इलेक्ट्रिक वाहनों से भारत के शहरों में हरित पहल की नई दिशा

इलेक्ट्रिक वाहनों से भारत के शहरों में हरित पहल की नई दिशा

स्वच्छ और हरित भारत की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में भारत के प्रमुख शहरों – इंदौर, गुंटूर और चेन्नई – ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को एकीकृत कर एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। यह पहल न केवल प्रदूषण में कमी लाती है, बल्कि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) को एक नई गति भी प्रदान करती है।

गुंटूर: हरित क्रांति की दिशा में अग्रणी कदम

आंध्र प्रदेश के गुंटूर नगर निगम ने संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) और ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी (GEF) के सहयोग से 200 से अधिक इलेक्ट्रिक ऑटो को डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए तैनात किया है। ये ई-ऑटो जीपीएस से लैस हैं और शहर के 159.46 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। इस परियोजना से हर साल 71,000 लीटर डीजल की खपत में कमी और 21,000 टन कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम का अनुमान है, जो एक दशक में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी है।

चेन्नई: पर्यावरण और नवाचार का संगम

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन द्वारा 5,478 बैटरी चालित ई-रिक्शा का उपयोग किया जा रहा है जो 2.1 मिलियन घरों और 24,621 सड़कों को कवर करते हैं। ये ई-रिक्शा प्रति दिन लगभग 41 टन कार्बन उत्सर्जन को रोकते हैं, जो सालाना 15,160 टन तक पहुंचता है। गीले, सूखे और खतरनाक कचरे के पृथक्करण की सुविधा के साथ ये वाहन स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरणीय चेतना भी बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही इस पहल ने 6,000 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार भी प्रदान किया है।

इंदौर: टिकाऊ शहरी प्रबंधन की मिसाल

स्वच्छता में देश भर में अपनी पहचान बना चुके इंदौर नगर निगम ने भी 100 इलेक्ट्रिक वाहन तैनात कर एक और बड़ा कदम उठाया है। ये वाहन 24,918 टन कार्बन उत्सर्जन को हर वर्ष कम करने में सक्षम हैं और इसके साथ ही निगम को 5.97 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत की भी उम्मीद है। रीयल-टाइम जीपीएस ट्रैकिंग और 20 सौर चार्जिंग स्टेशन की स्थापना ने इस परियोजना को और भी टिकाऊ बनाया है, जो प्रतिदिन 800–1000 यूनिट हरित ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।

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