उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में 417 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर की स्थापना

भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में 417 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) की स्थापना को मंजूरी देकर देश के डिजिटल निर्माण क्षेत्र को नई गति प्रदान की है। यह परियोजना “मेक इन इंडिया”, “डिजिटल इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसी राष्ट्रीय पहलों की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इस क्लस्टर की स्थापना से न केवल उच्च गुणवत्ता वाली बुनियादी संरचना तैयार होगी, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।


परियोजना की स्वीकृति और केंद्रीय मंत्रियों की बैठक

बैठक के दौरान श्री अश्विनी वैष्णव ने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि परियोजना के हर चरण को समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाए ताकि इसका लाभ जल्द से जल्द औद्योगिक इकाइयों, स्टार्टअप्स और स्थानीय युवाओं को मिल सके। उन्होंने कहा कि यह क्लस्टर न केवल निवेश आकर्षित करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक विनिर्माण मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान भी दिलाएगा।

राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने इस परियोजना को उत्तर प्रदेश की आर्थिक सशक्तिकरण यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भूमि, लॉजिस्टिक्स और स्थानीय प्रशासनिक सहयोग जैसे सभी जरूरी आयामों में केंद्र सरकार को हरसंभव सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह क्लस्टर राज्य के युवाओं के लिए रोज़गार और प्रशिक्षण के अभूतपूर्व अवसर लेकर आएगा।

बैठक में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के अधिकारियों ने परियोजना की डिजाइन, अवस्थिति, लॉजिस्टिक समर्थन और प्रस्तावित सुविधाओं की प्रस्तुति दी। अधिकारियों ने जानकारी दी कि क्लस्टर के लिए भूमि चिन्हित की जा चुकी है और निर्माण पूर्व गतिविधियाँ शीघ्र शुरू की जाएंगी।

परियोजना के अंतर्गत 200 एकड़ क्षेत्रफल में विकसित किए जा रहे इस क्लस्टर में अत्याधुनिक सुविधाएं, जैसे — उच्च गुणवत्ता वाला इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली-पानी की आपूर्ति, सीवेज उपचार प्रणाली, प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक शेड, श्रमिकों के लिए छात्रावास, स्वास्थ्य और कौशल विकास केंद्र, आदि शामिल होंगे।

बैठक के अंत में दोनों मंत्रियों ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” विज़न को साकार करने की दिशा में यह परियोजना एक निर्णायक कदम है। यह उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक निर्माण के क्षेत्र में देश का अगुवा राज्य बनाएगा और भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में एक मजबूत साझेदार के रूप में स्थापित करेगा।


क्लस्टर की अवस्थिति और योजना का दायरा

ईएमसी 2.0 परियोजना को यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) द्वारा विकसित किया जाएगा। यह क्लस्टर 200 एकड़ भूमि में फैला होगा और इसके माध्यम से अनुमानित 2,500 करोड़ रुपये का निजी निवेश आकर्षित किए जाने की संभावना है। इस क्षेत्र में बनने वाली अवस्थापना सुविधाएं स्टार्टअप्स, एमएसएमई, तथा बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के लिए विश्व स्तरीय उत्पादक आधार बनेंगी।

यह क्लस्टर यमुना एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और प्रस्तावित पलवल-खुर्जा एक्सप्रेसवे से जुड़ा हुआ है। साथ ही यह जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से निकटता में स्थित है, जिससे लॉजिस्टिक्स और निर्यात गतिविधियों को मजबूत समर्थन मिलेगा।


नवाचार और रोजगार का केंद्र

केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने अपने संबोधन में कहा, “यह परियोजना भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराएगी और लगभग 15,000 लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा।” उन्होंने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के उस विजन का हिस्सा है, जिसके तहत भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाया जाना है।

श्री वैष्णव ने जोर देकर कहा कि यह क्लस्टर रोजगार सृजन, आत्मनिर्भरता और डिजिटल परिवर्तन के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है। यह पहल उत्तर प्रदेश की औद्योगिक छवि को भी सशक्त करेगी।


विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार और उत्पाद

यह ईएमसी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण, कंप्यूटर हार्डवेयर और संचार उपकरणों जैसे प्रमुख क्षेत्रों के विनिर्माण को बल देगा। इसमें अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त औद्योगिक शेड, 24×7 बिजली और जल आपूर्ति, सीवेज उपचार संयंत्र, श्रमिकों के लिए छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र और कौशल विकास केंद्र शामिल होंगे।

विशेष रूप से स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को इस क्लस्टर में प्लग-एंड-प्ले मॉडल के तहत सस्ती और विश्वसनीय बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे उनके संचालन की लागत घटेगी और प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।


स्थानीय और राष्ट्रीय लाभ

उत्तर प्रदेश में इस ईएमसी के गठन से न केवल क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि यह देश भर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा। साथ ही इससे देश की आयात निर्भरता कम होगी और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

ईएमसी के माध्यम से भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल उपभोग बाजार नहीं बल्कि एक सक्रिय, अभिनव और वैश्विक निर्माण केंद्र बनना चाहती है।


अब तक की प्रगति और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

भारत सरकार की ईएमसी योजना के तहत अब तक लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश विभिन्न परियोजनाओं में किया जा चुका है। इन परियोजनाओं ने अब तक 520 से अधिक कंपनियों को आकर्षित किया है और 86,000 से अधिक रोजगार सृजित किए हैं।

उत्तर प्रदेश का यह नया क्लस्टर इस योजना को और सुदृढ़ बनाएगा और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भूमिका को सशक्त करेगा। इसके साथ ही यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अब केवल एक आईटी सेवा प्रदाता देश नहीं, बल्कि एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर विनिर्माण हब बनने की ओर अग्रसर है।


राज्य सरकार की भूमिका और समन्वय की अपेक्षा

परियोजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। राज्य सरकार को भूमि आवंटन, कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स और निवेश प्रोत्साहन जैसे मुद्दों पर सक्रिय सहयोग सुनिश्चित करना होगा। यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण इस परियोजना का तकनीकी व प्रबंधकीय संचालन करेगा।


भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

हालांकि परियोजना के क्रियान्वयन में अनेक अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हो सकती हैं जैसे भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और आवश्यक श्रमिक संसाधन। इन चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को एक संयुक्त और पारदर्शी रणनीति अपनानी होगी।

यदि यह परियोजना समय पर और सुचारू रूप से क्रियान्वित होती है, तो यह भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र को एक नए स्तर पर पहुंचा सकती है।


निष्कर्ष

गौतम बुद्ध नगर में प्रस्तावित 417 करोड़ रुपये की लागत वाली ईएमसी परियोजना उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह परियोजना न केवल उच्च तकनीकी आधारभूत ढांचे का निर्माण करेगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार, स्थानीय नवाचार, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की पकड़ को भी सशक्त बनाएगी। केंद्र सरकार का यह कदम भारत को इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक निर्माण मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में निर्णायक पहल है।

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