ग्लोबल स्तर पर जनरेटिव एआई पर कुल खर्च 644 अरब डॉलर तक पहुंचेगा
दिनांक : 10.07.2025 | Koto News | KotoTrust | Global |
गार्टनर द्वारा गुरुवार को जारी एक विस्तृत रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक दुनिया भर में जनरेटिव एआई (जेनएआई) पर एंड-यूजर खर्च 14.2 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें विशेष रूप से डोमेन-स्पेसिफिक लैंग्वेज मॉडल्स (DSLMs) के उपयोग और उद्यमों में इनकी बढ़ती मांग को रेखांकित किया गया है। DSLMs वे जेनरेटिव एआई मॉडल हैं जो किसी विशिष्ट उद्योग या व्यावसायिक प्रक्रिया पर आधारित डेटा पर प्रशिक्षित किए जाते हैं।
गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में एंड-यूजर DSLMs पर लगभग 1.1 अरब डॉलर खर्च करेंगे। 2027 तक, उद्यमों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 50% से अधिक जेनएआई मॉडल डोमेन-विशिष्ट होंगे, जबकि 2024 में यह आंकड़ा महज 1% था। इसका सीधा अर्थ है कि जेनएआई के उपयोग का परिदृश्य अत्यंत तेज़ी से बदल रहा है और AI को व्यावसायिक उत्पादकता का आधार बनाने की दिशा में संगठन अधिक गंभीर हो रहे हैं।
गार्टनर की वरिष्ठ प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक अरुणश्री चेपार्थी ने बताया, “फाउंडेशन जेनरेटिव एआई मॉडल, जिनमें LLM (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) शामिल हैं, भारी मात्रा में डेटा पर प्रशिक्षित होते हैं और इन्हें विविध कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “ये मॉडल जेनएआई के शुरुआती स्तंभ रहे हैं और आगामी वर्षों में भी संगठनों के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा बने रहेंगे।”
हालांकि, चेपार्थी यह भी कहती हैं कि अब संगठन अधिक फोकस्ड, डोमेन-स्पेसिफिक मॉडल्स की ओर बढ़ रहे हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं – बेहतर प्रदर्शन, अधिक प्रासंगिक परिणाम, लागत प्रभावशीलता और संचालन में अधिक विश्वसनीयता। DSLMs पारंपरिक LLMs की तुलना में खास व्यावसायिक जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर पाते हैं, जिससे उद्यमों को ज्यादा फायदा होता है।
वैश्विक जेनएआई खर्च: 2025 में 76.4% की भारी वृद्धि
गार्टनर की दूसरी रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक जनरेटिव एआई खर्च 2025 में 644 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 2024 की तुलना में 76.4% अधिक होगा। यह वृद्धि मुख्य रूप से हार्डवेयर में एआई क्षमताओं के इंटीग्रेशन के चलते होगी, विशेषकर सर्वर, स्मार्टफोन और पर्सनल कंप्यूटर (PC) जैसे उपकरणों में।
80% जेनएआई खर्च होगा हार्डवेयर पर
2025 में जनरेटिव एआई खर्च का लगभग 80% हिस्सा हार्डवेयर पर केंद्रित होगा। यानी आने वाले वर्षों में AI क्षमताओं को हार्डवेयर में एम्बेड करना कंपनियों की प्राथमिकता बनता जा रहा है। AI-सक्षम चिप्स, GPU आधारित सर्वर और मोबाइल AI प्रोसेसर की मांग तेजी से बढ़ रही है।
उपभोक्ता उत्पादों से लेकर व्यावसायिक प्रक्रियाओं तक
रिपोर्ट के अनुसार, AI टेक्नोलॉजी अब केवल तकनीकी दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव सभी प्रमुख बाजारों और उप-बाजारों पर पड़ेगा। यह एक परिवर्तनकारी तकनीक बन चुकी है, जो उपभोक्ता उत्पादों से लेकर उत्पादन, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त और रक्षा जैसे क्षेत्रों में गहराई से समाहित हो रही है।
मूलभूत मॉडल प्रदाता कर रहे भारी निवेश
गार्टनर की रिपोर्ट बताती है कि प्रमुख मूलभूत मॉडल प्रदाता (जैसे OpenAI, Google DeepMind, Anthropic आदि) AI मॉडल्स के आकार, प्रदर्शन और विश्वसनीयता को बेहतर बनाने के लिए हर साल अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। इनमें से कई कंपनियां अपने मॉडल को अधिक अनुकूल और व्यवसाय-उन्मुख बनाने के लिए क्षेत्रीय भाषा, स्थानीय डेटा और उद्योग-विशिष्ट विशेषताओं पर फोकस कर रही हैं।
एंटरप्राइज एआई की नई पहचान
