राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) ने एक बार फिर अपनी सतर्कता और प्रभावशाली खुफिया नेटवर्क की बदौलत अवैध तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए चेन्नई में 92.1 लाख विदेशी सिगरेटें जब्त की हैं, जिनकी बाजार कीमत लगभग 18.2 करोड़ रुपये आँकी गई है। यह कार्रवाई 23 जून 2025 को डीआरआई की चेन्नई जोनल यूनिट द्वारा की गई, जो तंबाकू उत्पादों की अवैध तस्करी पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
खुफिया सूचना के आधार पर हुआ खुलासा
यह ऑपरेशन डीआरआई को मिली एक विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू किया गया, जिसमें यह बताया गया था कि “बाथरूम और सैनिटरी फिटिंग्स” की आड़ में दुबई से भारत में विदेशी सिगरेटों की तस्करी की जा रही है। इस सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए डीआरआई अधिकारियों ने जे-माताडी एफटीडब्ल्यूजेड (FTWZ) को भेजे जा रहे एक संदिग्ध कंटेनर को चिन्हित किया और उसे पकड़ा।
जब कंटेनर की विस्तृत जांच की गई, तो अधिकारियों को चौंकाने वाली जानकारी मिली। कंटेनर में जो वस्तुएं घोषित की गई थीं, वे उसमें नहीं थीं। इसके बजाय उसमें विदेशी मूल की सिगरेटों के बड़े-बड़े कार्टन पाए गए, जिनमें विभिन्न ब्रांड शामिल थे।
कौन-कौन से ब्रांड जब्त हुए?
जब्त की गई सिगरेटों के कुछ प्रमुख ब्रांड इस प्रकार हैं:
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Manch*ester United Kingdom
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Man*chester United Kingdom Special Edition
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MA*C Ice Superslims Cool Blast
इन ब्रांडों की सिगरेटें विदेशी पैकेजिंग में थीं और उन पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित वैधानिक चेतावनी लेबल मौजूद नहीं थे, जो COTPA, 2003 (Cigarettes and Other Tobacco Products Act) के अंतर्गत अनिवार्य है।
कानून के उल्लंघन का मामला
डीआरआई अधिकारियों के अनुसार, यह तस्करी सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और सीओटीपीए, 2003 के विभिन्न प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। न केवल सिगरेटों की तस्करी की गई, बल्कि गलत घोषणा करके कंटेनर में भ्रामक जानकारी दी गई, जो कानूनन अपराध है।
साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया कि जब्त की गई सिगरेटों की पैकेजिंग भारतीय स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप नहीं है, जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इन सिगरेटों का भारत में किसी वैध चैनल से प्रवेश नहीं हुआ था। इन पर वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनी, निकोटीन और टार का स्तर, तथा निर्माण और आयात संबंधित जानकारी का अभाव था।
पहले भी सामने आ चुकी है तस्करी
यह पहली बार नहीं है जब डीआरआई ने चेन्नई पोर्ट्स के जरिए सिगरेट तस्करी का मामला पकड़ा हो। वर्ष 2024 में भी डीआरआई ने एक बड़े अभियान के तहत 4.4 करोड़ नकली और विदेशी सिगरेटों को जब्त किया था, जिनकी अनुमानित कीमत 79.67 करोड़ रुपये थी। इससे यह संकेत मिलता है कि चेन्नई जैसे प्रमुख बंदरगाह तंबाकू उत्पादों की अवैध तस्करी के लिए हाई रिस्क ज़ोन बनते जा रहे हैं।
तस्करी से होने वाली हानि
तंबाकू उत्पादों की तस्करी न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह भारत सरकार को भारी राजस्व हानि भी पहुंचाती है। विदेशी सिगरेटों पर लगने वाले आयात शुल्क, जीएसटी और अन्य टैक्स से सरकार को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन जब ये उत्पाद तस्करी के माध्यम से अवैध रूप से देश में प्रवेश करते हैं, तो यह पैसा सरकारी खजाने में न जाकर काले बाजार की जेब में चला जाता है।
इसके अतिरिक्त, इन उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की कोई गारंटी नहीं होती, जिससे आम जनता के स्वास्थ्य को भी खतरा होता है।
सख्त कार्रवाई की तैयारी
डीआरआई ने जब्त की गई पूरी खेप को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के अंतर्गत जब्त (Seize) कर लिया है और आगे की जांच जारी है। अधिकारियों ने यह संकेत भी दिया है कि इस तस्करी रैकेट के पीछे काम कर रहे संगठित गिरोहों की भी पहचान की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, मामले में कई कंपनियों और व्यक्तियों की भूमिका की जांच हो रही है, जो कथित तौर पर इस पूरे तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। जल्द ही कई गिरफ्तारियां भी संभव हैं।
डीआरआई की सक्रियता और सजगता
डीआरआई ने पिछले कुछ वर्षों में न केवल ड्रग्स, सोना, विदेशी मुद्रा, और नकली सामान की तस्करी पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि तंबाकू उत्पादों की तस्करी पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है। विभाग की इंटेलिजेंस नेटवर्क, प्रशिक्षित अधिकारी, और तकनीकी संसाधनों की वजह से इस तरह की बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दिया जा पा रहा है।
सरकार की चेतावनी
केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि किसी भी प्रकार की तस्करी, विशेषकर स्वास्थ्य से संबंधित उत्पादों की तस्करी, को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वित्त मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय मिलकर तंबाकू नियंत्रण कानूनों को और कड़ा करने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
निष्कर्ष
डीआरआई द्वारा चेन्नई में 92 लाख से अधिक विदेशी सिगरेटों की जब्ती न केवल एक बड़ी कामयाबी है, बल्कि यह आने वाले समय में तस्करों के लिए एक सख्त संदेश भी है कि भारत की एजेंसियां अब पहले से कहीं अधिक सजग, सक्रिय और तकनीकी रूप से सक्षम हैं।