कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) | दर्द निवारक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दवाओं की बिक्री और वितरण पर अब और सख्त निगरानी रखी जाएगी। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और इसके तहत बनाए गए नियमों के अंतर्गत, यह जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा नियुक्त राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों (एसएलए) को दी गई है। इन प्राधिकरणों के पास अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने और अनुपालन न होने पर कार्रवाई करने के अधिकार हैं। एसएलए नियमित रूप से दवा दुकानों, गोदामों और वितरण नेटवर्क का निरीक्षण करते हैं। यदि किसी निर्माता, वितरक या खुदरा विक्रेता द्वारा अधिनियम या नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो लाइसेंस रद्द करने, निलंबित करने या कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता पर कोई समझौता न हो। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से दवाओं की बढ़ती बिक्री को देखते हुए, केंद्र सरकार ने 28 अगस्त 2018 को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था। इस दिन औषधि नियम, 1945 में संशोधन के लिए मसौदा नियम जारी किए गए, जिनमें ई-फार्मेसी के जरिए दवाओं की बिक्री और वितरण को विनियमित करने से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।इन मसौदा नियमों के तहत, ई-फार्मेसी का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण के बिना कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दवाओं की बिक्री या वितरण नहीं कर सकेगा। साथ ही, ई-फार्मेसी का समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे नियमों के अनुरूप काम कर रही हैं।
मसौदा नियमों में स्पष्ट किया गया है कि ई-फार्मेसी के माध्यम से केवल मान्य पर्चे (प्रिस्क्रिप्शन) के आधार पर ही दवाओं की बिक्री हो सकती है। दवा वितरण के समय मरीज की पहचान, डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन और दवा की जानकारी का रिकॉर्ड रखना भी अनिवार्य होगा। दवाओं के विज्ञापन पर रोक मसौदा नियमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके तहत, ई-फार्मेसी किसी भी प्रकार का दवाओं का प्रचार या विज्ञापन नहीं कर सकेगी, जिससे मरीजों को अनावश्यक दवाएं खरीदने के लिए प्रेरित न किया जा सके। नियमों में एक शिकायत निवारण तंत्र भी शामिल है। यदि किसी उपभोक्ता को ई-फार्मेसी से खरीदी गई दवा की गुणवत्ता, मात्रा या वितरण प्रक्रिया में कोई समस्या आती है, तो वह निर्धारित समय के भीतर अपनी शिकायत दर्ज कर सकेगा। ई-फार्मेसी ऑपरेटरों को इन शिकायतों का समाधान करना होगा।
ई-फार्मेसी की निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। यह पोर्टल सभी पंजीकृत ई-फार्मेसी का रिकॉर्ड रखेगा और राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को निगरानी में मदद करेगा। इससे नकली या घटिया दवाओं की बिक्री रोकने में मदद मिलेगी। ई-फार्मेसी के नियमन के पीछे मुख्य उद्देश्य है – मरीजों को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और समय पर दवाएं उपलब्ध कराना, साथ ही गैर-कानूनी बिक्री और अनियंत्रित बाजार पर रोक लगाना।
दर्द निवारक और मानसिक स्वास्थ्य की दवाओं की श्रेणी विशेष रूप से संवेदनशील है क्योंकि इनका गलत इस्तेमाल या ओवरडोज़ गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा कर सकता है। इसलिए सरकार चाहती है कि इन दवाओं की आपूर्ति में पारदर्शिता और नियंत्रण दोनों सुनिश्चित हों। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार दवाओं की ऑफलाइन और ऑनलाइन बिक्री दोनों में कड़ाई से नियम लागू कर रही है। यह कदम न केवल मरीजों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि नकली और अवैध दवाओं के व्यापार पर भी रोक लगाएगा।
ई-फार्मेसी नियम
1. ई-फार्मेसी के लिए पंजीकरण अनिवार्य