विशेषज्ञों का मानना है कि DSLMs भविष्य में एंटरप्राइज एआई इंफ्रास्ट्रक्चर का मूल बन सकते हैं। बैंकिंग, हेल्थकेयर, रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में इनका उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि ये मॉडल गहन डेटा प्रशिक्षण के जरिए विशिष्ट व्यावसायिक समस्याओं को हल करने में ज्यादा सक्षम होते हैं।
तेजी से बढ़ता बाजार
भारत में भी जनरेटिव एआई को लेकर उत्साह चरम पर है। सरकार, स्टार्टअप और बहुराष्ट्रीय कंपनियां मिलकर DSLMs और AI इनफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश कर रही हैं। खासकर कृषि, न्याय, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में जनरेटिव एआई को नवाचार का इंजन माना जा रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों के तहत जेनएआई को बढ़ावा दिया जा रहा है।
AI और जेनएआई का यह बढ़ता दायरा रोजगार के स्वरूप को भी प्रभावित करेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जहां कुछ पारंपरिक नौकरियों को अप्रासंगिक बनाएगा, वहीं नई भूमिकाओं और अवसरों को भी जन्म देगा। AI-लिटरेसी, डेटा साक्षरता, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और एथिकल एआई जैसे स्किल्स की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
AI पर बढ़ते वैश्विक निवेश के साथ-साथ नीतिगत और नैतिक मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। डेटा गोपनीयता, AI मॉडलों में पक्षपात, फर्जी जानकारी का प्रसार, और मानव निर्णय पर AI का प्रभाव—ये सभी चिंता के विषय हैं। गार्टनर की रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि AI को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नियामक रूपरेखा और नैतिक दिशानिर्देश अत्यंत आवश्यक होंगे।
गार्टनर के मुताबिक 2025 तक आम उपभोक्ताओं और संगठनों द्वारा जनरेटिव एआई मॉडल पर खर्च 14.2 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह खर्च मुख्यतः मॉडल लाइसेंसिंग, API एक्सेस, कस्टम प्रशिक्षण, और एआई क्षमताओं को अपनी प्रक्रियाओं में एकीकृत करने पर होगा।
DSLMS (डोमेन-स्पेसिफिक लैंग्वेज मॉडल) वे एआई मॉडल हैं जो किसी विशेष उद्योग जैसे वित्त, स्वास्थ्य या कानून पर केंद्रित डेटा पर प्रशिक्षित किए जाते हैं। 2025 में ऐसे विशेषीकृत मॉडल्स पर 1.1 अरब डॉलर का खर्च अनुमानित है, जो यह दर्शाता है कि कंपनियां अब जेनरिक मॉडल्स की जगह अधिक विशिष्ट और दक्ष मॉडल्स को प्राथमिकता दे रही हैं।
जहां 2024 में केवल 1% जेनएआई मॉडल डोमेन-विशिष्ट थे, वहीं 2027 तक यह आंकड़ा 50% से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में संगठन मुख्य रूप से उन मॉडल्स को अपनाएंगे जो उनके विशिष्ट कार्यक्षेत्र के अनुरूप हों और अधिक सटीक परिणाम प्रदान करें।
जनरेटिव एआई पर कुल वैश्विक खर्च 2025 में 644 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह खर्च केवल सॉफ्टवेयर या क्लाउड सेवाओं तक सीमित नहीं होगा, बल्कि AI-सक्षम हार्डवेयर, प्रशिक्षण सेवाएं, R&D और अन्य सहायक ढांचे भी इसका हिस्सा होंगे।
गार्टनर की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में जेनएआई पर होने वाले कुल खर्च का 80% हिस्सा हार्डवेयर पर होगा। इसमें AI-सक्षम GPU, क्लाउड सर्वर, डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्टफोन और लैपटॉप में एआई चिप्स का समावेश शामिल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जनरेटिव एआई की बुनियाद अब केवल मॉडलिंग नहीं, बल्कि मजबूत हार्डवेयर भी बनता जा रहा है।
2024 की तुलना में 2025 में जनरेटिव एआई पर खर्च में 76.4% की जबरदस्त वृद्धि देखी जाएगी। यह दर बताती है कि तकनीक किस तेजी से हर क्षेत्र में अपनाई जा रही है, और यह भी कि उद्योग इसे केवल प्रयोग के रूप में नहीं बल्कि एक प्रमुख रणनीतिक संसाधन के रूप में देख रहे हैं।
जनरेटिव एआई की पहुंच हर क्षेत्र में है, लेकिन 2025 में इसके सबसे बड़े प्रभाव बैंकिंग (फ्रॉड डिटेक्शन, डॉक्युमेंट जनरेशन), हेल्थकेयर (डायग्नोसिस सपोर्ट, मेडिकल रिपोर्ट जेनरेशन), रिटेल (कस्टमर चैटबॉट, वर्चुअल शॉपिंग), शिक्षा (AI ट्यूटर, कंटेंट कस्टमाइजेशन) और रक्षा (सैटेलाइट इमेज एनालिसिस, सामरिक योजना) जैसे क्षेत्रों में देखने को मिलेगी।
Source : DD News