भारत सरकार के खान मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्था भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने 21 जून को 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY) को विशेष और समर्पित तरीके से मनाने के लिए देशभर में 50 से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन कर एक नया इतिहास रचा है। इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” के अंतर्गत GSI की यह पहल न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का प्रतीक बनी, बल्कि यह इस बात का भी उदाहरण है कि विज्ञान और योग, दोनों मिलकर मानव कल्याण में कैसे योगदान दे सकते हैं।
GSI की व्यापक तैयारी और राष्ट्रव्यापी भागीदारी
GSI ने इस अवसर पर देशभर में 46 स्थानों पर कुल 50 कार्यक्रमों का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल केंद्रीय कार्यालयों और प्रशिक्षण केंद्रों तक सीमित रहा, बल्कि इसमें 12 भू-विरासत स्थलों, 6 ड्रिलिंग फील्ड कैंप, और 3 प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों को भी शामिल किया गया। इन स्थलों पर आयोजित निर्देशित योग सत्रों का उद्देश्य था – वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मियों, छात्रों और आम जनता को योग की जीवनशैली से जोड़ना और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाना।
इन कार्यक्रमों में 3,000 से अधिक प्रतिभागियों के भाग लेने की आशा की गई, जिसमें GSI के कर्मचारी, स्थानीय समुदाय के लोग, विद्यालयों के छात्र और महिला समूह प्रमुख रूप से सम्मिलित थे।
कोलकाता मुख्यालय से लेकर भारत के हर कोने तक योग
GSI का केंद्रीय मुख्यालय कोलकाता इस आयोजन का केंद्रीय स्थल रहा, जहाँ योग प्रशिक्षकों की मदद से वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों को योग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इसके अतिरिक्त, उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, दक्षिण, पश्चिम और मध्य भारत की GSI इकाइयों ने अपने-अपने क्षेत्रों में विविधता से परिपूर्ण योग सत्र आयोजित किए।
प्रत्येक आयोजन स्थल पर योग सत्र से पूर्व जागरूकता वार्ताएँ, पोस्टर प्रदर्शनियाँ, और योग के वैज्ञानिक लाभों पर आधारित लघु व्याख्यान भी आयोजित किए गए।
भू-विरासत स्थलों पर योग: प्रकृति और स्वास्थ्य का गहरा संबंध
GSI की सबसे अनूठी पहल रही — भारत के 12 भू-विरासत स्थलों पर योग सत्रों का आयोजन। इन स्थलों में जहां एक ओर भूगर्भीय इतिहास संरक्षित है, वहीं दूसरी ओर यह प्राकृतिक ऊर्जा और शांति का केंद्र भी हैं। योगाभ्यास को ऐसे स्थलों पर आयोजित करना एक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक समन्वय का प्रतीक बन गया।
यह पहल “योग और प्रकृति के सामंजस्य” को प्रत्यक्ष रूप में सामने लाने का प्रयास था। प्रतिभागियों ने अनुभव साझा किया कि भू-विरासत स्थलों की शांतिपूर्ण, प्राकृतिक वातावरण में योगाभ्यास से मानसिक एकाग्रता और शारीरिक स्फूर्ति दोनों में वृद्धि होती है।
फील्ड कैंप और ड्रिलिंग स्थलों पर भी योग
एक और विशेष प्रयास के तहत GSI ने 6 सक्रिय ड्रिलिंग फील्ड कैंपों पर भी योग सत्र आयोजित किए, जहाँ कर्मी कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं। इन क्षेत्रों में योग के माध्यम से तनाव प्रबंधन और ऊर्जा संतुलन पर ज़ोर दिया गया।
फील्ड भूवैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसे कठिन कार्यक्षेत्रों में योग उन्हें मानसिक संतुलन बनाए रखने, थकान से लड़ने और टीम भावना को मजबूत करने में मदद करता है।
छात्रों और समुदाय की सक्रिय भागीदारी
GSI ने इस वर्ष छात्रों और स्थानीय समुदाय को भी विशेष रूप से इस पहल में शामिल किया। देश के विभिन्न भागों में स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने इन योग सत्रों में भाग लिया। अनेक स्थानों पर महिलाओं की भागीदारी अत्यधिक उत्साहजनक रही, जिनके लिए महिला योग प्रशिक्षकों द्वारा अलग से सत्र भी आयोजित किए गए।
कुछ क्षेत्रीय इकाइयों ने हिंदी, अंग्रेज़ी और स्थानीय भाषाओं में योग पुस्तिकाएं भी वितरित कीं और प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे योग को दैनिक जीवन में अपनाएँ।
काउंटडाउन कार्यक्रम: हैदराबाद से राष्ट्रीय संदेश
GSI की राष्ट्रीय उपस्थिति को और सशक्त बनाते हुए, संस्था ने 20 जून 2025 को हैदराबाद में आयोजित काउंटडाउन कार्यक्रम में भी भाग लिया, जिसमें केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी स्वयं उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम एक लाइव योग सत्र के रूप में आयोजित किया गया जिसमें GSI के वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया।
मंत्री महोदय ने अपने भाषण में कहा:
“योग केवल शरीर की कसरत नहीं है, यह विज्ञान, अनुशासन और संतुलन का नाम है। GSI जैसी वैज्ञानिक संस्था का इसमें भाग लेना यह दर्शाता है कि भारत का वैज्ञानिक समुदाय भी इस प्राचीन परंपरा को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है।”
GSI की दीर्घकालिक दृष्टि: स्वास्थ्य, विज्ञान और संस्कृति का समन्वय
GSI ने यह स्पष्ट किया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का यह आयोजन महज़ एक दिन की गतिविधि नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत है। संस्था आने वाले समय में भी नियमित योग सत्र, कर्मचारियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य वर्कशॉप, और योग आधारित अनुसंधान संवाद का आयोजन करेगी।
GSI का उद्देश्य है कि भूवैज्ञानिक कार्यक्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए योग को एक नित्य स्वास्थ्य अभ्यास के रूप में विकसित किया जाए।
निष्कर्ष: विज्ञान और योग की अनूठी यात्रा
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम यह सिद्ध करते हैं कि योग केवल अध्यात्म नहीं, अपितु वैज्ञानिक और जीवनोपयोगी पद्धति है। जब एक वैज्ञानिक संस्था जैसे GSI योग को अपनाती है, तो यह समाज को एक प्रेरणा और नई दिशा प्रदान करती है।
“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की इस विषयवस्तु के अंतर्गत GSI ने दिखाया कि पर्यावरण, पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य — तीनों का संतुलन ही टिकाऊ भविष्य की कुंजी है।
📌 मुख्य आँकड़े एक नज़र में:
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कुल कार्यक्रम: 50
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आयोजन स्थल: 46 स्थान, जिनमें
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12 भू-विरासत स्थल
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6 ड्रिलिंग फील्ड कैंप
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3 प्रशिक्षण केंद्र
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प्रतिभागी: 3000+
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प्रमुख आयोजन: कोलकाता मुख्यालय, हैदराबाद काउंटडाउन सत्र