित है, वह पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि में अहम भूमिका निभा सकती है।


आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक नीति

भारत लंबे समय से यह मानता रहा है कि आतंकवाद को धर्म, जाति, या क्षेत्र के आधार पर विभाजित नहीं किया जा सकता। आतंकवाद, आतंकवाद है – और इसका कोई “अच्छा” या “बुरा” रूप नहीं हो सकता।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भी Comprehensive Convention on International Terrorism (CCIT) का प्रस्ताव दिया है, जो अब भी लंबित है। श्री राजनाथ सिंह ने SCO मंच पर इसे पुनः रेखांकित करते हुए कहा कि यदि वैश्विक समुदाय को एक सुरक्षित भविष्य चाहिए, तो सभी देशों को एकजुट होकर आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करनी होगी।


चीन के लिए संदेश

हालांकि राजनाथ सिंह का बयान किसी एक देश को लक्ष्य करके नहीं दिया गया था, लेकिन यह सर्वविदित है कि भारत लंबे समय से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और चीन द्वारा उसकी परोक्ष सहायता को लेकर चिंतित रहा है।

SCO बैठक में चीन की मेज़बानी के बीच भारत का आतंकवाद विरोधी रुख और सीमा पार गतिविधियों की निंदा एक स्पष्ट कूटनीतिक संदेश देता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।


SCO की 2025 थीम: “Shanghai Spirit – SCO on the Move”

इस वर्ष चीन ने SCO की अध्यक्षता करते हुए “शंघाई भावना – SCO आगे बढ़ रहा है” विषय को चुना है। इस थीम का उद्देश्य SCO को एक सक्रिय, समन्वित और परिवर्तनकारी मंच बनाना है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक समस्याओं के समाधान हेतु सार्थक कदम उठाए।

राजनाथ सिंह ने इस थीम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि भारत इस भावना को साझा करता है और उसके अनुसार ही अपनी नीति निर्मित करता है।


भविष्य की राह

रक्षा मंत्रियों की यह बैठक ऐसे समय में हुई जब विश्व विविध संकटों से जूझ रहा है – रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा संघर्ष, अफगानिस्तान में अस्थिरता, साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाएं, और वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क का पुनर्गठन।

ऐसे में SCO जैसे मंच पर भारत जैसे देश की सक्रिय भूमिका न केवल संगठन की प्रभावशीलता को बढ़ाती है, बल्कि यह दर्शाती है कि क्षेत्रीय संगठन वैश्विक शांति में कैसे योगदान दे सकते हैं।


निष्कर्ष

भारत के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह का चिंगदाओ में दिया गया संबोधन न केवल कूटनीतिक रूप से प्रभावशाली था, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की एक मजबूत, स्पष्ट और जिम्मेदार शक्ति के रूप में भूमिका को भी रेखांकित करता है।

उन्होंने SCO जैसे बहुपक्षीय संगठन की शक्ति का उपयोग करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध ठोस कार्यवाही की आवश्यकता को वैश्विक समुदाय के सामने रखा, और एक शांतिपूर्ण, समन्वित तथा सहयोगात्मक भविष्य की आवश्यकता को दोहराया।

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