गृह जनपद गोरखपुर के पिपराईच क्षेत्र में बरसात के मौसम में एक विचित्र स्थिति देखने को मिल रही है। जब गर्मी के दिनों में क्षेत्र की नदियाँ, नाले और नहरें सूखी पड़ी थीं, तब जल संसाधन विभाग, सिंचाई विभाग, केंद्रीय जल आयोग और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पूरी तरह से मौन और निष्क्रिय दिखे। किसानों की बार-बार की अपीलों के बावजूद ना तो इन जलमार्गों की सफाई हुई और ना ही सुंदरीकरण या मरम्मत के कोई ठोस कदम उठाए गए।
अब जब क्षेत्र में बारिश भरपूर हो रही है, नदी-नाला-नहरों में पानी भर चुका है और किसान अपने खेतों में धान की रोपाई में जुट गए हैं, तो विभाग अचानक ‘नींद से जाग’ गए हैं। इन विभागों ने अब सफाई अभियान शुरू कर दिया है – लेकिन यह काम ऐसे समय में किया जा रहा है जब किसान अपने खेतों में पानी का उपयोग करना चाहते हैं।
सफाई के नाम पर नालों की खुदाई, घास व झाड़ियों की कटाई और मलबा हटाने के कारण जल प्रवाह रुक रहा है, जिससे खेतों में भूस्खलन जैसी स्थिति बन रही है। कई जगहों पर मिट्टी के ढेर और भारी मशीनों की वजह से पानी का बहाव बाधित हो रहा है। इससे किसान खासे परेशान हैं, क्योंकि रोपाई का यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है और थोड़ी सी देरी पूरे सीजन पर असर डाल सकती है।
स्थानीय किसान ने कहा, “जब हमें पानी की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब कोई देखने तक नहीं आया। अब जब हम मेहनत से अपने खेतों में काम कर रहे हैं तो ये लोग आकर पानी का बहाव रोक दे रहे हैं। यह कैसा सिस्टम है?”
एक अन्य किसान, ने कहा, “सरकारी विभागों की यह लापरवाही हमारे फसल चक्र को प्रभावित कर रही है। हम चाहते हैं कि अगर सफाई करनी है तो कम से कम मानसून से पहले की जाए।”
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी विभागों की इस कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है और मांग की है कि भविष्य में समय पर सफाई हो, ताकि किसान प्रभावित न हों।
यह स्थिति साफ दिखाती है कि प्रशासनिक तालमेल की कमी और योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी का खामियाजा सबसे ज्यादा किसानों को भुगतना पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि संबंधित मंत्रालय और विभाग मानसून आने से पहले ही नदी, नाले और नहरों की नियमित सफाई और मरम्मत कार्य कराएं ताकि खेतों तक जल पहुँचने में कोई बाधा न आए।