एडिनबर्ग में गूंजा राजस्थान का रंग: ROYALS Jeeman 2025 में राजस्थानी संस्कृति का भव्य उत्सव

एडिनबर्ग में गूंजा राजस्थान का रंग: ROYALS Jeeman 2025 में राजस्थानी संस्कृति का भव्य उत्सव

स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग में आयोजित ROYALS Jeeman 2025 कार्यक्रम ने राजस्थानी संस्कृति, परंपरा और व्यंजन की एक अनोखी झलक पेश कर वहां मौजूद हर व्यक्ति को राजस्थान की माटी से जोड़ दिया। यह रंगारंग आयोजन Rajasthani Organization for Youth, Art & Legacy in Scotland (ROYALS) द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में भारत के काउंसल जनरल ने शिरकत की और आयोजन को “राजस्थानी विरासत का जीवंत प्रतिबिंब” बताया।

राजस्थानी रंग, संगीत और स्वाद की छटा

ROYALS Jeeman 2025 में पारंपरिक राजस्थानी संगीत, लोक नृत्य, घूमर, कालबेलिया, और मांगणियार लोकगायन की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम स्थल को पारंपरिक राजस्थानी शैली में सजाया गया था — रंग-बिरंगे बंदनवार, पतंग, कांच के काम वाले पर्दे और हस्तशिल्प सजावट ने समूचे वातावरण को उत्सवमय बना दिया।

इस उत्सव की विशेष पहचान रहा राजस्थानी व्यंजन — दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी, केर-सांगरी, मिर्ची बड़ा और घेवर जैसे पारंपरिक स्वादों ने स्कॉटलैंड के लोगों को भारतीय व्यंजनों की विविधता से परिचित कराया।

भारतीय समुदाय की भागीदारी

कार्यक्रम में स्कॉटलैंड में रह रहे भारतीय प्रवासी, स्थानीय नागरिक, सांस्कृतिक संस्थान, और अंतरराष्ट्रीय छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए। ROYALS संगठन के अध्यक्ष ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल राजस्थानी संस्कृति को जीवित रखना है, बल्कि स्कॉटलैंड में विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक संवाद और आपसी सद्भाव को भी बढ़ावा देना है।

काउंसल जनरल का वक्तव्य

भारत के काउंसल जनरल ने कहा,

“ROYALS Jeeman 2025 जैसे आयोजन भारतीय संस्कृति की वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करते हैं। यह देखना गर्व की बात है कि राजस्थान की गर्मजोशी, रंग-बिरंगे पहनावे और सांस्कृतिक समृद्धि को इतनी खूबसूरती से स्कॉटलैंड में प्रस्तुत किया गया।”

उन्होंने ROYALS संगठन के युवाओं की प्रशंसा करते हुए इसे भारतीय युवाओं की नवाचार और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।


भविष्य की ओर

ROYALS ने घोषणा की कि वे आने वाले वर्षों में भी इस तरह के उत्सवों का आयोजन करते रहेंगे ताकि भारतीय संस्कृति की विविधताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा किया जा सके और राजस्थानी विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रखा जा सके।

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