मसौदा नियमों के अनुसार, किसी भी कंपनी, संस्था या व्यक्ति को ई-फार्मेसी (ऑनलाइन दवा बिक्री) व्यवसाय शुरू करने से पहले औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यह पंजीकरण राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण या केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाएगा। बिना पंजीकरण के ई-फार्मेसी के माध्यम से दवाओं की बिक्री करना गैर-कानूनी होगा और इसके लिए कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान रहेगा। पंजीकरण की वैधता एक निश्चित अवधि (जैसे 3 या 5 वर्ष) तक होगी और इसके बाद समय पर नवीनीकरण कराना होगा।
2. केवल प्रिस्क्रिप्शन आधारित बिक्री की अनुमति
ई-फार्मेसी के जरिए दवाओं की बिक्री सिर्फ मान्य और पंजीकृत चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन पर ही की जा सकेगी। इसका मतलब है कि ग्राहक को दवा खरीदने के लिए डॉक्टर द्वारा जारी पर्ची की स्कैन कॉपी, फोटो या डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन अपलोड करना होगा। यह प्रावधान नियंत्रित दवाओं (Controlled Medicines), दर्द निवारक, एंटीबायोटिक, और मानसिक स्वास्थ्य की दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया गया है।
3. दवाओं के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध
मसौदा नियमों में ई-फार्मेसी को दवाओं के प्रचार-प्रसार पर पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को अनावश्यक या गैर-जरूरी दवाएं खरीदने के लिए प्रेरित न कर सके। दवाओं की मार्केटिंग केवल डॉक्टर और फार्मासिस्ट के बीच वैज्ञानिक जानकारी साझा करने तक सीमित रहेगी।
4. समय-समय पर निरीक्षण और निगरानी
ई-फार्मेसी के संचालन की नियमित निगरानी की जाएगी। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण और केंद्रीय ड्रग कंट्रोल संगठन (CDSCO) द्वारा समय-समय पर निरीक्षण होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिक्री प्रक्रिया, दवाओं का भंडारण, पैकेजिंग और डिलीवरी सुरक्षा मानकों और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप हैं। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में लाइसेंस रद्द या निलंबित किया जा सकता है।
6. केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल के जरिए रिकॉर्ड रखरखाव
सभी पंजीकृत ई-फार्मेसी को अपने लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इस पोर्टल पर स्टॉक, बिक्री, खरीदार और विक्रेता की जानकारी सुरक्षित रखी जाएगी। इससे दवाओं की आपूर्ति में पारदर्शिता आएगी और नकली या प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री रोकी जा सकेगी। यह पोर्टल सरकारी निगरानी एजेंसियों के साथ सीधे जुड़ा होगा।
1. ई-फार्मेसी क्या है?
ई-फार्मेसी वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से मरीज इंटरनेट के जरिए दवाएं ऑर्डर कर सकते हैं और उन्हें घर पर डिलीवर कराया जा सकता है।
2. क्या ई-फार्मेसी के लिए पंजीकरण जरूरी है?
हाँ। मसौदा नियमों के अनुसार, किसी भी कंपनी, संस्था या व्यक्ति को ई-फार्मेसी शुरू करने से पहले औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के दवा बेचना गैर-कानूनी है।
3. पंजीकरण किसके द्वारा किया जाएगा?
पंजीकरण राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (State Licensing Authority – SLA) या केंद्रीय प्राधिकरण (Central Licensing Authority – CLA) द्वारा जारी किया जाएगा।
4. पंजीकरण की वैधता कितनी होगी?
पंजीकरण आमतौर पर 3 से 5 वर्ष तक वैध रहेगा। इसके बाद समय पर नवीनीकरण कराना होगा।
5. क्या ई-फार्मेसी से बिना पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) के दवा खरीदी जा सकती है?
नहीं। ई-फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए मान्य डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य है। ग्राहक को स्कैन कॉपी, फोटो या डिजिटल प्रिस्क्रिप्शन अपलोड करना होगा।
Source : PIB | रिपोर्ट : कोटो न्यूज़ नेटवर्क (KNN) |